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मध्य प्रदेश: 16 में से 7 गढ़ गंवाने वाले शिवराज को क्यों कहा जा रहा है ‘बाजीगर’

मध्य प्रदेश के नगर निगम चुनाव में बीजेपी को सियासी तौर पर बड़ा झटका लगा है. बीजेपी 16 नगर निगम में से 7 गंवा चुकी है. हालांकि 9 पर उसका कब्जा बरकरार है. इस बार के निकाय चुनाव में बीजेपी के तमाम दिग्गज नेताओं को अपने-अपने गढ़ में हार का मुंह देखना पड़ा है, वहीं शिवराज सिंह चौहान अपना क्षेत्र बचाने में कामयाब रहे हैं.

नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान नरेंद्र सिंह तोमर, ज्योतिरादित्य सिंधिया, शिवराज सिंह चौहान
कुबूल अहमद
  • नई दिल्ली ,
  • 21 जुलाई 2022,
  • अपडेटेड 1:55 PM IST
  • नगर निगम में बीजेपी 16 में से 9 मेयर ही बना सकी
  • सिंधिया-तोमर-बीडी शर्मा अपना गढ़ नहीं बचा सके
  • ग्वालियर-चंबल-महाकौशल में बीजेपी का सफाया

मध्य प्रदेश नगर निगम चुनाव नतीजों से बीजेपी को तगड़ा झटका लगा है. सूबे की सभी 16 नगर निगम सीटों पर अभी तक काबिज रही बीजेपी के हाथ से 7 नगर निगम निकल गए हैं जबकि कांग्रेस जीरो से बढ़कर 5 पर पहुंच गई है. ज्योतिरादित्य सिंधिया, नरेंद्र सिंह तोमर, बीडी शर्मा, राकेश सिंह जैसे बीजेपी के दिग्गज नेताओं के गढ़ में कमल मुरझा गया जबकि सीएम शिवराज सिंह चौहान अपने क्षेत्र को बचाए रखने में सफल रहे. 

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निकाय चुनाव में एमपी के तीन बड़े क्षेत्र ग्वालियर-चंबल-महाकौशल क्षेत्र में बीजेपी का पूरी तरह सफाया हो गया है तो विंध्य क्षेत्र में पार्टी का सियासी ग्राफ नीचे गिरा है. वहीं, मालवा-निमाड़ इलाके में ही बीजेपी साख बचाए रखने में सफल रही. इतना ही नहीं शिवराज सरकार के 9 मंत्री और 14 दर्जा प्राप्त मंत्री के इलाके में भी बीजेपी को हार का सामना करना पड़ा है. सूबे में अगले साल विधानसभा चुनाव होने है. ऐसे में बीजेपी के दिग्गज नेताओं के प्रभाव वाले क्षेत्र में पार्टी की निकाय चुनाव हार से उनके सियासी कद पर भी राजनीतिक असर पड़ सकता है जबकि शिवराज अपना गढ़ बचाकर सियासी 'बाजीगर' साबित हुए हैं

सिंधिया-तोमर की ग्वालियर-चंबल में हार

मोदी सरकार में केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया व केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर दोनों ही मध्य प्रदेश में बीजेपी के दिग्गज नेता माने जाते हैं और ग्वालियर-चंबल से आते हैं. ऐसे में पहले ग्वालियर और अब दूसरे चरण में मुरैना नगर निगम सीट बीजेपी ने गंवा दी है. ग्वालियर सिंधिया का गृह जिला है, जहां बीजेपी प्रत्याशी को मेयर के चुनाव में हार का मुंह देखना पड़ा है. ग्वालियर में 57 साल के बाद बीजेपी मेयर का चुनाव हारी है. 

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केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के प्रभाव वाले मुरैना नगर निगम पर कांग्रेस का कब्जा जमाया है. मुरैना से ही नरेंद्र सिंह तोमर सांसद हैं. ऐसे में मेयर का चुनाव बीजेपी के हार से तोमर के सियासी कद पर भी असर पड़ सकते हैं. सीएम शिवराज सिंह चौहान और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नरेंद्र तोमर के मुरैना में पूरा जोर लगाया था, लेकिन फिर भी जीत नहीं मिल सकी. सिंधिया, तोमर, नरोत्तम मिश्रा, जयभान सिंह पवैया और प्रभात झा के अलावा शिवराज सरकार के पांच मंत्री ग्वालियर और चंबल इलाके से आते हैं. 

महाकौशल में बीजेपी का सफाया
नगर निगम चुनाव में बीजेपी का एमपी के महाकौशल इलाके से पूरी तरह से सफाया हो गया हैं, क्षेत्र में तीन नगर निगम की सीटें आती हैं और तीनों ही बीजेपी के हाथ से निकल गई है. जबलपुर नगर निगम सीट सीट बीजेपी ने दो दशक के बाद गंवा दिया है, जहां से पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह सांसद हैं. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा की ससुराल जबलपुर में ही है. इतना ही नहीं महाकौशल क्षेत्र के तहत आने वाले छिंदवाड़ा में बीजेपी के मेयर नहीं बन सका. कमलनाथ ने अपना गढ़ में 18 साल बाद कांग्रेस के मेयर बनाने में सफल रहे. 

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कटनी नगर निगम की मेयर सीट पर बीजेपी को करारी हार का सामना करना पड़ा है. निर्दलीय प्रत्याशी प्रीति सूरी कटनी की मेयर चनी गई हैं. कटनी क्षेत्र बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष बीडी शर्मा के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है. बीडी शर्मा खजुराहो संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं, जिसमें कटनी का इलाका भी आता है. बीजेपी के पास महाकौशल में एक भी मेयर नहीं जीत सका है, जो पार्टी के लिए निश्चित तौर पर चिंता बढ़ाने वाले हैं. 

विंध्य इलाके में बीजेपी कमजोर पड़ी
मध्य प्रदेश के विंध्य क्षेत्र में तीन नगर निगम आते हैं. ऐसे में बीजेपी सिर्फ सतना में अपना मेयर बनाने में कामयाब रही और दो सीटें गंवा दी है. सिंगरौली में आम आदमी पार्टी ने बीजेपी को मात देकर अपना मेयर बनाया. वहीं, रीवा नगर निगम सीट कांग्रेस ने जीत ली है. विंध्य क्षेत्र में बीजेपी के वरिष्ठ नेता राजेंद्र शुक्ला और विधानसभा अध्यक्ष गिरीश गौतम की प्रतिष्ठा दांव पर थी. ऐसे में शुक्ला अपना वार्ड भी नहीं जिता सके हैं तो गौतम रीवा को नहीं बचा सके. रीवा सीट को बीजेपी 22 सालों के बाद हारी है. गिरीश गौतम लगातार डेरा रीवा में जमाए रखा था, लेकिन कांग्रेस अपना मेयर बनाने में कामयाब रही. 

मालवा-निमाड़ में बीजेपी का दिखा दम
नगर निगम चुनाव में बीजेपी मालवा और निमाड़ इलाके में ही अपना दम दिखा सकी है. मालवा क्षेत्र के इंदौर, उज्जैन, देवास और रतलाम चारों नगर निगम पर बीजेपी ने कब्जा जमाए रखा. निमाड़ इलाके के तहत आने वाले खंडवा और बुरहानपुर दोनों ही नगर निगम सीट पर बीजेपी ने बाजी मारी हैं. खंडवा में एकतरफा मुकाबला रहा तो बुराहानपुर में मामूली वोटों से बीजेपी अपना मेयर बनाने में कामयाब रही. 

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शिवराज अपना गढ़ बचाने में सफल
बीजेपी के तमाम दिग्गज नेताओं को जहां अपने गढ़ में हार हुई जबकि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के गृह क्षेत्र बुधनी में बीजेपी को प्रचंड जीत हासिल की है. बुधनी नगर परिषद में एकतरफा जीत दर्ज की है और कांग्रेस का खाता भी नहीं खोल सकी. शिवराज का प्रभाव वाला क्षेत्र मध्य मालवा है, जहां बीजेपी का प्रदर्शन सबसे बेहतर नगर निगम चुनाव में रहा है. इसी क्षेत्र से कैलाश विजयवर्गीय आते हैं, जिनका प्रभाव इंदौर में है.

सूबे के नगर निगम चुनाव में भले ही 16 में सात मेयर बीजेपी के हार गई हो, लेकिन शिवराज सिंह चौहान अपना गढ़ बचाए रखने में कामयाब रहे हैं. बीजेपी को जिन दिग्गज नेताओं के इलाके में हार मिली है, वो शिवराज सिंह चौहान के सामने एक विकल्प के तौर पर खड़े हो रहे थे, लेकिन इस हार से उनके सियासी प्रभाव कम होगा तो शिवराज का कद बढ़ सकता है. नगर निगम चुनाव के असर 2023 के विधानसभा चुनाव पर भी पड़ सकता है. ऐसे में शिवराज सिंह चौहान सियासी बाजीगर साबित हुए हैं, क्योंकि हार कर जीतने वाले को ही बाजीगर कहा जाता है? 

 

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