Advertisement

Christmas Special: ये है एशिया का सबसे सुंदर चर्च, 185 साल पुराने गिरजाघर को बनाने में लगे थे 27 साल

मध्य प्रदेश के सीहोर में स्थित ऑल सेंट्स चर्च (All Saint's Church) को एशिया का सबसे सुंदर चर्च माना जाता है. इसे बनाने में 27 साल लगे थे. इस ऐतिहासिक चर्च को अंग्रेजी हुकूमत के पहले पॉलिटिकल एजेंट जेडब्ल्यू ओसबार्न ने अपने भाई की याद में बनवाया था.

एशिया का सबसे सुंदर चर्च. एशिया का सबसे सुंदर चर्च.
aajtak.in
  • सीहोर,
  • 25 दिसंबर 2022,
  • अपडेटेड 11:38 AM IST

25 दिसंबर यानी आज पूरी दुनिया क्रिसमस (Christmas) का त्योहार धूमधाम से मना रही है. लोगों में भारी उत्साह देखा जा रहा है. ऐसे में आपको ऐसे चर्च के बारे में बताते हैं जिसे एशिया का सबसे सुंदर चर्च कहा जाता है. यह चर्च भारत के मध्य प्रदेश के सीहोर में है. इस ऐतिहासिक चर्च को अंग्रेजी हुकूमत के पहले पॉलिटिकल एजेंट जेडब्ल्यू ओसबार्न ने अपने भाई की याद में बनवाया था. इस चर्च का नाम ऑल सेंट्स चर्च (All Saint's Church) है.

Advertisement

कहा जाता है कि इस चर्च को बनाने में पूरे 27 साल लगे थे. यह चर्च 185 साल से भी ज्यादा पुराना है. आज क्रिसमस का त्योहार है. इसलिए यहां भी चर्च को शानदार तरीके से सजाया गया है. सुबह से ही लोग चर्च में आ रहे हैं और एक दूसरे को क्रिसमस की बधाई दे रहे हैं.

चर्च में की गई शानदार नक्काशी
लाल पत्थरों से बने इस चर्च को एशिया का सबसे सुंदर चर्च माना जाता है. कई दशक बीत जाने के बाद भी यह चर्च काफी आकर्षक है जो देखने में ऐसा लगता है जैसे कुछ साल पहले ही बना हो. इस चर्च के आसपास बांसों के झुरमुट लगाए गए हैं. जिससे हरियाली से भरपूर वातावरण मिल सके.

चर्च की दीवारें लाल पत्थर से बनाई गई हैं. नक्काशी भी उसी तरह की गई जिस तरह की स्कॉटलैंड चर्च में की गई है. चर्च में वास्तुशास्त्र का भी ध्यान रखा गया है.

Advertisement

अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी करते थे प्रार्थना
बताया जाता है कि साल 1818 में भोपाल रियासत अंग्रेजी हुकूमत के कब्जे में आ गई और करीब छह साल बाद अंग्रेजी हुकूमत ने यहां सैनिक छावनी बनाई. फिर अंग्रेजी हुकुमत के पहले पॉलिटिकल एजेंट जेडब्ल्यू ओसबार्न ने अपने भाई की याद में इसका निर्माण कराया.

ऑल सेंट्स चर्च भोपाल रियासत का पहला चर्च था. इसीलिए इस चर्च में भोपाल और उसके आसपास रहने वाले अंग्रेज अधिकारी अक्सर प्रार्थना के लिए आया जाया करते थे.

(सीहोर से नावेद जाफरी की रिपोर्ट)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement