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MP: चीतों को रास आ रही कूनो नेशनल पार्क की आबोहवा, इसलिए सफल कहा जा रहा प्रोजेक्ट

भारत की धरा पर फिर से बसाए गए चीते कूनो नेशनल पार्क में स्वयं को सर्वाइव करने के लिए यहां की आबोहवा में ढल रहे हैं. हालांकि, बीते एक साल में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से 6 वयस्क चीते दम तोड़ चुके हैं.

भारत में चीता प्रोजेक्ट का एक साल पूरा (Photo Aajtak). भारत में चीता प्रोजेक्ट का एक साल पूरा (Photo Aajtak).
खेमराज दुबे
  • श्योपुर,
  • 17 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 11:28 PM IST

दुनिया में बिग कैट की पांच प्रजातियों में से चार प्रजातियां भारत में पाई जाती है, लेकिन बीते सात दशक पहले यहां से विलुप्त हो चुकी चीता प्रजाति को फिर से बसाने की योजना पिछले साल आज ही के दिन शुरू की गई जो लगभग सफल रही.

पिछले साल प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने जन्मदिन 17 सितम्बर को श्योपुर के कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट की शुरूआत करते हुए 8 नामीबियाई चीतो को भारत को समर्पित किया था. कूनो के जंगल में चीतों के आने के बाद से यह देश और दुनिया में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुआ. इसके बाद 12 साउथ अफ्रीकी चीतों को भी कूनो में लाकर बसाया गया था.

भारत की धरा पर फिर से बसाए गए चीते कूनो नेशनल पार्क में स्वयं को सर्वाइव करने के लिए यहां की आबोहवा में ढल रहे हैं. हालांकि, बीते एक साल में नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाए गए 20 चीतों में से 30 फीसदी (6 वयस्क चीते) दम तोड़ चुके हैं, लेकिन 70 फीसदी (14 वयस्क चीते) को यहां की आवोहवा रास आती नजर आ रही है. 

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50 फीसदी चीते भी बच जाते हैं तो प्रोजेक्ट सफल

4 माह में 6 वयस्क चीतों की मौत के बाद प्रोजेक्ट पर सवाल भी उठे, लेकिन एक साल में 70 फीसदी चीतों के जीवित रहने से विशेषज्ञ इस प्रोजेक्ट को सफल मान रहे हैं. क्योंकि प्रोजेक्ट के एक्शन प्लान में पहले से ही यह लिखा गया है कि यदि एक साल में 50 फीसदी चीते भी बच जाते हैं तो प्रोजेक्ट सफल है.

कूनो में मौजूद हैं 14 व्यस्क चीते और एक मादा शावक.

बीते एक साल में प्रोजेक्ट चीता का ऐसा रहा सफर

- 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से लाए गए 8 चीते.

- इन 8 चीतों को 2 से ढाई महीने तक क्वॉरंटीन रखा गया.

- 7 अक्टूबर 2022 को चीता टास्क फोर्स का गठन हुआ.

- 5 से 28 नवंबर के बीच सभी 8 चीतों को बड़े बाड़ों में छोड़ा गया.

- 4 दिसंबर को पहली बार कूनो में चीता दिवस मनाया गया.

-18 फरवरी 2023 को दक्षिण अफ्रीका से लाए 12 चीते.

- इन 12 चीतों को भी छोटे बाड़ों में किया गया क्वॉरंटीन.

-11 मार्च से बड़े बाड़ों से खुले जंगल में छोडऩे का सिलसिला शुरू.

- 24 मार्च को मादा चीता ज्वाला ने 4 शावकों को दिया जन्म.

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मादा शावक की तस्वीर.



- 27 मार्च को कूनो में चीतों की मौतों का सिलसिला शुरू हुआ.

- 27 मार्च को हुई कूनो में हुई मादा चीता साशा की मौत.

- 23 अप्रेल को हुई नर चीता उदय की मौत.

- 09 मई को हुई मादा चीता दक्षा की मौत.

- 23 मई को एक चीता शावक की मौत.

- 25 मई को दो चीता शावकों की मौत.

- 25 मई को चीता स्टीयरिंग कमेटी का गठन हुआ.

- 11 जुलाई को नर चीता तेजस की मौत.

- 14 जुलाई को नर चीता सूरज की मौत.

- 15 जुलाई तक 11 चीते खुले जंगल में थे, जिन्हें वापस बाड़ों में शिफ्ट करना शुरू हुआ.

- 13 अगस्त को मादा चीता निर्वा को बाड़े में शिफ्ट करने के साथ ही सभी चीते बाड़े में हो गए.

कूनो नेशनल पार्क.


प्रोजेक्ट चीता के सक्सेस पाइंट

- प्रोजेक्ट चीता से मध्यप्रदेश और कूनो पार्क को मिली देशव्यापी पहचान.

- श्योपुर जिले को देश के पर्यटन नक्शे पर स्थान मिला.

- प्रोजेक्ट के लिए पहली बार श्योपुर में किसी प्रधानमंत्री का कार्यक्रम हुआ.

- जिले में अब वीआइपी मूवमेंट बढ़ गया है.

- चीता प्रोजेक्ट की वजह से ठंडे बस्ते पड़ा रेलवे ब्रॉडगेेज प्रोजेक्ट को मिली गति.

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चीता टास्क फोर्स, स्टेयरिंग कमेटी सहित एनटीसीए के विशेषज्ञों की निगरानी 

कूनो नेशनल पार्क में चीता प्रोजेक्ट को शुरू हुए एक वर्ष आज रविवार को पूर्ण हो गया, इस एक वर्ष में चीतों प्रोजेक्ट में थोडे उतार चढ़ाव भी सामने आए, लेकिन कूनो पार्क के बेहतर प्रबंधन एवं चीता टास्क फोर्स, स्टेयरिंग कमेटी सहित एनटीसीए के विशेषज्ञों की निगरानी में इस प्रोजेक्ट सफलता पूर्वक ड्राइव किया गया है.

7 नर और 7 मादा चीता हैं जीवित.

बीट गार्ड, वनपाल, रेंजर्स और चीता विशेषज्ञ चिकित्सक बधाई के पात्र: डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा

कूनो नेशनल पार्क के डीएफओ प्रकाश कुमार वर्मा ने आजतक से फोन कॉल पर चर्चा करते हुए बताया कि मैंने इस प्रोजेक्ट को काफी नजदीक से हैंडल किया और वरिष्ठ अधिकारियों के मार्गदर्शन में प्रत्येक चीता को भारत की धरती पर सर्वावाइव कराने के लिए प्रत्येक मापदंडों को अपनाया. आज कूनो में चीता प्रोजेक्ट को एक साल हो गया है, जिसके लिए कूनो के सभी बीट गार्ड, वनपाल, रेंजर्स और चीता विशेषज्ञ चिकित्सक बधाई के पात्र है.

नामीबिया के 6, साउथ अफ्रीका के 8 बचे

कूनो नेशलन पार्क में 17 सितंबर 2022 को नामीबिया से 8 चीते लाए गए थे, जिसमें से 2 की मौत हो गई, जबकि 6 चीते अब शेष बचे हैं. वहींं, दक्षिण अफ्रीका से 18 फरवरी 2023 को 12 चीते लाए गए थे, जिनमें 4 की मौत हो गई और अभी 8 चीते बचे हैं. इस प्रकार कुल 20 में से 14 चीते बचे हैं. इसमें 7 मादा और 7 नर हैं. वहींं, मादा ज्वाला के 4 शावकों में से एक मादा शावक जीवित हैं.

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