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बेटी संग अलग रह रही पत्नी ने नहीं बताई अपनी आमदनी, कोर्ट बोला- तो पति से गुजारा भत्ता लेने की हकदार नहीं

महिला ने अपने ट्रैवल एजेंट पति से खुद और अपनी 3 साल की बेटी के लिए 50 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता की मांग की थी. कहा कि वो दोनों अपनी शादी के दो साल बाद 2021 में अलग हो गए थे. 

प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Source: META AI) प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Source: META AI)
aajtak.in
  • इंदौर ,
  • 22 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 6:58 PM IST

MP News: पति से भरण-पोषण मांगने वाली पत्नी का दावा इंदौर के फैमिली कोर्ट ने खारिज कर दिया. खुद के बैंक खाते और आमदनी की जानकारी छिपाने के कारण अदालत ने महिला की मांग ठुकरा दी. 
 
अपनी याचिका में महिला ने अपने ट्रैवल एजेंट पति से खुद और अपनी 3 साल की बेटी के लिए 50 हजार रुपये प्रति माह गुजारा भत्ता की मांग की थी. कहा कि वो दोनों अपनी शादी के दो साल बाद 2021 में अलग हो गए थे. 

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फैमिली कोर्ट के प्रिंसिपल जज एनपी सिंह ने 7 अगस्त को याचिकाकर्ता और उसके पति की दलीलें सुनने के बाद सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए गुजारा भत्ता की याचिका खारिज कर दी. हालांकि, कोर्ट का आदेश 22 अगस्त को उपलब्ध कराया गया. 

कोर्ट ने कहा, चूंकि महिला एक कॉमर्स ग्रेजुएट है, उसने अपने हलफनामे में अपने बैंकिंग लेनदेन से संबंधित किसी भी खाते का विवरण नहीं दिया है. ऐसा लगता है कि वह कुछ काम करके आय अर्जित कर रही है. 

जज ने कहा, " याचिकाकर्ता महिला कमा रही है, लेकिन उसने अपनी आय का खुलासा नहीं किया है. इस प्रकार यह निर्धारित करना संभव नहीं है कि वह और उसका पति नाबालिग बच्ची के पालन-पोषण के लिए कितनी राशि वहन करेंगे." 

अदालत ने तर्क दिया कि महिला अपनी नाबालिग बेटी के भरण-पोषण के लिए भी अपने पति से कोई राशि प्राप्त करने की हकदार नहीं है, क्योंकि उसने हलफनामे में अपने बैंक खाते के विवरण और आय का स्पष्ट रूप से खुलासा नहीं किया है. 

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महिला के पति के वकील जेएस ठाकुर ने बताया कि दंपति ने 2019 में शादी की थी, लेकिन विवाद के बाद यह जोड़ा 2021 से अलग रह रहा है. इस केस में पत्नी खुद कमाती है और इससे जुड़े दस्तावेज अदालत में भी पेश किए गए.  

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