
अक्सर देखा जाता है कि गांवों में चौक-चौपाल होते हैं, छोटी-छोटी संकरी गलियां होती हैं और मोहल्ले होते हैं. लेकिन मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में एक ऐसा गांव है जहां न तो कोई चौराहा है, न कोई चौपाल और न ही कोई गली. अगर है तो सिर्फ एक सड़क. इस गांव का नाम है- रूपारेल, जोकि नलखेड़ा इलाके में पड़ता है.
इस गांव में घर, मंदिर, स्कूल, दुकानों से लेकर श्मशान घाट सब कुछ है. लेकिन इन सब जगहों के लिए कोई गली नहीं है. बल्कि एक ही रोड पर यह सब कुछ आपको देखने को मिलेगा. रूपारेल गांव पूरा का पूरा बस एक ही रोड पर बसा हुआ है.
रोड के दाएं और बाएं मकान से लेकर सब कुछ बना हुआ है. सड़क के दोनों तरफ हिंदू और मुस्लिम से लेकर हर जाति और हर वर्ग के लोग भाईचारे के साथ रहते हैं.
गांव में 600 से ज्यादा की आबादी
एक किलोमीटर तक फैसे इस पूरे गांव की आबादी 600 से ज्यादा है. गांव वालों का कहना है कि पहले यह गांव ऐसा नहीं था. 12 साल पहले बांध के निर्माण के बाद पूरा गांव डूब क्षेत्र में आ गया था. जिसके बाद साल 2012 में सरकार ने गांव को अलग से बसाया.
लेकिन बसावट कुछ इस तरह हुई कि पूरे गांव में कहीं भी कोई गली, चौराहा और चौपाल नहीं बन पाया. खैर, इसी खासियत के चलते अब इस गांव को एक अलग से पहचान मिल गई है. लोग इसे एक रोड वाला गांव भी कहते हैं.
आगर मालवा जिले का गांव है रूपारेल
बता दें, रूपारेल गांव आगर मालवा जिले के अंतर्गत आता है. आगर मालवा 16 अगस्त 2013 को मध्य प्रदेश का 51वां जिला बनाया गया था. इसे मौजूदा शाजापुर जिले से अलग कर बनाया एक अलग जिला घोषित कियग गया. इसका प्रशासनिक मुख्यालय आगर शहर में स्थित है. जिले का पश्चिमी भाग आगर पठार है जिसमें आगर मालवा जिले के प्रमुख क्षेत्र आते हैं. इस जिले का क्षेत्रफल 2785 वर्ग किलोमीटर है.
जिले में कई पर्यटन स्थल
इस जिले बहुत सारे पर्यटन स्थल हैं. उनमें से बैजनाथ महादेव मंदिर, बगुलामुखी माता मंदिर- नलखेड़ा, मोतीसागर तालाब, केवड़ा स्वामी भैरवनाथ मंदिर- अगरी, सोमेश्वर महादेव मंदिर, मां तुलजा, भवानी गुफा वरदा, बालाजी पिपल्या खेड़ा, मंशापूर्ण गणपति चिपिया गौशाला प्रमुख हैं. ये सभी पर्यटन स्थल जिला मुख्यालय से 75 किमी की परिधि में हैं.