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हरियाणा BJP में टिकटों की मारामारी के बाद अब सीएम बनने के लिए सिर-फुटव्‍वल | Opinion

हरियाणा में बीजेपी ने मुख्यमंत्री पद का मामला अपनी तरफ से चुनाव से पहले ही सुलझा लिया था, लेकिन अब लगता है, ये झगड़ा तो टिकट बंटवारे से भी ज्यादा मुश्किल होने वाला है - पहले से ही नाराज चल रहे अनिल विज मुख्यमंत्री पद के नये दावेदार बन गये हैं.

नायब सिंह सैनी आखिर हरियाणा बीजेपी में सर्वमान्य चेहरा क्यों नहीं बन पा रहे हैं? नायब सिंह सैनी आखिर हरियाणा बीजेपी में सर्वमान्य चेहरा क्यों नहीं बन पा रहे हैं?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 16 सितंबर 2024,
  • अपडेटेड 4:20 PM IST

हरियाणा में बीजेपी का अंदरूनी झगड़ा खत्म ही नहीं हो रहा है. पहले टिकटों के लिए मारामारी चल रही थी, अब मुख्यमंत्री पद के नये नये दावेदार सामने आने लगे हैं. 

मुख्यमंत्री पद के लेटेस्ट दावेदार हैं, हरियाणा सरकार के पूर्व गृह मंत्री अनिल विज, जिन्हें नायब सैनी सरकार के मंत्रिमंडल में भी जगह नहीं मिल पाई. फिलहाल वो अंबाला कैंट विधानसभा सीट से बीजेपी के उम्मीदवार हैं.  

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अनिल विज से पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने भी ऐसा ही दावा किया था, लेकिन बीजेपी ऐसे दावों को सीधे सीधे खारिज कर रही है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि मौजूदा मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी को पहले ही हरियाणा में बीजेपी के मुख्यमंंत्री पद का चेहरा घोषित किया जा चुका है - सवाल है कि अगर वास्तव में नायब सैनी ही चेहरा हैं तो हरियाणा बीजेपी में रोज रोज बवाल क्यों हो रहा है?  

हरियाणा बीजेपी में मुख्यमंत्री पद के नये नये दावेदार क्यों उभरने लगे?

मनोहरलाल खट्टर सरकार में अनिल विज हरियाणा के गृह मंत्री हुआ करते थे, और मध्य प्रदेश के होम मिनिस्टर रहे नरोत्तम मिश्रा की तरह तो नहीं, लेकिन अनिल विज के बयानों पर भी कम बवाल नहीं होते थे - खासकर हिंदुत्व से जुड़े मुद्दों को लेकर. 

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मुख्यमंत्री पद पर अपनी दावेदारी के पीछे अनिल विज की सबसे बड़ी दलील है, हरियाणा में मैं सबसे सीनियर विधायक हूं… मैंने छह बार चुनाव लड़ा है... मैंने पार्टी से कभी कुछ नहीं मांगा, लेकिन लोगों की मांग पर… मैं इस बार अपनी वरिष्ठता के आधार पर मुख्यमंत्री पद के लिए दावा करूंगा.

कहते हैं, मैं जहां-जहां गया हूं, सब मुझे कह रहे हैं कि आप सीनियर मोस्ट हो, ऐसे में आप CM क्यों नहीं बने? अगर सरकार बनती और पार्टी ने मुझे मुख्यमंत्री पद सौंपा तो मैं हरियाणा की तकदीर और तस्वीर दोनों बदल दूंगा.

लेकिन अनिल विज हकीकत से भी पूरी तरह वाकिफ हैं, तभी तो कहते हैं, मुझे मुख्यमंत्री बनाना है या नहीं, ये हाईकमान के हाथ में है. 

अनिल विज से ठीक पहले केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह को भी ऐसे ही दावे करते सुना गया. खास बात ये रही कि वो भी अनिल विज की ही तरह अपनी इच्छा लोगों के हवाले से ही जाहिर कर रहे थे. 

मीडिया के एक सवाल के जवाब में राव इंद्रजीत ने कहा था, ये मेरी नहीं बल्कि जनता की इच्छा है कि मैं मुख्यमंत्री बनूं… आज भी लोग चाहते हैं कि मैं मुख्यमंत्री बनूं.' 

नायब सैनी के रहते मुख्यमंत्री पद पर नई दावेदारी क्यों?

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हरियाणा में अब 5 अक्टूबर को मतदान होना है, जिसमें मुश्किल से तीन हफ्ते का वक्त बचा है और नायब सैनी के बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के चेहरे पर पार्टी में ही सवाल खड़े होने लगे हैं. 
केंद्रीय मंत्री मनोहरलाल खट्टर ने मुख्यमंत्री पद पर अनिल विज के दावे को सीधे सीधे खारिज कर दिया है. मनोहरलाल खट्टर का कहना है कि बीजेपी ने नायब सिंह सैनी को ही मुख्यमंत्री बनाने का फैसला किया है.
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का कहना है, दावेदारी पेश करने की चाहत कोई भी रख सकता है, इसमें कोई आपत्ति नहीं है… बीजेपी ने फैसला कर लिया है कि अगले मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ही होंगे.

और ठीक वैसे ही राव इंद्रजीत सिंह के दावे को लेकर भी मनोहरलाल खट्टर का वही जवाब होता है, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले ही मंच से घोषणा कर चुके हैं कि चुनाव नायब सैनी के नेतृत्व में लड़ा जाएगा.

लोकसभा के बाद विधानसभा के पहले चुनाव हरियाणा और जम्मू-कश्मीर में हो रहे हैं, और मनोहरलाल खट्टर की बातों से बीजेपी की केंद्रीय नेतृत्व की रणनीति में बदलाव समझ में आ रहा है - कहीं ये लोकसभा चुनाव के नतीजों का असर तो नहीं है?

2023 में हुए सारे ही विधानसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर लड़े गये थे, जम्मू-कश्मीर की तो मजबूरी समझ में आती है लेकिन हरियाणा चुनाव नायब सैनी के ही चेहरे पर लड़ा जा रहा है. होना भी ऐसा ही चाहिये, लेकिन बीजेपी ऐसा नहीं करती थी, इसलिए आशचर्य हो रहा है.

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अनिल विज हाशिये पर क्यों भेज दिये गये हैं

टिकट बंटवारे के दौरान हरियाणा में कम से कम चार बीजेपी नेता ऐसे देखे गये जो उम्मीदवार न बनाये जाने पर सरेआम रो पड़े थे - और ऐसे नेताओं में तो मौजूदा नायब सैनी सरकार के एक मंत्री भी शामिल हैं. 

वैसे ही हालात अब मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर भी नजर आने लगे हैं. अव्वल तो 2014 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में भी अनिल विज को मुख्यमंत्री चेहरा माना जा रहा था, लेकिन बीजेपी की जीत के बाद मनोहरलाल खट्टर ने बाजी मार ली. जब चुनाव से पहले हरियाणा में मुख्यमंत्री बदला गया तब भी अनिल विज की उम्मीद जगी होगी, लेकिन नायब सिंह सैनी काबिज हो गये.

अनिल विज अपना गुस्सा छुपा नहीं पाये, और नाराज होकर घर चले गये. बाद में उनको मनाने के लिए खुद नायब सैनी गये जरूर, कैबिनेट में जगह नहीं दी गई.

अनिल विज स्वभाव से अक्खड़ हैं, लेकिन उनकी छवि इमानदार नेता की है, और हिंदुत्व की बातें भी जोरदार तरीके से करते हैं - कहीं ऐसा तो नहीं कि बीजेपी को अनिल विज में भी योगी आदित्यनाथ की छवि नजर आ जाती है. 

फिर तो बीजेपी पहले से ही मानकर चल रही होगी कि अगर अनिल विज को मुख्यमंत्री बना दिया गया तो कंट्रोल कर पाना मुश्किल होगा. या फिर, अंबाला में मजबूती दर्ज कराने के लिए किसी खास रणनीति के तहत जानबूझ कर अनिल विज को आगे किया जा रहा है - क्योंकि 2014 से अंबाला लोकसभा सीट पर काबिज रही बीजेपी को इस बार कांग्रेस ने झटका दे दिया है.

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