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अरविंद केजरीवाल को विश्वास मत हासिल करके भी क्या मिल जाएगा?

अरविंद केजरीवाल की 17 फरवरी को कोर्ट में और 19 फरवरी को ED के सामने पेशी है. पेशी के एक दिन पहले मुख्यमंत्री ने दिल्ली विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया है. नंबर गेम कहता है कि अरविंद केजरीवाल आसानी से विश्वास मत हासिल कर लेंगे - सवाल है कि समय और श्रम जाया करने की जरूरत ही क्या थी?

अरविंद केजरीवाल के लिए विश्वास मत हासिल करना आसान है, मुश्किलें और भी हैं अरविंद केजरीवाल के लिए विश्वास मत हासिल करना आसान है, मुश्किलें और भी हैं
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 16 फरवरी 2024,
  • अपडेटेड 8:04 PM IST

मौजूदा कार्यकाल में ये तीसरा मौका है, जब अरविंद केजरीवाल ने विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव पेश किया है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल इससे पहले अगस्त, 2022 और फिर मार्च, 2023 में भी विश्वास प्रस्ताव ला चुके हैं. आम आदमी पार्टी के विधायकों की संख्या को देखते हुए, कोई भी समझ सकता है कि अरविंद केजरीवाल की जीत पक्की है - और अगर जीत पक्की है तो बार बार विश्वाम प्रस्ताव लाने की जरूरत क्यों पड़ती है? 

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ये विश्वास प्रस्ताव ऐसे वक्त पेश किया है, जब दिल्ली सरकार का बजट टाल दिया गया है, और विधानसभा का सत्र भी आगे बढ़ा दिया गया है - ऊपर से विपक्षी दल बीजेपी के 8 में से 7 विधायकों को सस्पेंड कर दिया गया है. 

तो क्या लोक सभा चुनाव 2024 के मैदान में उतरने से पहले अरविंद केजरीवाल विधानसभा में आम आदमी पार्टी के विधायकों की गिनती कराना चाहते हैं? सवाल का जवाब नहीं मिल रहा है, और इस सवाल का जवाब भी नहीं मिल रहा है कि ऐसा करके अरविंद केजरीवाल हासिल क्या कर लेंगे?

एक और विश्वास प्रस्ताव और 'तारीख पे तारीख'

अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली विधानसभा में विश्वास प्रस्ताव ऐसे वक्त पेश किया है, जब सदन में विपक्षी दल यानी बीजेपी का सिर्फ एक विधायक बचा है. दिल्ली विधानसभा के बजट सत्र के दूसरे दिन विपक्ष के नेता रामवीर सिंह बिधूड़ी को छोड़ कर बीजेपी के सभी सात विधायकों को सस्पेंड कर दिया गया. 

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बजट सत्र के पहले दिन उप राज्यपाल वीके सक्सेना के अभिभाषण में बाधा पहुंचाने के मामले में सत्ताधारी आम आदमी पार्टी के विधायक दिलीप पांडे ने हंगामा करने वाले विधायकों के खिलाफ एक्शन लिये जाने का प्रस्ताव रखा. स्पीकर रामनिवास गोयल ने मामला तो विशेषाधिकार समिति को भेज दिया, लेकिन रिपोर्ट के आने तक बीजेपी के सातों विधायकों को सदन की कार्यवाही से सस्पेंड करने का प्रस्ताव पास कर दिया. 

दिल्ली सरकार की वित्त मंत्री आतिशी ने बजट सत्र के पहले ही दिन बताया कि बजट फाइनल होने में कुछ देर है. आतिशी के मुताबिक, उप राज्यपाल ने बजट को मंजूरी दे दी है. जिसके बाद गृह मंत्रालय को भेजा जाता है, और वहां से अप्रूवल मिलने में 10-15 दिन लग जाता है... मेरा अनुमान है कि 25 तारीख से पहले बजट पेश नहीं हो पाएगा. बजट में देर की वजह से वित्त मंत्री आतिशी ने सत्र को बढ़ाये जाने का प्रस्ताव रखा था,  जिसे स्पीकर ने मंजूर करते हुए बजट सत्र को मार्च के पहले हफ्ते तक बढ़ा दिया है. 

तो क्या बजट में देर है, इसलिए अरविंद केजरीवाल ने तब तक के लिए विश्वास प्रस्ताव ला दिया है? ये तो टाइमपास जैसा ही लगता है, जब तक विश्वास प्रस्ताव पर बहस होगी, और वोटिंग या जो भी तरीका अपनाया जाये, बजट का वक्त भी आ जाएगा.

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ध्यान देने वाली बात ये है कि इसी दौरान दो महत्वपूर्ण तारीखें भी हैं. 17 फरवरी और 19 फरवरी. 

दिल्ली विधानसभा के स्पीकर ने अरविंद केजरीवाल के विश्वास प्रस्ताव पेश करते ही सदन स्थगित कर दिया, और बताया कि 17 फरवरी सदन की कार्यवाही फिर शुरू होगी. यानी विश्वास प्रस्ताव पर बहस भी 17 फरवरी को शुरू होगी, ये वही तारीख है जब दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट ने अरविंद केजरीवाल को पेश होने के लिए कहा है. 

अदालत ने ये आदेश ईडी की उस अर्जी पर दिया, जिसमें जांच एजेंसी का कहना था कि एक एक करके पांच नोटिस दिये जाने के बावजूद अरविंद केजरीवाल पेश नहीं हो रहे हैं - देखना है अरविंद केजरीवाल दिल्ली विधानसभा में मौजूद रहते हैं, या राउज एवेन्यू कोर्ट में पेश होते हैं? संवैधानिक तौर पर दोनों ही चीजें जरूरी हैं. 

कोर्ट में अर्जी देने के बाद ईडी ने अरविंद केजरीवाल को छठा समन भेजा है, और पेश होने के लिए 19 फरवरी की  तारीख मुकर्रर की है. 

जाहिर है, राउज एवेन्यू कोर्ट के रुख के बाद ही अरविंद केजरीवाल के कानूनी सलाहकार 19 फरवरी की रणनीति बनाएंगे. अब अरविंद केजरीवाल की तरफ से ईडी के नोटिस को गैरकानूनी बताया जाता रहा है. 

21 विधायक चले जाते, तब भी सरकार बनी रहती

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दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने खुद ही विश्वास प्रस्ताव लाने की सोशल साइट X पर सूचना दी थी,  'विधानसभा में आज मैं विश्वास मत रखूंगा'.

और प्रस्ताव पेश करने से पहले कुछ बातें बताईं. सारी बातें पहले जैसी ही थीं, लेकिन भाषण में कई विसंगतियां दिखीं - जबकि अरविंद केजरीवाल हमेशा ही सीधे सीधे और साफ साफ बातें करते हैं. कम ही ऐसे मौके होते हैं जब उनके राजनीतिक बयानों के मतलब समझने के लिए दिमाग पर जोर डालना पड़ता है. 

आम आदमी पार्टी के दो विधायकों का हवाला देते हुए अरविंद केजरीवाल ने समझाने की कोशिश की कि किस तरह बीजेपी विधायकों की खरीद-फरोख्त की कोशिश कर रही है, ताकि दिल्ली की उनकी सरकार गिराई जा सके.

अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, बारी बारी दो विधायकों ने उनसे मिल कर कहा कि बीजेपी की तरफ से उनसे संपर्क किया जा रहा है - और मुख्यमंत्री को वे लोग गिरफ्तार कर लेंगे. अरविंद केजरीवाल की मानें तो दोनों विधायकों से संपर्क करने वालों ने 25 करोड़ रुपये का ऑफर दिया था. 

विधायकों से ही अरविंद केजरीवाल को मालूम हुआ कि सात विधायकों से संपर्क किया गया है. दोनों विधायकों ने अपने नेता को ये भी बताया कि उन्होंने ऑफर ठुकरा दिया है. अरविंद केजरीवाल ने बताया, आगे की पड़ताल में मालूम हुआ कि सिर्फ सात ही नहीं बल्कि आम आदमी पार्टी के ऐसे 21 विधायकों से संपर्क किया गया है, और AAP नेता के मुताबिक, खुशी की बात ये रही कि सारे ही विधायकों ने करोड़ों का ऑफर ठुकरा दिया.

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ये तो साफ है कि अरविंद केजरीवाल ही बता रहे हैं कि सारे ही विधायक उनके साथ हैं, तो क्या विधानसभा में एक बार फिर चेक करने की कोशिश हो रही है कि सब कुछ ठीक तो है ना? या फिर ये व्यस्तताएं ईडी के छठे समन के जवाब में अरविंद केजरीवाल की व्यस्तता का आधार बनेंगी?

और अरविंद केजरीवाल एक बार फिर ईडी अफसरों को छकाने में सफल रहेंगे? कोई दो राय नहीं कि दोनों ही पक्ष कानूनी तरीके से ही आगे बढ़ रहे हैं, लेकिन ये शह और मात का खेल कब तक चलने वाला है? 

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