
मध्य प्रदेश के मंडला जिले में पुलिस एनकाउंटर में आदिवासी हिरन बैगा की मौत राज्य सरकार के लिए बड़ा मुद्दा बन गई है. विपक्ष सरकार पर आदिवासी की हत्या का आरोप लगा रहा है, जबकि सरकार का कहना है कि जांच के बाद सब कुछ साफ हो जाएगा. लेकिन इस मामले में विपक्ष ने लगातार दूसरे दिन मंगलवार को विधानसभा से वॉकआउट किया.
मंगलवार को मध्य प्रदेश विधानसभा में हिरन बैगा की पुलिस मुठभेड़ में मौत का मामला उठाया गया. कांग्रेस विधायक विक्रांत भूरिया ने इस मुद्दे को उठाते हुए कहा कि सरकार आदिवासियों की हत्या कर रही है, उन्हें जल, जंगल और जमीन से बेदखल किया जा रहा है. सरकार पर आरोप लगाते हुए विक्रांत भूरिया ने इस पूरे मामले की जांच एक रिटायर्ड जज से कराने की मांग की.
कांग्रेस ने की पुलिस पर मुकदमा दर्ज करने की मांग
उन्होंने कहा कि एनसीआरबी (NCRB) के आंकड़े भी इस बात की पुष्टि करते हैं कि मध्य प्रदेश आदिवासियों के उत्पीड़न में पहले स्थान पर है. कांग्रेस ने आरोपी पुलिस अधिकारियों पर मुकदमा दर्ज करने की मांग की है.
दूसरी ओर, मध्य प्रदेश सरकार की ओर से मंत्री नरेंद्र शिवाजी पटेल ने बताया कि मामले की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए गए हैं. जांच के बाद ही साफ होगा कि हिरन बैगा नक्सली थे या नहीं. फिलहाल, मुख्यमंत्री ने संवेदनशीलता दिखाते हुए हिरन बैगा के परिवार को 10 लाख रुपये की सहायता राशि दी है. यदि जांच में यह साबित होता है कि हिरन बैगा नक्सली नहीं थे, तो उनके परिवार को 1 करोड़ रुपये और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाएगी. फिलहाल, जांच रिपोर्ट का इंतजार करना चाहिए.
क्या था मामला?
बता दें कि 9 मार्च को मंडला के खटिया क्षेत्र में पुलिस और नक्सलियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें हिरन सिंह पार्थ मारे गए थे. 13 मार्च को पुलिस ने उनकी पहचान बैगा आदिवासी के रूप में की.