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औरंगजेब को हीरो बताने वाले अबू आजमी पीछे हट गए, लेकिन अखिलेश यादव क्यों आगे बढ़ रहे हैं?

कांग्रेस नेतृत्व औरंगजेब मुद्दे से दूरी बनाए हुए हैं. पर अखिलेश यादव की क्या मजबूरी थी अबू आजमी का समर्थन करने की. अखिलेश बोल सकते थे कि अबू आजमी का बयान पार्टी के विचार नहीं है. आखिर आजमी खुद अपने बयान वापस ले चुके हैं.

अबू आजमी और अखिलेश यादव अबू आजमी और अखिलेश यादव
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 05 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 11:04 AM IST

महाकुंभ के अवसर पर प्रयागराज संगम में डुबकी लगाने के बाद ऐसा लग रहा था कि समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव यूपी की राजनीति में खुद को बैलेंस करने की कोशिश कर रहे हैं. पर शायद उनसे एक बार फिर ब्लंडर हो गया है. समाजवादी पार्टी के नेता व महाराष्ट्र विधानसभा के सदस्य अबू आजमी  ने औरंगजेब के मुद्दे पर अपनी बात को वापस लेते हुए एक तरह से अपनी गलती स्वीकार कर ली है. पर अखिलेश यादव ने जिस तरह से अबू आजमी के बयान को एंडोर्स किया है उसे यूपी की राजनीति की लिहाज से कोई भी सही नहीं कह सकता है. मंगलवार को ही उत्तर प्रदेश की विधानसभा में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जिस औरंगजेब को हीरो बताने पर समाजवादी पार्टी को घेरा है वह अनायास ही नहीं है. बीजेपी को इस तरह की मुद्दे चाहिए होते हैं और समाजवादी पार्टी और कांग्रेस उसे बैठे बिठाए इस तरह के सांप्रादायिक ध्रुवीकरण वाले मुद्दे उपलब्ध कराते रहते हैं. औरंगजेब के मुद्दे पर अखिलेश यादव ने भी ऐसी ही गलती कर दी है.

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औरंगजेब का महिमामंडन करने के बाद समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी को महाराष्ट्र विधानसभा से मौजूदा सत्र के लिए सस्पेंड कर दिया गया है. औरंगजेब पर दिए गए बयान के बाद से सियासत गर्माने पर अबू आजमी ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि मैं शिवाजी महाराज और संभाजी महाराज के खिलाफ बोलने के बारे में सोच भी नहीं सकता. मामला एक तरह से खत्म होने वाला था पर इसी बीच अखिलेश यादव  ने इस तरीके बयान दे दिया जिसका 

1-अखिलेश को केवल विचारों की स्वतंत्रता की बात करनी थी

बीजेपी चाहती थी कि अबू आजमी के बयान पर अखिलेश यादव कुछ टिप्पणी करें. आखिर उन्होंने वही कहा जो बीजेपी उनसे उम्मीद कर रही थी. अखिलेश यादव को ऐसे मौके पर राजनीतिक उत्तर देना चाहिए था. जिसका कोई अर्थ नहीं निकलता है. पर अखिलेश ने सीधे सीधे अबू आजमी को एंडोर्स कर दिया. महाराष्ट्र विधानसभा से सपा विधायक अबू आजमी के निलंबन पर पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव खुलकर अपने विधायक के समर्थन में उतर आए हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोग अगर सोचते हैं कि ‘निलंबन’ से सच की ज़ुबान पर कोई लगाम लगा सकता है तो वे गलत सोचते हैं. 'निलंबन का आधार यदि विचारधारा से प्रभावित होने लगेगा तो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और परतंत्रता में क्या अंतर रह जाएगा. हमारे विधायक हों या सांसद उनकी बेखौफ दानिशमंदी बेमिसाल है. कुछ लोग अगर सोचते हैं कि ‘निलंबन’ से सच की ज़ुबान पर कोई लगाम लगा सकता है तो फिर ये उनकी नकारात्मक सोच का बचपना है... आजाद ख्याल कहे आज का, नहीं चाहिए भाजपा.'

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आजाद खयाली, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता आदि तक अखिलेश की बात ठीक लग रही थी पर जब उन्होंने लिखा कि... कुछ लोग अगर सोचते हैं कि ‘निलंबन’ से सच की ज़ुबान पर कोई लगाम लगा सकता है तो फिर ये उनकी नकारात्मक सोच का बचपना है. यह एक वाक्‍य क्लियर कर देता है कि अबू आजमी ने जो कहा वो सच कहा और उसे अखिलेश यादव का पूरा समर्थन है. जाहिर है कि बीजेपी इस बात को यूपी में मुद्दा बनाएगी. अखिलेश काे जवाब देना मुश्किल हो जाएगा.

2-अखिलेश को कांग्रेस की राह पर चलना चाहिए था

अखिलेश यादव को औरंगजेब के मुद्दे पर इंडिया गुट के अन्य साथियों को देखना चाहिए. कांग्रेस के बड़े नेता इस मुद्दे से दूरी बनाए हुए हैं. कांग्रेस सांसद इमरान मसूद, कांग्रेस नेता उदित राज आदि ने जरूर अबू आजमी आदि का समर्थन किया है पर राहुल गांधी, प्रियंका गांधी आदि ने अभी तक चुप्पी बरती हुई है. जाहिर है कि कांग्रेस समझ गई है कि बीजेपी का मुकाबला हिंदू विरोधी बनकर नहीं किया जा सकता है. अखिलेश यादव भी इस बात को समझ रहे हैं. शायद यही कारण है कि उन्होंने महाकुंभ में न केवल डुबकी लगाई बल्कि विरोध के मुद्दे पर बहुत शालीनता वाली भाषा का प्रयोग किया. बल्कि यहां तक कहा कि देश के बहुत से हिंदू चूंकि संगम में डुबकी नहीं लगा सके हैं इसलिए महाकुंभ का पीरियड बढाया जाए. पर अचानक अबू आजमी का समर्थन करके उन्होंने बैकफुट पर आने का काम किया है.   

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3-बीएमसी चुनाव में मामूली फायदा लेने के लिए यूपी में अपने लिए कांटे बो रहे हैं अखिलेश

हो सकता है कि अखिलेश यादव इस मुगालते में हों कि महाराष्ट्र में विधानसभा चुनावों में मिली सफलता से बेहतर वो बीएमसी के चुनाव में कर सकते हैं. इसमें कोई दो राय नहीं है कि जिस तरह का स्ट्राइक रेट उनका विधानसभा चुनावों में रहा है उसे देखते हुए अबू आजमी की बात को सपोर्ट करने से समाजवादी पार्टी को बीएमसी चुनावों में कुछ लाभ हो सकता है. पर अखिलेश को यहां अगर 5 से 10 सीट जीत भी लेते हैं तो क्या समाजवादी पार्टी मजबूत हो जाएगी? समाजवादी पार्टी का बेस उत्तर प्रदेश है.अगर पार्टी यहां कमजोर होती है तो उसे बाहर भी कोई पूछने वाला नहीं मिलेगा. उत्तर प्रदेश में जिस तरह योगी -योगी हो रहा है उससे पार पाने के लिए बहुत मेहनत करनी होगी. यह दो नावों पर पैर रखकर नहीं हासिल किया जा सकता है.

4-योगी की ललकार का कैसे करेंगे मुकाबला

यूपी विधान परिषद में बोलते हुए सीएम योगी आदित्यनाथ ने महाराष्ट्र के विधायक अबू आजमी के औरंगजेब वाले बयान को बुधवार को जिस तरह मुद्दा बनाया है उसे देखते हुए यही लगता है कि बीजेपी इसे मुद्दा बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ने वाली है. उन्होंने कहा कि सपा उसे आदर्श मानती है जो भारत के लोगों पर जजिया लगाता था. ऐसे लोगों को पार्टी से बाहर कर देना चाहिए. पता नहीं उसका साथ देने की क्या मजबूरी है. ऐसे लोगों को उत्तर प्रदेश भेजना चाहिए, यहां ढंग से इलाज होता है.बकौल सीएम योगी- उस व्यक्ति को (समाजवादी) पार्टी से निकालकर यूपी भेजो, हम उसका इलाज करेंगे. जो व्यक्ति छत्रपति शिवाजी महाराज की विरासत पर शर्म महसूस करता है, गर्व करने के बजाय औरंगज़ेब को अपना आदर्श मानता है, क्या उसे हमारे देश में रहने का अधिकार है? समाजवादी पार्टी को इसका जवाब देना चाहिए. आप औरंगज़ेब जैसे व्यक्ति की प्रशंसा करते हैं, जिसने देश के मंदिरों को नष्ट किया...आप अपने उस विधायक को नियंत्रित क्यों नहीं कर सकते? आपने उसके बयान की निंदा क्यों नहीं की? जाहिर है कि योगी आदित्यनाथ और बीजेपी के अन्य नेता इस मुद्दे पर बार-बार समाजवादी पार्टी को घेरेंगे. मंगलवार को दोनों डिप्टी सीएम ने भी अबू आजमी के बयान पर समाजवादी पार्टी को टार्गेट किया था.
 

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