
महिला आरक्षण विधेयक को लेकर मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती का बयान सामने आया है. उमा ने कहा, मैं ना मुख्यमंत्रीजी के साथ कोई जुगलबंदी करना चाहती हूं, ना मैं अपनी पार्टी को कमजोर करना चाहती हूं. ओबीसी वर्ग को मैं स्थान दिलाकर रहूंगी. उन्होंने कहा- ओबीसी वर्ग का आरक्षण संशोधन होना चाहिए और संशोधन हो सकता है. 27 प्रतिशत ओबीसी को और एसटी-एससी वर्ग को 22% आरक्षण दिया जा सकता है.
'25 सितंबर को भोपाल नहीं रहूंगी'
उमा ने बीजेपी उम्मीदवारों की दूसरी सूची में टिकट वितरण को लेकर भी बयान दिया. उन्होंने कहा कि प्रदेश में टिकट बंटवारे में भी आरक्षण होना चाहिए. 50% टिकट एसटी-एससी और ओबीसी वर्ग की महिलाओं को मिलना चाहिए. उमा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे को लेकर कहा, 25 सितंबर को मैं भोपाल में नहीं रहूंगी और ना ही प्रधानमंत्री के सामने इस मामले को उठाना है.
'प्रधानमंत्री ओबीसी महिला आरक्षण पर विचार करें'
उन्होंने कहा, मैं 1996 में महिला आरक्षण के मुद्दे पर ओबीसी वर्ग के साथ खड़ी थी. उस समय कांग्रेस और बीजेपी एक साथ हो गए थे. प्रधानमंत्री इस पूरे मामले को लेकर एक बार फिर विचार करें.
'चर्चा में रहती है उमा की नाराजगी'
बता दें कि बीजेपी की वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती बीते कुछ समय से सुर्खियों में हैं. उमा भारती एक ऐसी नेता हैं, जिनके दखल का असर सत्ता और संगठन में साफतौर पर दिखाई देता रहा है. मध्य प्रदेश की राजनीति में कई ऐसे मौके आए हैं, जब उमा भारती की नाराजगी खुलकर सामने आई है. पिछली बार उनकी नाराजगी तब सामने आई, जब बीजेपी ने उन्हें जन आशीर्वाद यात्रा के लिए न्योता नहीं भेजा था. उन्होंने कहा था कि अगर आप (बीजेपी) उन नेताओं के वजूद को पीछे धकेल देंगे, जिनके दम पर पार्टी का वजूद खड़ा है, तो आप एक दिन खुद खत्म हो जाएंगे. साथ ही कहा था कि अगर अब मुझे न्योता मिला, तो भी इस यात्रा में नहीं जाऊंगी.
'उमा ने 2003 में कांग्रेस की सत्ता से कर दी थी विदाई'
उमा भारती ने आखिरी बार मध्य प्रदेश में 2003 में चुनाव जीता था. तब बीजेपी ने दिग्विजय सिंह के 10 साल के शासन को खत्म कर कांग्रेस को हराया था. यह उस राजनेता के जीवन का एक बड़ा क्षण था, जिन्हें उस समय हिंदुत्व आंदोलन का अग्रणी स्तंभ माना जाता था. हालांकि एक दशक पहले ऐसा दौर भी आया जब उमा भारती को उनके गृह राज्य से निर्वासित कर दिया गया था और उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए मजबूर किया गया था, क्योंकि मध्य प्रदेश के नेताओं ने तर्क दिया था कि उनकी उपस्थिति शिवराज सिंह चौहान सरकार और पार्टी को अस्थिर कर देगी.