
मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल के मेंडोरी जंगल में करीब तीन महीने पहले 19 दिसंबर 2024 को एक लावारिस कार से बरामद हुए 52 किलो सोने और 11 करोड़ रुपए कैश का रहस्य अभी तक अनसुलझा है. इस मामले ने मध्यप्रदेश में कथित ट्रांसपोर्ट घोटाले का जिन्न बाहर ला दिया है, जो अब विधानसभा में भी जोरदार तरीके से गूंज रहा है. गुरुवार को विधानसभा में इस मुद्दे पर जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद कांग्रेस ने सरकार पर कार्रवाई में ढिलाई का आरोप लगाते हुए सदन से वॉकआउट कर दिया.
होली और रंगपंचमी की छुट्टियों के बाद गुरुवार को विधानसभा सत्र की शुरुआत से पहले कांग्रेस ने परिवहन घोटाले को लेकर अनोखा प्रदर्शन किया. महिदपुर से कांग्रेस विधायक दिनेश जैन कुंभकरण बने, जबकि नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार समेत अन्य कांग्रेस विधायकों ने बीन बजाकर प्रतीकात्मक रूप से सरकार को नींद से जगाने की कोशिश की.
यह प्रदर्शन इस बात का प्रतीक था कि लगातार घोटाले के आरोपों का सामना कर रही सरकार को जागकर दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए.
सदन के भीतर परिवहन विभाग में अवैध वसूली और भ्रष्टाचार का मुद्दा गरमाया. ध्यानाकर्षण के दौरान कांग्रेस विधायकों ने जमकर नारेबाजी की. उप नेता प्रतिपक्ष हेमंत कटारे प्रतीकात्मक सोने की ईंट लेकर सदन में पहुंचे. उमंग सिंघार और हेमंत कटारे ने परिवहन विभाग के चेक पोस्ट और नाकों पर अवैध वसूली का मुद्दा उठाया.
उन्होंने सौरभ शर्मा केस को लेकर सरकार को घेरते हुए सवाल किया कि मेंडोरी जंगल में सोने और करोड़ों रुपए नकदी से भरी कार किसकी थी, और यह अब तक क्यों नहीं पता चला. कांग्रेस ने इस मामले की सीबीआई जांच की मांग की, लेकिन सरकार से संतोषजनक जवाब न मिलने पर कांग्रेस विधायकों ने पहले वेल में आकर हंगामा किया और फिर सदन से वॉकआउट कर दिया.
सौरभ शर्मा और मेंडोरी जंगल का मामला
19 दिसंबर 2024 को लोकायुक्त और आयकर विभाग ने पूर्व आरटीओ कांस्टेबल सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी की थी, जिसमें 235 किलो चांदी, 8 करोड़ रुपये की नकदी और आभूषण बरामद हुए थे. उसी रात मेंडोरी जंगल में एक लावारिस कार से 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपये नकद मिले, जिसकी कीमत 40 करोड़ 47 लाख रुपये आंकी गई. जांच में पता चला कि यह कार सौरभ शर्मा के करीबी चेतन सिंह गौर की थी. सौरभ शर्मा और उसके सहयोगी चेतन गौर और शरद जायसवाल वर्तमान में न्यायिक हिरासत में हैं.
17 जनवरी को प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने भोपाल के इंद्रपुरी स्थित नवोदय हॉस्पिटल समेत चार ठिकानों और ग्वालियर के मुरार में चार जगहों पर छापे मारे थे. इस दौरान 42 लाख रुपए नकद, 9.9 किलो चांदी, 12 लाख रुपए नकद और 30 बैंक खातों में 30 लाख रुपए मिले. जांच में यह भी सामने आया कि सौरभ शर्मा ने फर्जी दस्तावेजों के जरिए परिवहन विभाग में नियुक्ति हासिल की थी.
सरकार का जवाब और कांग्रेस का आरोप
सदन में सरकार ने दावा किया कि सौरभ शर्मा की नियुक्ति में सरकारी नियमों का पालन हुआ था, लेकिन जब जांच में उसके फर्जी सर्टिफिकेट की जानकारी मिली, तो उसके खिलाफ कार्रवाई की गई. सीबीआई जांच की मांग पर मंत्री उदय प्रताप सिंह ने कहा कि जब सक्षम एजेंसियां पहले से ही मामले की जांच कर रही हैं, तो सीबीआई जांच की जरूरत नहीं है. हालांकि, कांग्रेस का आरोप है कि सरकार इस मामले को दबाने की कोशिश कर रही है. उमंग सिंघार ने कहा कि चार जांच एजेंसियां (लोकायुक्त, आयकर विभाग, ईडी और डीआरआई) इस मामले की जांच कर रही हैं, लेकिन आपस में तालमेल की कमी के कारण जांच आगे नहीं बढ़ पा रही. उन्होंने लोकायुक्त की भूमिका पर भी सवाल उठाए.
अनसुलझा सवाल: सोना किसका?
तीन महीने बाद भी यह साफ नहीं हो पाया कि मेंडोरी जंगल में मिला 52 किलो सोना और 11 करोड़ रुपए नकद आखिर किसके हैं. कार का मालिक चेतन सिंह गौर सौरभ शर्मा का करीबी है, और सौरभ पर परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं. जांच में सौरभ की डायरी से चेक पोस्ट पर अवैध वसूली का रिकॉर्ड भी मिला है, लेकिन सोने का मालिक कौन है, यह अब तक रहस्य बना हुआ है.
कांग्रेस का कहना है कि अगर निष्पक्ष जांच हो, तो कई बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम सामने आ सकते हैं, जिससे सरकार बचने की कोशिश कर रही है. यह मामला मध्यप्रदेश में भ्रष्टाचार और जांच एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर रहा है. सोशल मीडिया पर भी लोग इस मामले को लेकर सरकार और जांच एजेंसियों की निष्क्रियता पर सवाल उठा रहे हैं.
बहरहाल, यह देखना बाकी है कि क्या इस मामले में असली दोषियों तक पहुंचा जा सकेगा, या यह मध्यप्रदेश के उन तमाम घोटालों की तरह दब जाएगा, जहां असली गुनहगार हमेशा बच निकले हैं.