
MP News: सतना जिला मुख्यालय से महज 25 किलोमीटर के फासले पर मौजूद उस गांव तक 50 हजार की आर्थिक मदद पहुंचने में पूरे 13 दिन लग गए, जिस गांव में उज्जैन की दरिंदगी की शिकार 13 साल की छात्रा का घर है. यह सहायता जिला रेडक्रॉस सोसाइटी ने दी है. उल्लेखनीय है कि पुलिस सुरक्षा में उज्जैन से पीड़िता 12 अक्टूबर को यहां अपने घर पहुंची थी. इसी बीच महिला एवं बाल विकास विभाग के जिला कार्यक्रम अधिकारी सौरभ सिंह ने माना कि बुधवार को गांव पहुंची टीम ने पीड़िता के दादा को 50 हजार रुपए की सहायता सौंपी.
बैंक में खोला गया ज्वाइंट एकाउंट
बुधवार को ही पीड़िता और उसके दादा के नाम एक ज्वाइंट एकाउंट इंडियन बैंक की जैतवारा ब्रांच में खोला गया. बैंक खाता खुलने के बाद प्रतिकर की राशि एकाउंट में ट्रांसफर की जाएगी. जिला बाल कल्याण उज्जैन की सिफारिश पर प्रतिकर राशि प्रस्तावित की गई है. लेकिन बैंक एकाउंट नहीं होने के कारण प्रतिकर राशि की प्रक्रिया अधर में थी. इन्हीं जानकारों के मुताबिक प्रतिकर की राशि का निर्धारण केस की स्थिति के आधार पर किया जाता है.
सराहनीय है उज्जैन पुलिस की पहल, 4 लाख से भी ज्यादा का सहयोग
दरिंदगी की शिकार पीडि़ता और उसके परिजनों को तत्काल आर्थिक सहायता पहुंचाने के मामले में उज्जैन के पुलिस अधीक्षक और महाकाल थाने के टीआई की भूमिका सराहनीय है. बताया गया है कि मानवीय संवदेना का परिचय देते हुए उज्जैन के एसपी ने जैतवारा थाने की टीआई के मार्फत जहां एक लाख रुपए की सहायता राशि पहुंचाई थी. वहीं, महाकाल के थाना प्रभारी ने भी जनसहयोग से पीड़ित परिवार को 3 लाख 9 हजार रुपए की सहायता राशि दिलाई थी.
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बता दें कि मध्य प्रदेश के उज्जैन में बीते 26 सितंबर को करीब 12 साल की बच्ची एक सड़क पर खून से लथपथ पाई गई थी. स्थानीय लोगों और पुलिस की मदद से बच्ची को एक अस्पताल ले जाया गया, जहां उसकी प्रारंभिक चिकित्सा जांच में दुष्कर्म किए जाने की पुष्टि हुई. तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर पीड़िता को इंदौर रेफर किया गया. इंदौर में विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक टीम ने पीड़िता का ऑपरेशन किया. पुलिस पड़ताल में पता चला कि बच्ची सतना जिले के जैतवारा थाना इलाके की रहने वाली थी. हालत में सुधार होने पर 12 अक्टूबर को पीड़िता को पुलिस सुरक्षा में उसके गांव छोड़ दिया गया था.
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