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'मिशनरियों से ज्यादा सेवा हिंदू संत करते हैं', बोले RSS प्रमुख मोहन भागवत

RSS प्रमुख मोहन भागवत ने जबलपुर में कहा कि आजकल मिशनरियों का बोलबाला है, लेकिन हमारे संत उनसे ज्यादा सेवा करते हैं. भागवत ने कहा कि भारत 'विश्व गुरु' बनने जा रहा है, लेकिन उसे सद्भाव के साथ वह मुकाम हासिल करना होगा.

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो) राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत (फाइल फोटो)
aajtak.in
  • जबलपुर,
  • 19 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 5:37 AM IST

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मिशनरियों से ज्यादा सेवा हिंदू संत करते हैं. उन्होंने शिक्षा के महत्व पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों को दूर किया जाना चाहिए.

भागवत ने कहा कि आजकल मिशनरियों का बोलबाला है, लेकिन हमारे संत उनसे ज्यादा सेवा करते हैं. मैं यह सच कह रहा हूं. भागवत ने कहा कि भारत 'विश्व गुरु' बनने जा रहा है, लेकिन उसे सद्भाव के साथ वह मुकाम हासिल करना होगा.

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आरएसएस प्रमुख नरसिंह मंदिर में जगद्गुरु श्याम देवाचार्य जी महाराज की प्रतिमा के अनावरण सहित विभिन्न कार्यक्रमों में भाग लेने के लिए जबलपुर में थे. उन्होंने मध्य प्रदेश शहर में मानस भवन में एक व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित किया.

भागवत ने कहा कि हिंदू समाज को शिक्षित करने से पूरी दुनिया का भला होगा, लेकिन हमें समाज में व्याप्त बुराइयों को मिटाना है और समृद्धि लानी है.

इससे पहले मोहन भागवत ने कहा था कि भारत के 'विश्वगुरु' बनने की दिशा में प्रगति को धीमा करने के लिए हमारे खिलाफ गलत धारणाएं और विकृत जानकारी फैलाई जा रही है. मुंबई में एक समारोह में भागवत ने कहा कि 1857 के बाद (प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद) देश के बारे में इस तरह की भ्रांतियां फैलाई गईं, लेकिन स्वामी विवेकानंद ने ऐसे तत्वों को मुंहतोड़ जवाब दिया. ये गलत धारणाएं हमारी प्रगति को धीमा करने के लिए फैलाई जा रही हैं क्योंकि दुनिया में कोई भी तर्क के आधार पर हमसे बहस नहीं कर सकता है. 

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भागवत ने कहा था कि जो लोग हिंदू राष्ट्र में विश्वास नहीं करते हैं, वे भी सोचते हैं कि भारत को विकास करना चाहिए. 1857 के बाद पूरा भारत एक होने लगा. समाज में जागृति आने लगी और फिर कुछ समय बीतने के बाद हम जवाब देने की स्थिति में आ गए. स्वामी विवेकानंद ने उत्तर देना शुरू किया. और जो लोग हमें गुलाम बनाना चाहते थे, उन्होंने महसूस किया कि उनको सोच  बदलनी चाहिए. आज भी संघर्ष जारी है. हमें नई पीढ़ी को पढ़ाना है. अगले बीस या तीस वर्षों में, भारत विश्व गुरु होगा. लेकिन उसके लिए अगली दो-तीन पीढ़ियां बनानी होंगी. 

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