
State of the States Madhya Pradesh: इंडिया टुडे के स्टेट ऑफ स्टेट्स मध्य प्रदेश के मंच पर इमर्जिंग वूमन पावर को लेकर भी चर्चा हुई. 'इमर्जिंग वूमन पावरः डू सक्सेसफुल वूमन इंटिमिडेट मेन' सत्र में मध्य प्रदेश रूरल रोड डेवलपमेंट अथॉरिटी की सीईओ आईएएस तनवी सुंदरियाल, AESECT ग्रुप की पल्लवी राव चतुर्वेदी, बैंकर नंदिता मल्होत्रा और ट्रिवेरा डिजाइंस की प्रिंसिपल डिजाइनर रवीशा मर्चेंट ने शिरकत की.
इंडिया टुडे के इस मंच पर सभी ने जेंडर इश्यू से लेकर कार्यक्षेत्र की दुश्वारियों तक, हर पहलू पर खुलकर बातचीत की. आईएएस तनवी सुंदरियाल ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की है. उन्होंने छात्र जीवन की दुश्वारियों की चर्चा करते हुए कहा कि बीटेक की पढ़ाई करने के बाद लॉ की पढ़ाई की. सर्विस में आने पर भी चुनौतियां हैं. उन्होंने कहा कि ये इस पर निर्भर करता है कि आप बात किससे करती हैं.
तनवी सुंदरियाल ने कहा कि लोगों में महिला अधिकारियों को लेकर थोड़ा ज्यादा रहता है कि क्या हमारी बात सुनी जाएगी. महिला अधिकारियों की जो स्क्रूटनी होती है, किसी पुरुष अधिकारी की इतनी स्क्रूटनी नहीं होती. उन्होंने चुनौतियों को लेकर कहा कि हमें काम के साथ काफी कुछ सोचना पड़ता है. बेटी को भी टाइम देना है. हार्ड वर्क करना पड़ता है. तनवी सुंदरियाल ने कहा कि जब मुझे बेटी हुई थी तब एक और कलीग को भी बेटा हुआ था और उसने छुट्टी ली थी. मुझे तब लगता था कि ये छुट्टी ले रही है और मैं नहीं.
पल्लवी चतुर्वेदी ने चुनौतियों को लेकर कहा कि मैं केमिकल इंजीनियर हूं. दो ही लड़कियां थीं क्लास में. कई चुनौतियां सामने आती हैं और इनसे पार पाना होता है. काफी कुछ सोचते और कड़ी मेहनत करते अब लगता है कि हां प्रूव किया. उन्होंने कहा कि शादी या किसी फैमिली फंक्शन में पुरुष आगे की लाइन में बैठ जाते हैं. महिलाओं को पीछे की लाइंस में बैठना होता है.
नंदिता ने चुनौतियों की चर्चा करते हुए कहा कि कॉरपोरेट को भी चाहिए कि महिलाओं के लिए कोटा रखें. उन्होंने कहा कि मेरे कॅरियर के शुरुआती दिनों में एक टीम लीड कर रही थी. एक कर्मचारी ने इस्तीफा दे दिया जो बहुत अच्छा परफॉर्म कर रहा था. नंदिता ने कहा कि हमने सोचा और इसे लेकर बाकी कर्मचारियों से भी बात की. कर्मचारियों ने बताया कि वह ये नहीं चाहता कि कोई महिला उसे बॉस की तरह इंस्ट्रक्शन दे.
उन्होंने कहा कि जब कॅरियर की शुरुआत की थी तब लोग कहते थे कि ज्यादा दिन नहीं टिक पाएगी, मैटरनिटी लीव लेगी, शहर बदलेगी. अब मुझे काम के दौरान जेंडर के कारण पूर्वाग्रह महसूस नहीं होता. अब चीजें सही दिशा में चल रही हैं. नंदिता ने ये भी कहा कि अब बदलाव आ रहा है और महिलाएं परवरिश के जरिये बदलाव ला रही हैं.
रवीशा मर्चेंट ने कहा कि समानता हमारे परिवार की संस्कृति का हिस्सा शुरू से ही रही है. हमारे परिवार ने शुरू से ही बेटा-बेटी को समान नजर से देखा और पाला. उन्होंने कहा कि शादी के बाद मध्य प्रदेश आई तब जेंडर को लेकर पूर्वाग्रह देखा और जाना. रवीशा ने कहा कि 21 साल से भोपाल में हूं. कई रिमोट इलाकों में जा चुकी हूं.
उन्होंने एक वाकया याद करते हुए कहा कि एक जगह कारपेंटर के लिए कार्यशाला करने के लिए बात हुई. जब कार्यशाला करने गई तो 30 कारपेंटर महिलाएं आई थीं और पुरुष ताश खेल रहे थे.
हाईकोर्ट की टिप्पणी और बिलकिस बानो केस पर कही ये बात
तनवी सुंदरियाल ने भंवरी देवी केस और जेंडर इक्वलिटी को लेकर कानून की किताब का जिक्र करते हुए कहा कि इतिहास फिर से खुद को दोहरा रहा है. उन्होंने कहा कि इस सिस्टम में मेरे साथ कुछ बुरा हुआ, ये कहना सबसे कठिन होता है. बार-बार कोर्ट बुलाया जाता है. बार-बार बताना पड़ता है कि मेरे साथ क्या हुआ. रवीशा मर्चेंट ने रवीशा बानो केस में दोषियों की रिहाई और हाईकोर्ट के जज की उस टिप्पणी को लेकर भी नाराजगी जताई जिसमें ये कहा गया था कि पीड़िता एससी है और आरोपी उच्च जाति के जो उसे छू भी नहीं सकते.