
मध्य प्रदेश वन विभाग ने हाथियों की गतिविधियों पर नज़र रखने के लिए सैटेलाइट कॉलर का उपयोग करने की योजना बनाई है. बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हाल ही में 10 हाथियों की मौत के मद्देनजर यह फैसला लिया गया है.
पिछले महीने हाथियों की मौत के बाद राज्य सरकार कई उपायों की घोषणा कर रही है. मुख्यमंत्री मोहन यादव ने पहले घोषणा की थी कि मध्य प्रदेश के वन अधिकारियों को हाथियों की अधिक आबादी वाले अन्य राज्यों में प्रशिक्षण के लिए भेजा जाएगा.
29 अक्टूबर को उमरिया जिले में बीटीआर के खलील रेंज के अंतर्गत सांखनी और बकेली में चार जंगली हाथी मृत पाए गए, जबकि 30 अक्टूबर को चार और 31 अक्टूबर को दो की मौत हो गई.
एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए मध्य प्रदेश के अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति ने कहा, "हमने तमिलनाडु से दो सैटेलाइट कॉलर मांगे हैं, जो इस सप्ताह मध्य प्रदेश पहुंचने की उम्मीद है. हम उन्हें बीटीआर में दो हाथियों पर लगाकर शुरुआत करेंगे."
उन्होंने कहा कि वन विभाग राज्य के सभी 150 जंगली हाथियों पर सैटेलाइट कॉलर लगाने की योजना बना रहा है.
कृष्णमूर्ति दो दिन पहले राज्य में हाथियों के बचाव और पुनर्वास के लिए गठित 9 सदस्यीय हाथी सलाहकार समिति के प्रमुख हैं. दस हाथियों की मौत की जांच ने निष्कर्ष निकाला था कि उनके विसरा में न्यूरोटॉक्सिन साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड था, लेकिन यह 'ज़हर' का मामला नहीं था.
वरिष्ठ अधिकारी ने पहले कहा था कि विसरा रिपोर्ट से पता चलता है कि विषाक्तता बड़ी मात्रा में कोदो बाजरा के पौधों के सेवन के कारण थी. जांच दल की रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री मोहन यादव ने इस चूक के लिए दो वरिष्ठ रिजर्व अधिकारियों को निलंबित कर दिया है.