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पंजाब में केजरीवाल और राहुल गांधी कैसे एक दूसरे से बचने की कोशिश कर रहे हैं

पंजाब में अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी एक दूसरे को टारगेट करना छोड़ कर पूरा जोर बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ लगा रहे हैं - हां, कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं का हाल अधीर रंजन चौधरी जैसा ही है, लेकिन उनके निशाने पर भगवंत मान नहीं, बल्कि अरविंद केजरीवाल हैं.

अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी तो लगता है पंजाब में कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली मैच खेल रहे हैं! अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी तो लगता है पंजाब में कुछ ज्यादा ही फ्रेंडली मैच खेल रहे हैं!
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 27 मई 2024,
  • अपडेटेड 4:49 PM IST

जैसे अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी दोनों के तीर पंजाब की धरती से एक ही निशाने पर जा रहे हैं, केंद्रीय मंत्री अमित शाह एक ही तीर से दोनों पर निशाने साध रहे हैं. लुधियाना पहुंचे अमित शाह ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस नेता राहुल गांधी को लेकर कहा, '1 जून को केजरीवाल को जेल जाना है, और 6 जून को राहुल बाबा वेकेशन पर बैंकॉक जा रहे हैं.' 

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वैसे अरविंद केजरीवाल 1 जून तक अंतरिम जमानत पर हैं, लिहाजा 2 जून को सरेंडर करना है, लेकिन ये फैसला भी अभी सुप्रीम कोर्ट को करना है. क्योंकि अरविंद केजरीवाल ने मेडिकल ग्राउंड पर अंतरिम जमानत एक हफ्ते बढ़ाने की अर्जी डाली हुई है.

अरविंद केजरीवाल ने अंतरिम जमानत 7 दिन बढ़ाने के लिए अपनी सेहत का हवाला दिया है. केजरीवाल ने शक जताया है कि उनको कोई बड़ी बीमारी हो सकती है. दिल्ली के मुख्यमंत्री ने अपनी याचिका में कहा है, ‘गिरफ्तारी के बाद मेरा वजन 7 किलो घटा है... मेरा कीटोन लेवल हाई है... किसी गंभीर बीमारी के लक्षण हो सकते हैं... मैक्स के डॉक्टरों ने जांच की है, इसलिए मुझे PET-CT स्कैन और कई टेस्ट करवाने की जरूरत है.’

केजरीवाल और राहुल गांधी का पंजाब कैंपेन

दिल्ली में मतदान हो जाने के बाद अरविंद केजरीवाल के साथ साथ राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी पंजाब का रुख किया है, और अपने अपने हिसाब से वोट मांग रहे हैं. लेकिन तौर तरीका वही है जैसा 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के रोड शो के दौरान देखने को मिला था. 

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तब राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल का उतना ही जिक्र किया था, जितना 2021 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में बोला था. चलते चलते एक बार ममता और मोदी में कोई फर्क नहीं बोलकर वो केंद्र की मोदी सरकार पर फोकस हो गये थे, लेकिन दिल्ली में तो सारी हदें ही पार कर डाली थीं.

राहुल गांधी का कहना था, 'ये जो नरेंद्र मोदी भाषण दे रहा है... छह महीने बाद ये घर से बाहर नहीं निकल पाएगा... हिंदुस्तान के युवा इसको ऐसा डंडा मारेंगे... इसको समझा देंगे कि हिंदुस्तान के युवा को रोजगार दिए बिना ये देश आगे नहीं बढ़ सकता.'

पंजाब में राहुल गांधी ने ऐसा कुछ तो नहीं दोहराया है, लेकिन अरविंद केजरीवाल के साथ करीब करीब दिल्ली की तरह ही पेश आ रहे हैं. दिल्ली में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का चुनावी गठबंधन हुआ है, लेकिन पंजाब के चुनाव मैदान में दोनों आमने-सामने हैं.

वैसे दिल्ली में गठबंधन होने के बाद भी वैसा कैंपेन नहीं देखने को मिला जैसा उत्तर प्रदेश में. यूपी में तो राहुल गांधी, समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव के साथ जगह जगह रोड शो और प्रेस कांफ्रेंस करते देखे गये - और हां, अरविंद केजरीवाल भी अखिलेश यादव के साथ प्रेस कांफ्रेंस करने लखनऊ तक पहुंच गये थे. अखिलेश यादव ने भी राज्यसभा सांसद स्वाति मालीवाल के साथ हुई मारपीट की घटना को लेकर पूछे गये सवाल पर पूरा साथ भी दिया था. 

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लेकिन स्वाति मालीवाल केस को अखिलेश यादव के मुकाबले कांग्रेस ने गंभीरता से लिया. प्रियंका गांधी ने तो पहले ही बोल दिया था कि वो स्वाति मालीवाल के साथ खड़ी हैं, और अगर वो बात करती हैं तो, वो बात भी करेंगी और आगे भी सपोर्ट करेंगी. 

और इतना ही नहीं, राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल के साथ दिल्ली में मंच भी नहीं शेयर किया. ये चीज महसूस तो लखनऊ में मल्लिकार्जुन खरगे की लखनऊ वाली प्रेस कांफ्रेंस को लेकर भी कहा जा रहा था. पहले सुनने में आया था कि अखिलेश यादव,अरविंद केजरीवाल और खरगे तीनो प्रेस कांफ्रेंस करेंगे, लेकिन उस दिन केजरीवाल का दौरा रद्द हो गया, दिल्ली में जरूर आम आदमी पार्टी के नेता ने कांग्रेस उम्मीदवारों के पक्ष में रोड शो किया था. 

दिल्ली में गठबंधन से पहले तो राहुल गांधी को अरविंद केजरीवाल से परहेज करते ही देखा जाता रहा, अगस्त 2018 में एक मौका ऐसा भी आया जब दोनों एक कार्यक्रम में शामिल हुए, लेकिन अलग अलग वक्त पर. 

बिहार के मुजफ्फरपुर रेप कांड को लेकर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना आयोजित किया था, जिसमें विपक्षी दलों के तमाम नेता बुलाये गये थे. राहुल गांधी और अरविंद केजरीवाल दोनों तैयार हो गये, लेकिन एक दूसरे के साथ मंच शेयर नहीं करना चाहते थे. तेजस्वी यादव की टीम ने ऐसे मैनेज किया कि जब राहुल गांधी मंच पर आये तो अरविंद केजरीवाल नहीं थे, और जब केजरीवाल मंच पर मौजूद थे तो वहां राहुल नहीं थे.

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अरविंद केजरीवाल और राहुल गांधी को छोड़ दें तो पंजाब में भी कांग्रेस के क्षेत्रीय नेताओं का हाल अधीर रंजन चौधरी जैसा ही है, लेकिन उनके निशाने पर ममता बनर्जी की तरह भगवंत मान नहीं हैं, बल्कि चरणजीत सिंह चन्नी और चरण सिंह सापरा जैसे नेताओं के निशाने पर तो अरविंद केजरीवाल ही हैं - और ये नेता भी आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार और दिल्ली शराब नीति केस में घोटाले की बात वैसे ही ही जोरशोर से कर रहे हैं जैसे बीजेपी के नेता.

पंजाब की सभी 13 सीटों पर केजरीवाल का दावा

दिल्ली विधानसभा चुनाव के 2 साल बाद ही पंजाब में भी विधानसभा के लिए चुनाव हुए थे, लेकिन उस वक्त राहुल गांधी के भी तेवर बदल गये थे. हिंदी कवि कुमार विश्वास के बयान का हवाल देकर राहुल गांधी भी मोदी और अमित शाह की तरह अरविंद केजरीवाल से आतंकवादियों से रिश्ते होने के इल्जाम पर जवाब मांग रहे थे - लेकिन अभी तो सभी के मिजाज काफी बदले बदले हैं. 

जैसे राहुल गांधी केंद्र में विपक्ष की सरकार बनने पर किसानों का कर्ज माफ करने और एमएसपी के वादे कर रहे हैं, एक बार फिर प्रियंका गांधी वाड्रा खुद के पंजाबी बहू होने की दुहाई देते हुए कांग्रेस के लिए वोट मांग रही हैं. कहती हैं, मेरी शादी ठेठ पंजाबी परिवार में हुई है... बंटवारे के बाद मेरे ससुर ने पंजाब में अपना कारोबार शुरू किया... मैंने सास से पंजाबियत की बातें सीखी है.

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राहुल गांधी भले ही देश भर की तरह पंजाब में भी INDIA गठबंधन की सरकार बनने की बात कर रहे हों, लेकिन अरविंद केजरीवाल सिर्फ अपने उम्मीदवारों के लिए वोट मांग रहे हैं - और पंजाब के लोगों से आम आदमी पार्टी के 13 सांसद दिल्ली भेजने की अपील कर रहे हैं. 

कहते हैं, हम पंजाब के हक के लिए लड़ जाएंगे... आपके सारे मसलों का समाधान हो जाएगा... विधानसभा में कानून पास होते हैं तो गवर्नर उसे लेकर बैठ जाते हैं. फिर क्या फायदा हुआ? अगर आप हमें 13 सांसद देंगे, तो आपके बिल को रोकने की गवर्नर की हिम्मत नहीं होगी.

पंजाब में अरविंद केजरीवाल कह रहे हैं, मैं देश बचाने की अपील करने आया हूं... हम एक समय की रोटी कम खा लेंगे लेकिन तानाशाही बर्दाश्त नहीं करेंगे... देश तानाशाही की तरफ बढ़ रहा है.

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