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दिल्ली में केजरीवाल की जीत और हार दोनों ही बीजेपी पर बराबर असर डालने वाले हैं | Opinion

दिल्ली विधानसभा चुनाव को अगर बीजेपी और कांग्रेस के हिसाब से देखें, तो अरविंद केजरीवाल की हार और जीत - दोनों ही सूरत में फायदा और नुकसान बराबर लगता है.

अरविंद केजरीवाल अब बीजेपी और कांग्रेस दोनो के लिए दुधारी तलवार बन गये हैं. अरविंद केजरीवाल अब बीजेपी और कांग्रेस दोनो के लिए दुधारी तलवार बन गये हैं.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 09 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:18 PM IST

दिल्ली चुनाव को लेकर INDIA ब्लॉक में फूट पड़ जाने से नये समीकरण, और नई संभावनाएं बनने लगी हैं. मैदान में आम आदमी पार्टी और बीजेपी भी डटे हुए हैं, लेकिन पूरी लड़ाई में सिर्फ कांग्रेस ही अकेली पड़ती नजर आ रही है. 

कांग्रेस की कोशिश रही होगी कि दिल्ली में त्रिकोणीय मुकाबला हो जाये, न कि लड़ाई आम आदमी पार्टी बनाम भारतीय जनता पार्टी बन कर रह जाये, लेकिन अब तो बात काफी आगे निकल चुकी है. 

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अरविंद केजरीवाल को अखिलेश यादव और ममता बनर्जी का सपोर्ट मिल जाने के बाद साफ है कांग्रेस कमजोर पड़ेगी, और मुकाबले में पिछड़ भी सकती है. 

दिल्ली में वोट शेयर काफी कम हो जाने की वजह से कांग्रेस की दावेदारी तो वैसे भी काफी कमजोर महसूस हो रही थी, लेकिन तत्परता देख कर लग रहा है कि कांग्रेस पिछले चुनाव के मुकाबले ज्यादा गंभीर है. 2015 के चुनाव में कांग्रेस वोट शेयर 9.65 फीसदी था, और 2020 तक आते आते ये 4.26 पर पहुंच गया था. हां, लोकसभा चुनाव में 18.91 फीसदी जरूर दर्ज किया गया है, लेकिन विधानसभा चुनाव में ऐसा कोई चमत्कार दिखेगा लगता तो नहीं है.

दिल्ली चुनाव को लेकर कांग्रेस नेता पहले से ही खासे एक्टिव और आक्रामक देखे जा रहे हैं, लेकिन इंडिया ब्लॉक में फूट पड़ जाना कांग्रेस के लिए भारी पड़ता नजर आ रहा है. 

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देखा जाये तो जो कुछ भी चल रहा है, बीजेपी का पक्ष मजबूत हो रहा है - लेकिन ऐसा भी नहीं है कि दिल्ली चुनाव में आम आदमी पार्टी को शिकस्त देकर सिर्फ फायदे में ही रहेगी, कई सारे नुकसान भी हो सकते हैं. 

1. केजरीवाल जीते तो कांग्रेस की मुसीबत बढ़ेगी

आम आदमी पार्टी का एपिसेंटर दिल्ली ही है, उसका प्रभाव तो गोवा और गुजरात में भी है, लेकिन सबसे ज्यादा पंजाब में देखने को मिला है, जहां भगवंत मान के नेतृत्व में आम आदमी पार्टी की सरकार चल रही है. 

अब अगर अरविंद केजरीवाल दिल्ली की सत्ता में वापसी कर लेते हैं, तो इंडिया ब्लॉक में नेतृत्व का एक और दावेदार पैदा हो जाएगा. देखें तो, अरविंद केजरीवाल ये काम पहले से ही करने लगे हैं, लेकिन खुलकर अभी तक सामने नहीं आये हैं. बीजेपी नेता अमित शाह के बयान से आंबेडकर के नाम पर पैदा हुए विवाद के बीच टीडीपी नेता चंद्रबाबू नायडू और जेडीयू नेता नीतीश कुमार को अरविंद केजरीवाल का चिट्ठी लिखना तो नमूना भर था - चुनाव जीत जाने के बाद तो अलग ही हाव-भाव देखने को मिलेगा. 

2. कांग्रेस की मुसीबत बीजेपी के लिए फायदेमंद होगी

आम आदमी पार्टी की तो पैदाइश ही कांग्रेस की मुसीबतों की कोख से हुई है, मुश्किलें बढ़ेंगी तो स्वाभाविक रूप से बीजेपी को ही फायदा मिलेगा.

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कांग्रेस सहयोगी दलों की मदद से ही फिर से खड़ी होने लगी है, उत्तर प्रदेश में कांग्रेस को मिली लोकसभा सीटें सबसे बड़ा सबूत हैं. अगर अरविंद केजरीवाल की जीत से कांग्रेस नई मुसीबत में फंसती है तो फायदे में तो बीजेपी ही रहेगी. 

3. केजरीवाल की जीत बीजेपी के लिए भी मुश्किलें खड़ी करेगी

ऐसा भी नहीं है कि अरविंद केजरीवाल की दिल्ली चुनाव में जीत से कांग्रेस मुश्किलों से जूझ रही होगी, और बीजेपी की बल्ले बल्ले होगी - आम आदमी पार्टी की जीत से बीजेपी को राष्ट्रीय स्तर पर नई चुनौती मिलेगी.

अरविंद केजरीवाल कांग्रेस के मुकाबले बीजेपी के लिए कमजोर दुश्मन हैं, लेकिन खतरनाक कहीं ज्यादा है. अरविंद केजरीवाल बीजेपी के हिंदुत्व के एजेंडे में भी घुसपैठ कर चुके हैं. 

दिल्ली के बुजुर्गों के लिए अयोध्या दर्शन प्रोग्राम तो पहले से ही चल रहा था,  पुजारी-ग्रंथी योजना का नमूना भी सामने आने लगा है. आम आदमी पार्टी की सनातन सेवा समिति में के बीजेपी मंदिर प्रकोष्ठ के करीब 100 सदस्यों का शामिल होना तो यही बता रहा है. 

4. केजरीवाल हारे तो बीजेपी को दिल्ली में सत्ता मिलेगी

अगर अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी हार जाती है, तो बीजेपी का एक और मुख्यमंत्री बन जाएगा, एक और राज्य में बीजेपी की सरकार बन जाएगी.

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ऐसा हुआ तो बीजेपी को आम आदमी पार्टी से मिल रही चुनौतियां थोड़ी कम होंगी - और लोकसभा चुनावों में मिले झटके से पूरी तरह उबर जाएगी. हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में जीत की हैट्रिक बनती है, तो देश की राजनीति पर पहले की तरफ प्रभाव कायम हो जाएगा.

5. केजरीवाल की जीत से विपक्ष कमजोर होगा, बीजेपी मजबूत

अभी तो विपक्ष में ममता बनर्जी ही राहुल गांधी को चैलैंज कर रही हैं, दिल्ली चुनाव जीत जाने के बाद अरविंद केजरीवाल भी अपना दावा पेश कर देंगे.

आज की तारीख में भले ही अखिलेश यादव और ममता बनर्जी आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल को सपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन कल को टकराव तो होना ही है.
 
अरविंद केजरीवाल का राजनीतिक विस्तार दिल्ली के बाहर भी है. पंजाब में भी आम आदमी पार्टी की सरकार है. अखिलेश यादव फिलहाल सत्ता से बाहर हैं, और ममता बनर्जी की पहुंच बंगाल से बाहर है ही नहीं - अरविंद केजरीवाल जीते तो विपक्षी खेमे में टकराव बढ़ेगा, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली बीजेपी इस चीज का पूरा फायदा उठाएगी.

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