Advertisement

सिंहस्थ कुंभ: कान्ह और सरस्वती नदियों के कैचमेंट एरिया से हटाए जाएंगे 1500 मकान

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और एमपी हाईकोर्ट ने क्षेत्र में नदियों के किनारों से 30 मीटर तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं. प्रशासन ने इंदौर में दोनों नदियों के कैचमेंट एरिया में करीब 3000 अतिक्रमणों को चिन्हित किया है. 

प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Source: META AI) प्रतीकात्मक तस्वीर (Image Source: META AI)
aajtak.in
  • इंदौर/उज्जैन ,
  • 31 अगस्त 2024,
  • अपडेटेड 5:03 PM IST

उज्जैन में 2028 में होने वाले सिंहस्थ-कुंभ मेले से पहले इंदौर में अतिक्रमण कर बनाए गए करीब 1500 अस्थायी मकान हटाए जाएंगे. यह फैसला क्षिप्रा नदी को प्रदूषण मुक्त बनाने के अभियान का हिस्सा है. अधिकारियों ने बताया कि कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्रों में बने कब्जों को धराशायी किया जाएगा.  

इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया, पहले चरण में कान्ह और सरस्वती नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में अतिक्रमण कर बनाए गए करीब 1500 कच्चे मकानों को हटाया जाएगा. उन्होंने कहा कि जलग्रहण क्षेत्रों से लोगों को स्थानांतरित करने का काम बारिश के कारण प्रभावित हुआ है. अगले पांच से दस दिनों में इस पर काम शुरू कर दिया जाएगा. 

Advertisement

कलेक्टर ने बताया कि नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल और एमपी हाईकोर्ट ने क्षेत्र में नदियों के किनारों से 30 मीटर तक अतिक्रमण हटाने के निर्देश पहले ही दे दिए हैं. प्रशासन ने इंदौर में दोनों नदियों के कैचमेंट एरिया में करीब 3000 अतिक्रमणों को चिन्हित किया है. 

उन्होंने बताया कि अस्थायी मकानों के अलावा इनमें स्थायी आवासीय और व्यावसायिक इमारतें भी शामिल हैं. इंदौर के ग्रामीण इलाकों से निकलने वाली शिप्रा नदी उज्जैन में बहती है. हालांकि, देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में कान्ह और सरस्वती का अत्यधिक प्रदूषित पानी शिप्रा में बहता है, जिससे इसका प्रदूषण और बढ़ जाता है. 

स्थानीय लोगों ने बताया कि भारी प्रदूषण के कारण उज्जैन में शिप्रा का पानी आचमन के लिए भी उपयुक्त नहीं है. सिंहस्थ से पहले क्षिप्रा को प्रदूषण से मुक्त करने के लिए इंदौर प्रशासन ने 600 करोड़ रुपये की कायाकल्प योजना का खाका तैयार किया है. इसमें 11 नए सीवेज उपचार संयंत्र (एसटीपी) स्थापित करना और 450 किलोमीटर लंबी सीवेज लाइन बिछाना शामिल है.

Advertisement

बता दें कि सिंहस्थ मेला हर 12 साल में उज्जैन में आयोजित किया जाता है. उज्जैन में सिंहस्थ के दौरान हजारों हिंदू क्षिप्रा में पवित्र स्नान करते हैं. हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, क्षिप्रा की उत्पत्ति भगवान विष्णु के वराह अवतार वराह के हृदय से हुई है. 

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement