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मध्य प्रदेश में सुबह-सुबह मोहन यादव कैबिनेट का विस्तार, रामनिवास रावत का हुआ शपथग्रहण

मध्य प्रदेश में आज सुबह- सुबह सीएम मोहन यादव की कैबिनेट का विस्तार हुआ है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये ओबीसी समुदाय के बड़े नेता रामनिवास रावत ने मंत्री पद की शपथ ली है. राम निवास रावत श्योपुर ज़िले की विजयपुर विधानसभा से विधायक हैं.

रामनिवास रावत ने ली मंत्री पद की शपथ रामनिवास रावत ने ली मंत्री पद की शपथ
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 08 जुलाई 2024,
  • अपडेटेड 1:08 PM IST

मध्य प्रदेश में आज सुबह- सुबह मुख्यमंत्री मोहन यादव की कैबिनेट का विस्तार हुआ है. कांग्रेस छोड़कर बीजेपी में आये ओबीसी समुदाय के बड़े नेता रामनिवास रावत ने मंत्री पद की शपथ ली है. राम निवास रावत श्योपुर ज़िले की विजयपुर विधानसभा से विधायक हैं. काफी समय से उनके मंत्री बनने के कयास लगाए जा रहे थे. 

रामनिवास रावत ने रविवार को 7 दिनों तक चलने चली भागवत कथा के लिए कलश यात्रा का आयोजन किया था और इसी दौरान उन्हें मुख्यमंत्री आवास से बुलावा भेजा गया जिसके बाद वह समर्थकों संग भोपाल के लिए रवाना हो गए. 6 बार के विधायक रामनिवास रावत ने 30 अप्रैल को एक जनसभा में सीएम डॉ मोहन यादव, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा और डॉ नरोत्तम मिश्रा की मौजूदगी में बीजेपी की सदस्यता ली थी. यह कांग्रेस के लिए एक बड़ा झटका था.

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कौन हैं रामनिवास रावत

रामनिवास रावत विजयपुर सीट से 6 बार के विधायक हैं. इसके अलावा दिग्विजय सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं, इसके अलावा वह पूर्व केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर के के सामने कांग्रेस से ही सांसदी का चुनाव भी लड़ चुके हैं.

प्रदेश की राजनीति में अपना दबदबा बनाने वाले रामनिवास ओबीसी नेता के रूप में बड़ा चेहरा हैं और वे प्रदेश कांग्रेस कमेटी के कार्यकारी अध्यक्ष भी रह चुके हैं. उनकी नाराजगी का मुख्य कारण कांग्रेस आलाकमान द्वारा अनदेखी और विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष ना बनाया जाना भी माना गया.

मंत्री बनने से रावत को क्या फायदा?
कांग्रेस से 6 बार के विधायक और पूर्व प्रदेश कांग्रेस कार्यकारी अध्यक्ष रामनिवास रावत के मंत्री बनने के बाद एक अलग कद के नेता के रूप में उभरेंगे. सूत्र बताते हैं कि सरकार में उनकी भूमिका भी तय हो गई है और वह मोहन कैबिनेट में शामिल होकर अपना कद स्वाभाविक रूप से बड़ा करने वाले हैं.

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पहले भी रावत दिग्गी सरकार में मंत्री पद पर रह चुके हैं और वर्ष 2003 से भाजपा की सरकार रहने के बाद से वे विपक्ष में ही बैठे रहे थे. कमलनाथ सरकार आने के बाद भी उन्हें कोई पद नहीं दिया गया. यही कारण है कि उनकी नाराजगी दिनों-दिन बढ़ती गई.

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