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MP: भोपाल जेल में कैदियों को पुरोहित बनने की ट्रेनिंग, रिहाई के बाद कराएंगे शादी-ब्याह!

मध्य प्रदेश की भोपाल (MP Bhopal) जेल से छूटने के बाद कैदी घर-घर जाकर मांगलिक कार्यों में पुरोहित की भूमिका निभाते नजर आएंगे. दरअसल, भोपाल की जेल में कैदियों को पुरोहित बनने की ट्रेनिंग दी गई है. यह ट्रेनिंग गायत्री परिवार की ओर से दी गई, जिसमें उन्हें पूजा, हवन में आहुति विसर्जन के दौरान पढ़े जाने वाले मंत्र सिखाए गए.

भोपाल की जेल में पुरोहित बनने की ट्रेनिंग लेते कैदी. (फोटो साभार: Kashif Kakvi) भोपाल की जेल में पुरोहित बनने की ट्रेनिंग लेते कैदी. (फोटो साभार: Kashif Kakvi)
रवीश पाल सिंह
  • भोपाल,
  • 02 जून 2022,
  • अपडेटेड 4:47 PM IST
  • गायत्री परिवार की तरफ से दी गई कैदियों को ट्रेनिंग
  • पूजा, हवन में आहुति, विसर्जन के दौरान पढ़े जाने वाले मंत्र सिखाए

मध्य प्रदेश के भोपाल (MP Bhopal) की सेंट्रल जेल में सजा काट रहे कैदियों को पुरोहित बनाने की ट्रेनिंग दी गई है. इनमें से ज्यादातर कैदी हत्या, डकैती और लूट जैसे गंभीर अपराधों में सजा काट रहे हैं. जेल से छूटने के बाद यह कैदी घर-घर जाकर मांगलिक कार्यों में हवन पूजन भी करा सकेंगे.

कैदियों को यह ट्रेनिंग गायत्री परिवार की तरफ से दी गई है, जिसमें कैदियों को पूजा, हवन में आहुति, विसर्जन के दौरान पढ़े जाने वाले मंत्र बताए गए हैं. उन्हें यह भी बताया गया है कि मंत्रों का उच्चारण कैसे करना है. इसके लिए 50 ऐसे कैदियों का चयन किया गया था, जिनकी सजा जल्द पूरी होने वाली है.

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कैदियों के चयन के दौरान इस बात का ध्यान रखा गया कि जिन कैदियों को हिंदी और संस्कृत बोलने-समझने में ज्यादा दिक्कत नहीं होती, उन्हें ही पुरोहित बनने की ट्रेनिंग दी जाए. ट्रेनिंग के दौरान उन्हें हिन्दू धर्म के त्योहारों और तिथियों के महत्व के बारे में बताया गया और किस तिथि में किस देवी-देवता की पूजा किस विधान से करनी है, इसके बारे में बताया गया.

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'आजतक' से बात करते हुए भोपाल जेल अधीक्षक दिनेश ने बताया कि जेल प्रशासन कैदियों को अवसाद से बचाने और समाज की मुख्यधारा से जोड़ने के लिए हमेशा से प्रयासरत रहा है. सजा पूरी करने के बाद यह लोग आम जीवन जी सकें, इसके लिए लगातार अलग-अलग कार्यक्रम किए जाते हैं. इसी के तहत गायत्री परिवार की तरफ से पुरोहित बनने की ट्रेनिंग दी गई है. इनमें से ज्यादातर कैदी बेहद गरीब या सामान्य परिवारों से हैं.

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जेल अधीक्षक ने कहा कि कई बार देखा गया है कि सजा पूरी होने के बाद भी समाज इन्हें स्वीकार नहीं करता और यह फिर से किसी अपराध में लिप्त हो जाते हैं. इसी को ध्यान में रखते हुए कैदियों को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है. जेल अधीक्षक के मुताबिक, इसके अलावा बड़ी यूनिवर्सिटी के छात्रों की मदद से भी कैदियों के जीवन को बेहतर बनाने की योजना पर जेल प्रशासन काम कर रहा है. इसके लिए बीते दिनों नेशनल लॉ इंस्टीट्यूट यूनिवर्सिटी के छात्रों को जेल का स्टडी टूर करवाया गया था.

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