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सिस्टम से हारा पिता... बेटी के इलाज में सबकुछ बिका, पेट भरने के लिए ब्लड तक बेचा, फिर हारकर की खुदकुशी

मध्य प्रदेश के सतना में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. यहां एक पिता ने अपनी बेटी के इलाज के लिए मकान, दुकान सबकुछ बेच दिया. इसके बाद तंगी आने पर अपना खून तक बेचा. जब उसे कहीं से मदद नहीं मिली तो हारकर सुसाइड कर लिया. इस घटना के बाद इलाके में शोक की लहर है.

बेटी के इलाज में सबकुछ बिका. बेटी के इलाज में सबकुछ बिका.
योगितारा दूसरे
  • सतना,
  • 19 अप्रैल 2023,
  • अपडेटेड 3:19 PM IST

MP News: मध्य प्रदेश के सतना में दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है. यहां प्रमोद गुप्ता नाम के शख्स ने अपनी दिव्यांग बेटी अनुष्का के इलाज के लिए मकान, दुकान सबकुछ बेच दिया. इसके बाद सरकारी मदद के लिए दफ्तरों के चक्कर लगाए. यहां तक कि परिवार का पेट भरने के लिए अपना खून तक बेचा. इसके बाद जब कहीं से कोई मदद नहीं मिली तो प्रमोद ने सिस्टम से आजिज आकर खुदकुशी कर ली.

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5 साल पहले दिव्यांग हुई थी बेटी

कोलगवां थाना क्षेत्र के ट्रासंपोर्ट नगर में रहने वाले 55 वर्षीय प्रमोद गुप्ता की तीन संतानें हैं. बड़ी बेटी अनुष्का 21 वर्ष की है. बेटे की उम्र 18 तो एक बेटी 12 साल की है. पांच साल पहले हुए सड़क हादसे में अनुष्का पैरालाइज्ड हो गई. तब से वह बिस्तर पर है. बेटी के इलाज के लिए प्रमोद ने हर संभव प्रयास किए. घर, दुकान और जेवर सब कुछ बेच दिया. 

प्रमोद दूसरे के यहां नौकरी करने लगे. सतना से लेकर इंदौर तक बेटी को लेकर गए और डॉक्टरों से मिले. उपचार में लाखों रुपये खर्च करने के बाद भी अनुष्का कभी बिस्तर से उठ न सकी. बिस्तर पर लेटे-लेटे की 10वीं की पढ़ाई की और 76 फीसदी अंक आए.

अनुष्का को पढ़ने का शौक है. पिता ने बेटी की वो कमी भी पूरी की. स्मार्ट फोन खरीदकर दिया, जिससे पढ़ाई कर अनुष्का ने 2022 में 10वीं की परीक्षा पास की. इसके लिए अनुष्का को मेधावी छात्रा का सम्मान भी मिला. मौजूदा कलेक्टर अनुराग वर्मा ने कलेक्ट्रेट में अनुष्का का सम्मान किया था, साथ ही भरोसा भी दिया था कि आगे की पढ़ाई में प्रशासन मदद करेगा. सरकारी योजनाओं का लाभ भी अनुष्का के परिवार को दिया जाएगा.

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वादे हैं वादों का क्या

प्रशासन से हमदर्दी मिलने के बाद अनुष्का के पिता प्रमोद बीपीएल कार्ड समेत तमाम सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए संयुक्त कलेक्ट्रेट के विभिन्न दफ्तरों के चक्कर काटने लगे, मगर, वादे वादे ही रह गए. प्रमोद पर लाखों का कर्ज चढ़ चुका था. दो वक्त की रोटी के लिए भी उनका परिवार मोहताज हो गया. गैस रिफिल कराने के जब पैसे नहीं थे, तब उन्होंने खून बेचकर सिलेंडर रिफिल कराया.

अंततः मौत को लगा लिया गले

प्रमोद ने आखिरकार सरकारी तंत्र के आगे घुटने टेक दिए. उन्होंने जिंदगी से हार मान ली. मंगलवार की सुबह 4 बजे घर से निकले तो फिर लौटकर नहीं गए. आखिरी बार उन्होंने बेटी को कॉल करके सिर्फ इतना कहा कि अब उनकी हिम्मत जवाब दे गई. इतना कहकर प्रमोद गुप्ता ने मुख्त्यारगंज रेलवे फाटक पर ट्रेन से कटकर जान दे दी. सिविल लाइन थाना पुलिस ने मर्ग कायम कर मामले की जांच शुरू कर दी है.

छात्रा ने कहा- प्रशासन मदद करता तो पापा जिंदा होते

अनुष्का गुप्ता ने कहा कि 5 साल पहले मेरा एक्सीडेंट हो गया था, जिस चक्कर में पापा ने मेरे इलाज के लिए दुकान, मकान सबकुछ बेच दिया था. वो 5 साल से परेशान थे. आए दिन हमारे घर में कहीं दूध वाला, कहीं किराने वाला, कहीं किश्त वाला, कहीं कर्ज वाला आ जाता था. इस डिप्रेशन में आकर पिता ने सुसाइड कर लिया. प्रशासन आज अगर मदद करता तो आज पापा जिंदा होते.

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डीएसपी हेडक्वॉर्टर ख्याति मिश्रा ने बताया कि सुसाइड की जानकारी मिली है. हमने मर्ग कायम किया है. पूछताछ की गई तो घर वालों ने बताया कि घर से सुबह 4 बजे के करीब दुकान जाने के लिए निकले थे. जब फोन नहीं लगा और 8 बजे तक कोई खबर नहीं हुई तो घर वालों ने खोजबीन शुरू की. 

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