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चांदी की ईंटें और करोड़ों की प्रॉपर्टी वाला MP RTO का पूर्व सिपाही सौरभ शर्मा अभी भी पकड़ से दूर, एजेंसियां खाली हाथ

Saurabh Sharma News: सौरभ शर्मा पर पड़े छापे ने दिसंबर की सर्दी में भी मध्य प्रदेश का सियासी पारा चढ़ा दिया था. लेकिन अब एक महीने बाद भी पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ का न मिलना कोढ़ में खाज जैसा हो गया. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सौरभ का कनेक्शन मंत्रियों, नेताओं और परिवहन विभाग के कई वर्तमान और पूर्व अधिकारियों से है. 

सौरभ शर्मा के ठिकाने से मिली चांदी की ईंटें. (फाइल फोटो) सौरभ शर्मा के ठिकाने से मिली चांदी की ईंटें. (फाइल फोटो)
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल ,
  • 20 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:13 PM IST

मध्य प्रदेश में परिवहन विभाग के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा के घर पर छापा पड़े एक महीना पूरा हो चुका है. लेकिन करोड़ों रुपये कैश, ज्वेलरी और अकूत संपत्ति वाला पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा अभी भी जांच एजेंसियों की पकड़ से दूर है. दूसरी तरफ, सौरभ और सहयोगियों के वकील अग्रिम जमानत याचिका लगा रहे हैं, जो अदालत से ख़ारिज हो चुकी है. अलग-अलग एजेंसियां भी मिलकर सौरभ को तलाश नहीं पाई हैं. इसको लेकर अब विपक्ष ने भी सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.

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19 दिसंबर 2024 की सुबह जब  भोपाल की अरेरा कॉलोनी स्थित सौरभ के ठिकाने पर छापा मारा था तो शायद लोकायुक्त पुलिस को भी नहीं मालूम होगा कि उसने प्रदेश के इतिहास के एक सबसे बड़े और सियासी पारे को उछालने वाली कार्रवाई को अंजाम दिया है. छापे के दौरान लोकायुक्त को सौरभ के ठिकानों से 7.98 करोड़ रुपए नगद और गहने मिले, जिसमें 2 क्विंटल से ज्यादा चांदी की ईंटें भी शामिल हैं. जिस घर से लोकायुक्त को बड़ी बरामदगी हुई, वो सौरभ के सहयोगी चेतन सिंह गौड़ का घर था. जहां अब रेड के एक महीने बाद साफ-सफाई हो चुकी है. और रेड से बिखरे कागज़ात समेत अन्य सामान को हटा दिया गया है. 
 
वीआरएस ले चुके एक आरटीओ कांस्टेबल के पास से इतनी दौलत मिलने पर केंद्रीय जांच एजेंसियों के भी कान खड़े हो गए और आखिरकार 27 दिसंबर को ED ने भी सौरभ के ठिकानों पर छापा मर दिया. हालांकि, ED ने इसका दायरा बढ़ाते हुए भोपाल के अलावा जबलपुर और ग्वालियर में भी सौरभ के साथ-साथ उसके रिश्तेदारों और सहयोगियों के यहां छापा मारा और करीब 33 करोड़ की बेनामी सम्पतियों समेत कैश और ज्वेलरी बरामद की. इन सब के बीच इनकम टैक्स ने मेंडोरी के जंगल से 52 किलो सोना और 10 करोड़ रुपये कैश बरामद किये. अब यह सभी छापे तीन अलग-अलग एजेंसियों ने मारे हों, लेकिन इन सब के केंद्र में एक ही नाम (सौरभ शर्मा) सामने आया, जो रेड के एक महीने बाद भी फरार है और जांच एजेंसियों की पकड़ से दूर है. 
 
सौरभ के मामले की जांच लोकायुक्त, प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग (आईटी) जैसी जांच एजेंसियां कर रही हैं. बता दें कि छापे के दौरान लोकायुक्त को सौरभ के ठिकानों से 7.98 करोड़ रुपए नगद और गहने मिले, जिसमें 2 क्विंटल से ज्यादा चांदी की ईंटें भी शामिल हैं.

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⁠ED ने सौरभ के घर और दफ्तर समेत रिश्तेदारों, सहयोगियों चेतन गौर, शरद जायसवाल, रोहित तिवारी के ठिकानों पर छापे मारे थे. इस दौरान ईडी ने बैंक खातों में 4 करोड़ रुपए के बैलेंस मिला. इसके अलावा 23 करोड़ की संपत्ति और 6 करोड़ रुपए की एफडी भी पकड़ी. इसके अलावा कई फर्म और कंपनियों के जरिए किए गए निवेश का भी खुलासा हुआ. 

वहीं, इनकम टैक्स ने कार में मिले सोने और कैश के बाद कार का पूरा रूट ट्रैक कर लिया है और पता लगा लिया कि जिस प्लॉट पर कार मिली थी, वो सौरभ की रिश्तेदार का है और कार को यहां तक लाने वाला भी सौरभ का ही रिश्तेदार है. 

कुछ दिन पहले 17 जनवरी को भी ईडी ने भोपाल में नवोदय कैंसर अस्पताल के मालिक श्याम अग्रवाल और ग्वालियर में रिटायर्ड सीनियर सब रजिस्ट्रार केके अरोरा के ठिकानों पर दबिश दी. यह दूसरा मौका था जब ED ने सौरभ शर्मा मामले में रेड मारी.
 
तीन-तीन जांच एजेंसियों के निशाने पर होने के  बावजूद सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी शरद जायसवाल का पिछले एक महीने से कोई पता नहीं चल सका है. वही, अब शरद जायसवाल के वकील ने सौरभ और शरद को बेगुनाह बताते हुए कहा कि दोनों जान को खतरा है, इसलिए सरकार उन्हें सुरक्षा दे. 

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सौरभ शर्मा पर पड़े छापे ने दिसंबर की सर्दी में भी एमपी का सियासी पारा चढ़ा दिया था. लेकिन अब एक महीने बाद भी पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ का न मिलना कोढ़ में खाज जैसा हो गया. कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सौरभ का कनेक्शन मंत्रियों, नेताओं और परिवहन विभाग के कई वर्तमान और पूर्व अधिकारियों से है. 

फ़िलहाल सौरभ शर्मा के खिलाफ एजेंसियों ने लुकआउट सर्कुलर जारी करवा दिया है जिसके बाद देश के सभी एयरपोर्ट पर उसे लेकर अलर्ट है. लेकिन बड़ा सवाल यही है कि सौरभ है कहां? क्योंकि अब सिर्फ वही बता सकता है कि उसके ठिकानों से हुई करोड़ों की जब्ती का मालिक आखिर है कौन?

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