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बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में एक के बाद एक 10 हाथियों की मौत, MP से दिल्ली तक मचा हड़कंप

पूर्वी मध्य प्रदेश के उमरिया और कटनी जिलों में फैले बांधवगढ़ में हाथियों की मौत की जांच करने वाली राज्य सरकार की ओर से नियुक्त पांच सदस्यीय समिति के प्रमुख कृष्णमूर्ति ने कहा, "हाथियों के पेट में बहुत सारा कोदो बाजरा पाया गया है." 

टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मौत. टाइगर रिजर्व में 10 जंगली हाथियों की मौत.
aajtak.in
  • उमरिया ,
  • 01 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 10:44 AM IST

मध्य प्रदेश के बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व (BTR) में जहरीला पदार्थ खाने से तीन और जंगली हाथियों की मौत हो गई है, जिससे इस सप्ताह अब तक मरने वालों की संख्या 10 हो गई है. इस मामले में वनमंत्री रामनिवास रावत का कहना है कि हाथियों की मौत की जांच होगी. दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा. 

मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक (पीसीसीएफ-वन्यजीव) वीकेएन अंबाडे ने रिजर्व के अंदर से फोन पर एक न्यूज एजेंसी को बताया, बुधवार शाम को एक हाथी की मौत हो गई और गुरुवार को दो अन्य की मौत हो गईं.

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पीसीसीएफ ने कहा, ''फिलहाल हमें (हाथियों की मौत में) कोई गड़बड़ी नहीं मिली है. मैंने आस-पास के कई इलाकों का दौरा किया है. मुझे अभी तक कोई गड़बड़ी नहीं दिख रही है. लेकिन देखते हैं कि (शव परीक्षण और फोरेंसिक) रिपोर्ट क्या कहती है. दिल्ली से वन्यजीव अपराध नियंत्रण ब्यूरो की पांच सदस्यीय टीम रिजर्व में है.''

अंबाडे ने कहा, "राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के नागपुर स्थित क्षेत्रीय अधिकारी, सहायक वन महानिरीक्षक नंदकिशोर काले हालात का आकलन करने के लिए यहां डेरा डाले हुए हैं." 

उन्होंने कहा, "हमारा स्टेट टाइगर स्ट्राइक टीम भी खोजी कुत्तों के साथ जांच कर रहा है. आसपास की कृषि भूमि, धान के खेतों, जल निकायों और उन खेतों से नमूने लिए गए हैं, जहां हाथियों ने कोदो बाजरा खाया था. 

अतिरिक्त प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) एल कृष्णमूर्ति ने कहा, "शव परीक्षण किए गए हैं और परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर पशु चिकित्सकों ने कहा है कि उनके पेट में विषाक्तता देखी गई है." 

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पूर्वी मध्य प्रदेश के उमरिया और कटनी जिलों में फैले बांधवगढ़ में हाथियों की मौत की जांच करने वाली राज्य सरकार की ओर से नियुक्त पांच सदस्यीय समिति के प्रमुख कृष्णमूर्ति ने कहा, "हाथियों के पेट में बहुत सारा कोदो बाजरा पाया गया है." 

कृष्णमूर्ति से जब पूछा गया कि क्या मृत हाथियों ने खेत में छिड़के गए किसी जहरीले कीटनाशक का सेवन किया था, तो उन्होंने कहा, "हमने हाथियों के नमूने (अंदर के हिस्से) जांच के लिए जबलपुर स्थित स्कूल ऑफ वाइल्डलाइफ फोरेंसिक एंड हेल्थ को भेजे हैं. फोरेंसिक जांच से ही विष का पता चलेगा." उन्होंने कहा कि सभी मृत हाथी 13 के झुंड का हिस्सा थे, जिसमें एक नर हाथी भी शामिल था, जिसकी मौत हो चुकी है. 

कृष्णमूर्ति ने बताया कि झुंड के शेष तीन हाथी स्वस्थ हैं और जंगल में उनकी लगातार निगरानी की जा रही है. उन्होंने बाद में एक बयान में कहा कि वन्यजीव स्वास्थ्य अधिकारियों और जबलपुर स्थित एसडब्ल्यूएफएच की टीमों ने नौ हाथियों का पोस्टमार्टम किया है और दसवें शव का पोस्टमार्टम शुक्रवार को किया जाएगा.

कृष्णमूर्ति ने कहा, "नमूने एकत्र किए गए हैं और उन्हें विश्लेषण के लिए एसडब्ल्यूएफएच फोरेंसिक लैब भेजा जाएगा. पशु चिकित्सकों ने कोदो बाजरा से जुड़े माइकोटॉक्सिन की संभावना का संकेत दिया है." माइकोटॉक्सिन साइक्लोपियाज़ोनिक एसिड उत्पन्न करते हैं जो कोदो बाजरा में विषाक्तता पैदा करता है.''

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वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि वन विभाग के वन्यजीव पशु चिकित्सक नियमित संपर्क में हैं और भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान (आईवीआरआई) बरेली, भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) देहरादून, राज्य फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, सागर और सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी) हैदराबाद के विशेषज्ञों से भी सलाह ले रहे हैं ताकि माइकोटॉक्सिन के बारे में गहन जानकारी मिल सके.

भारतीय वन सेवा अधिकारी ने बताया कि मध्य प्रदेश सरकार के निर्णय के अनुसार एसआईटी और स्पेशल टास्क फोर्स की टीमें सभी संभावित एंगल से मामले की जांच कर रही हैं. वन्यजीव विशेषज्ञों के अनुसार, यह शायद देश में पहला मामला है, जहां तीन दिनों के अंतराल में 10 हाथियों की मौत हुई है.

बता दें कि मंगलवार को लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण रिजर्व के खितोली रेंज के अंतर्गत सलखनिया और बकेली क्षेत्रों में चार जंगली हाथी मृत पाए गए. इसके बाद बुधवार और गुरुवार को छह और हाथी मर गए. कृष्णमूर्ति के नेतृत्व वाली जांच समिति को सरकार ने दस दिनों के भीतर अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. 

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