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मछुआरे भाइयों को नदी मिली थी मूर्ति... जापान के जिस मंदिर में पहुंचे CM मोहन यादव, वहां हर साल आते हैं 3 करोड़ लोग, वर्ल्ड वॉर-2 से भी है कनेक्शन

Japan Sensoji Temple History: भारत की आजादी के करीब ढाई साल पहले यह मंदिर पूरी तरह नष्ट हो गया था. मार्च 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह उस वक्त खंडहर बन गया था, जब अमेरिका ने जापान पर अंधाधुंध बमबारी की थी. इसके बाद इसका पुनर्निमाण किया गया.

इस मंदिर में बसती है जापान के नागरिकों की आत्मा. इस मंदिर में बसती है जापान के नागरिकों की आत्मा.
aajtak.in
  • टोक्यो,
  • 30 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 11:19 AM IST

मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव जापान की चार दिवसीय यात्रा पर हैं. उन्होंने 29 जनवरी को राजधानी टोक्यो स्थित सेंसोजी मंदिर (Sensoji Temple) में भगवान बुद्ध के दर्शन किए. सेंसोजी मंदिर जापान का अहम धार्मिक स्थल है. इसमें जापानियों की आस्था-विश्वास के साथ-साथ आत्मा बसती है. लोग घर से निकलकर पहले मंदिर, फिर काम पर जाते हैं. समय के साथ-साथ सेंसोजी मंदिर धर्म के साथ-साथ पर्यटन का भी बड़ा स्थल बन गया. 

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सेंसोजी मंदिर जापान का प्राचीन बौद्ध मंदिर है. इसे असाकुसा कन्नन के नाम से भी जाना जाता है. यह टोक्यो के असाकुसा में स्थित है. इस मंदिर में एक मुख्य बड़ा हॉल, पांच मंजिला इमारत और बड़े-बड़े दरवाजे हैं. 

बताया जाता है कि हर साल करीब 3 करोड़ लोग इस मंदिर को देखने आते हैं. इस मंदिर से लगी एक सड़क भी है. इस सड़क का नाम नाकामिसे-डोरी है. इस सड़क पर पारंपरिक सामानों की दुकाने हैं. सेंसोजी के पास ही शिंटो धर्म मानने वालों का असाकुसा तीर्थस्थल भी है.

यह है मान्यता
मान्यता है कि धर्म गुरुओं ने इस मंदिर को बोधिसत्व कन्नन (अवलोकितेश्वर) को समर्पित किया है. इसके पीछे एक किंवदंती भी है. बताया जाता है कि 628 ईस्वी में हिनोकुमा हमनारी और हिनोकुमा ताकेनारी नाम के दो मछुआरे भाई थे. उन्हें सुमिदा नदी में कन्नन यानी ईश्वर की एक मूर्ति मिली. वे इस मूर्ति को लेकर गांव आ गए. उन्होंने इसे गांव के मुखिया हाजिनो नाकामोटो को दिखाया. मुखिया ने जब मूर्ति देखकर पहचान लिया कि ये ईश्वर की प्रतिमा है. उन्होंने असाकुसा में अपने घर के मंदिर में मूर्ति को प्रतिष्ठित किया. उसके बाद गांव के लोग इनकी पूजा करने लगे.

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अंधाधुंध बमबारी में खत्म हुआ था मंदिर
जानकारी के मुताबिक, भारत की आजादी के करीब ढाई साल पहले यह मंदिर पूरी तरह नष्ट हो गया था. मार्च 1945 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान यह उस वक्त खंडहर बन गया था, जब अमेरिका ने जापान पर अंधाधुंध बमबारी की थी. इसके बाद इसका पुनर्निर्माण किया गया.

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