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पसमांदा, तीन तलाक, UCC... मुसलमानों के लिए बीजेपी वर्कर्स को पीएम का 'मोदी मंत्र'!

पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल से 2024 के लोकसभा चुनाव  का बिगुल फूंक दिया है. उन्होंने भोपाल में वंदे भारत ट्रेनों को हरी झंडी दिखाई. इसके बाद मेरा बूथ, सबसे मजबूत कार्यक्रम को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर खुलकर हमला बोला. उन्होंने तीन तलाक, यूसीसी और पसमांदा मुसलमानों पर खुलकर बात की.

पीएम मोदी ने भोपाल में बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया (फोटो:@BJP4India) पीएम मोदी ने भोपाल में बूथ कार्यकर्ताओं को संबोधित किया (फोटो:@BJP4India)
शिल्पी सेन
  • लखनऊ,
  • 27 जून 2023,
  • अपडेटेड 9:36 AM IST

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को भोपाल में मेरा बूथ, सबसे मजबूत कार्यक्रम में 2024 के लोकसभा चुनाव को लेकर बिगुल फूंक दिया. उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कांग्रेस और विपक्षी दलों पर हमला बोला. उन्होंने कांग्रेस और विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए कहा कि एक तरफ इस तरह के लोग हैं, जो तुष्टिकरण कर अपने स्वार्थ के लिए छोटे-छोटे कुनबे दूसरों के खिलाफ खड़े कर देते हैं और दूसरी तरफ हम बीजेपी के लोग हैं. बीजेपी ने यह तय किया है कि हमें तुष्टिकरण के रास्ते पर नहीं चलना है. देश का भला करने का रास्ता तुष्टिकरण नहीं, संतुष्टिकरण है. उन्होंने अपने संबोधन में आगे कहा कि कुछ लोग सिर्फ अपने ही दल के लिए जीते हैं, दल का ही भला करना चाहते हैं और वो ये सब इसलिए करते हैं क्योंकि उन्हें भ्रष्टाचार, कमीशन, कट मनी का हिस्सा मिलता है. उन्होंने जो रास्ता चुना है उसमें ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती और ये रास्ता है तुष्टिकरण का.

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वोट बैंक के भूखे मुस्लिम बहनों का नुकसान कर रहे

पीएम मोदी ने इस दौरान बूथ कार्यकर्ताओं के सवालों के जवाब भी दिए. इन्हीं कार्यकर्ताओं में एक लखनऊ के बड़ा चांदगंज की रहने वाली रीना चौरसिया ने पूछा कि पहले लोग तीन तलाक का विरोध कर रहे थे, अब यूनिफॉर्म सिविल कोड (UCC) का विरोध कर रहे हैं, इसको लेकर मुसलमानों में जो भ्रम है उसे कैसे दूर करें?

इस पर पीएम ने जवाब दिया कि जो भी तीन तलाक के पक्ष में बात करते हैं, वो वोट बैंक के भूखे लोग मुस्लिम बहनों का बहुत नुकसान कर रहे हैं. तीन तलाक से नुकसान सिर्फ बेटियों का ही नहीं बल्कि इसका दायरा इससे कहीं बड़ा है. इससे पूरे परिवार तबाह हो जाते हैं.अगर तीन तलाक कहकर किसी बेटी को कोई निकाल दे तो उसके पिता का क्या होगा, भाई का क्या होगा, पूरे परिवार इससे तबाह हो जाते हैं.

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तो मुस्लिम देश तीन तलाक पर प्रतिबंध क्यों लगाते

तीन तलाक का इस्लाम से संबंध होता तो कोई मुस्लिम देश इस पर प्रतिबंध नहीं लगाता. मिस्र ने आज से 90 साल पहले इसको खत्म कर दिया था. अगर इस्लाम से इसका संबंध होता तो इस्लामिक देश इसे क्यों खत्म करते. कतर, जॉर्डन, इंडोनेशिया जैसे देशों में क्यों इसको बंद कर दिया.तीन तलाक का फंदा लटका कर कुछ लोग मुस्लिम बहनों पर अत्याचार की खुली छूट चाहते हैं.

UCC के नाम पर मुसलमानों को भड़का रहे दल

भारत के मुसलमानों को यह समझना होगा कि कौन से राजनीतिक दल उनको भड़का रहे हैं. आजकल UCC के नाम पर भड़का रहे हैं. एक घर में एक सदस्य के लिए एक कानून हो और दूसरे के लिए दूसरा तो घर चल पायेगा क्या? तो ऐसी दोहरी व्यवस्था से देश कैसे चल पाएगा? ये लोग हम पर आरोप लगाते हैं. ये अगर मुसलमानों के सही हितैषी होते तो मुसलमान पीछे नहीं रहते. सुप्रीम कोर्ट बार-बार कह रहा है कि यूनिफॉर्म सिविल कोड लाओ लेकिन ये वोट बैंक के भूखे लोग ऐसा नहीं करना चाहते.

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पसमांदा मुसलमानों के साथ भेदभाव हुआ

पीएम ने आगे कहा कि जो पसमांदा मुसलमान भाई-बहन हैं, उनकी आवाज सुनने के लिए कोई नहीं है. उनके धर्म के लोगों ने अगर कोई भला किया होता तो ऐसा नहीं होता. आज भी उनको वीजा नहीं मिलता. वो पिछड़े नहीं होते. पसमांदा मुसलमानों के साथ जो भेदभाव हुआ है, उसका नुकसान इनकी कई पीढ़ियों को भुगतना पड़ा, लेकिन बीजेपी सरकार सबके लिए सबका साथ, सबका विकास पर काम कर रही है. उन्होंने कहा कि जो दल यूसीसी का विरोध कर रहे हैं वे मुसलमानों के हितैषी नहीं हैं. इन्हीं दलों की वजह से पसमांदा मुसलमान पिछड़े हैं.

कौन होते हैं पसमांदा मुसलमान?

पसमांदा यानी सामाजिक, आर्थिक रूप से पिछड़े. मुसलमानों के पिछड़े वर्ग (ओबीसी और दलित मुस्लिम) को पसमांदा मुस्लिम कहते हैं. देश की कुल मुसलमान आबादी में इनकी संख्या 85 फीसदी है. राजनीति में भी अगड़े मुसलमानों का वर्चस्व रहा है जबकि पसमांदा समाज सियासी तौर पर हाशिए पर ही रहा है, इसलिए पीएम मोदी इन्हें बीजेपी से जोड़ने की कोशिश कर रहे हैं.

पसमांदा मुसलमानों में शामिल हैं ये जातियां 

कुंजड़े (राईन), जुलाहे (अंसारी), फकीर (अलवी),  धुनिया (मंसूरी), कसाई चिकवा, कस्साब (कुरैशी), ग्वाला (घोसी), धोबी, गद्दी, लोहार-बढ़ई (सैफी), मनिहार (सिद्दीकी), गुर्जर, बंजारा, मेवाती, गद्दी, दर्जी (इदरीसी), वन-गुज्जर, नाई (सलमानी), मेहतर (हलालखोर), मलिक गाढ़े, जाट, अलवी जैसी जातियां पसमांदा मुसलमानों में शामिल हैं.

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