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दिल्‍ली चुनाव में केजरीवाल का 'राहुल गांधी प्‍लान' अब पटरी से उतर गया

पिछले साल लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस बहुत देर से जागी थी. विशेषकर उत्तर प्रदेश में. पर रिजल्ट हैरान करने वाला आया. दरअसल कांग्रेस के वोटर्स फिक्स हैं. उन्हें सिर्फ जगाना होता है. कहने का मतलब है कि दिल्ली में कांग्रेस देर से ही अगर पूरी ताकत से सामने आती है तो रिजल्ट चौंकाने वाला हो सकता है.

राहुल गांंधी और अरविंद केजरीवाल राहुल गांंधी और अरविंद केजरीवाल
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 15 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 12:06 PM IST

दिल्ली विधानसभा चुनावों में कांग्रेस अब सक्रिय हो गई दिखती है. जिस तरह राहुल गांधी ने पिछले दो दिनों में अपनी सक्रियता बढ़ाई उससे कांग्रेस कार्यकर्ता उत्साहित हैं. ठीक इसके विपरीत आम आदमी पार्टी में भय का माहौल है. राहुल गांधी जिस तरह पिछले 48 घंटे से इस तरह एक्शन में है जिससे लगता है कि दिल्ली की राजनीति पूरी तरह पलट कर रख देंगे. कम से कम आम आदमी पार्टी का 'राहुल गांधी प्लान' तो चौपट कर ही देंगे. जिन लोगों को 2024 का लोकसभा चुनाव याद होगा उन्हें पता होगा कि यूपी में कांग्रेस ने कितनी देर से कैंपेन शुरू किया था. यूपी में पहले राउंड के चुनाव के मात्र 2 दिन पहले समाजवादी पार्टी अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ राहुल गांधी की रैली गाजियाबाद में आनन फानन में की गई. आलोचक ये कह रहे थे कि आम लोगों के बीच ये संदेश जा ही नहीं जा पाया कि समाजवादी पार्टी और कांग्रेस दोनों साथ मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. पर रिजल्ट हैरान करने वाला था. कांग्रेस और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशियों ने भरपूर वोट हासिल किए. दरअसल कांग्रेस के वोटर्स फिक्स हैं उन्हें सिर्फ जगाना होता है. कहने का मतलब है कि दिल्ली में कांग्रेस देर से ही अगर पूरी ताकत से आती है सामने तो रिजल्ट चौंकाने वाला हो सकता है.

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1-आम आदमी पार्टी का 'राहुल गांधी प्लान'

आम आदमी पार्टी ने लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन करके दिल्ली में चुनाव लड़ा था. पर बुरी तरह असफल होने पर पार्टी को लगा कि कांग्रेस के साथ रहने का कोई फायदा नहीं मिला. दूसरे एंटी इंकंबेंसी के चलते आम आदमी पार्टी सरकार से नाराज वोटर्स का वोट इकट्ठे बीजेपी को न मिले इसलिए पार्टी ने कांग्रेस से दूरी बनाई. यह रणनीति इसलिए थी कि नाराज वोटर्स के सामने दो विकल्प रहेगा तो बीजेपी को मिलने वाले वोट बंट सकेंगे. एक बात और थी कि पार्टी यह समझ रही थी कि जिस तरह पंजाब में और हरियाणा में दोनों पार्टियों ने फ्रेंडली फाइट किया वैसा ही कुछ दिल्ली में भी किया जाएगा. तीसरी बात यह थी कि अरविंद केजरीवाल को यह लग रहा था कि इंडिया गठबंधन में फूट न पड़े इसलिए राहुल गांधी कभी भी आम आदमी पार्टी के खिलाफ खुलकर सामने नहीं आएंगे. पर अब ऐसा होता नहीं दिख रहा है.

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पहले तो कांग्रेस ने नई दिल्ली और कालकाजी सीटों पर अरविंद केजरीवाल और अतिशी के खिलाफ मजबूत प्रत्याशी उतारकर हड़कंप मचा दिया था. पर राहुल गांधी , प्रियंका गांधी , मल्लिकार्जुन खड़गे आदि की चुनाव प्रचार से दूरी से ऐसा लग रहा था कि जैसे कांग्रेस ने फ्रेंडली फाइट का मन बना लिया है. और अरविंद केजरीवाल की यही मंशा भी थी. उसके बाद कांग्रेस नेता अजय माकन ने एक दिन पीसी करके अरविंद केजरीवाल को देशद्रोही कहा और अगले पीसी  में सबूत देने का वादा किया. पर माकन को वहीं रोक दिया गया इससे यही लगा था कि केजरीवाल का राहुल गांधी प्लान कामयाब होता दिख रहा है. पर अब अरविंद केजरीवाल के इस प्लान पर पानी फिरता दिख रहा है.

2-इंडिया ब्लॉक के साथियों के समर्थन का दांव केजरीवाल के  लिए उल्टा पड़ गया

जिस तरह से कांग्रेस नेता दिल्ली में एक्टिव हो गए हैं, केजरीवाल सरकार पर कांग्रेस के हमले बढ़ें हैं वो राजनीतिक गलियारों में हैरानी का विषय हैं. दरअसल जिस तरह अजय माकन को चुप कराया गया उससे यही संदेश गया था कि कांग्रेस दिल्ली चुनावों में सरेंडर कर चुकी है.पहले यह मानकर चला जा रहा था कि कांग्रेस पार्टी बीजेपी को कमजोर करने के लिए खुद भी कमजोर होने के लिए तैयार है.  पर आज की तारीख में ये लगता है कांग्रेस पार्ट -2 की कहानी शुरू हो गई है. कांग्रेस को जिस तरह इंडिया ब्लॉक ने आईना दिखाया है उससे पार्टी को जमीनी हकीकत पता चल गई है. दिल्ली में अरविंद केजरीवाल के समर्थन में टीएमसी और शिवसेना यूबीटी ही नहीं यूपी में कांग्रेस की सहयोगी  समाजवादी पार्टी  भी आ गई है. जाहिर है कि इससे कांग्रेस को धक्का लगा होगा. कांग्रेस अपना नुकसान सहकर बीजेपी को हराने के नाम पर इन पार्टियों को सपोर्ट कर रही थी . पर अब कांग्रेस को यह लगने लगा है कि कोई रिजनल पार्टी कांग्रेस को पनपता नहीं देखना चाहती है.क्योंकि सभी का वोट बैंक वही है जो कांग्रेस का कोर वोट है. इसलिए किसी भी क्षेत्रीय पार्टी से ये उम्मीद करना कि वो कांग्रेस को समर्थन करेगी यह नामुमकिन ही लगता है.

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इंडिया ब्लॉक के साथियों से दगा मिलने के बाद कांग्रेस धरातल पर आ गई है. आज दिल्ली में कांग्रेस इस स्थिति में है कि वह बीजेपी विरोध की जगह रिजनल पार्टी को खत्म करने की रणनीति पर काम करना शुरू कर सकती है. दरअसल जब तक दिल्ली में आम आदमी पार्टी का पतन नहीं होगा, कांग्रेस यहां फिर से अपनी जड़ नहीं जमा सकेगी. शायद यही कारण है कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में बहुत ज्यादा स्टैक न होने के बावजूद कांग्रेस बहुत मजबूती से चुनाव लड़ने की इच्छूक है.अगर कांग्रेस की मजबूती से दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार क पतन भी होता है तो उसे कोई फर्क नहीं पड़ता है.

3-पिछले 48 घंटे में राहुल की सक्रियता बहुत कुछ कहती है

चुनावों की घोषणा होने के बावजूद कांग्रेस नेता राहुल गांधी मंगलवार शाम तक अरविंद केजरीवाल या आम आदमी पार्टी के खिलाफ एक शब्द नहीं बोल रहे थे. उनके एक्स हैंडल का विश्लेषण बताता है कि राहुल गांधी देश की अर्थव्यवस्था की चिंता करते हैं, महापुरुषों की जयंती पर उन्हें याद करते हैं, त्योहारों की बधाई देते हैं, मोदी सरकार को कई मुद्दों पर घेरते हैं पर दिल्ली के पूर्व मुखयमंत्री अरविंद केजरीवाल के बारे में एक शब्द नहीं बोलते हैं. पर सोमवार-मंगलवार के बीच उन्होंने ताबड़तोड़ तीन ट्वीट अरविंद केजरीवाल के खिलाफ किया है.राहुल ने एक ट्वीट.. ये है केजरीवाल जी की ‘चमकती’ दिल्ली - पेरिस वाली दिल्ली!लिखते हुए एक 32 सेकंड का विडियो ट्वीट किया है. इसमें दिल्ली की नारकीय हालत को दर्शाया गया है.

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जाहिर है कि अरविंद केजरीवाल को अब अपना राहुल गांधी प्लान फेल होते दिख रहा है. उन्हें उम्मीद नहीं थी कि राहुल गांधी इस तरह आक्रामक हो जाएंगे. केजरीवाल यह समझ रहे थे कि इंडिया गठबंधन के सभी दल जब उन्हें सपोर्ट करने लगेंगे तो राहुल गांधी की मजबूरी हो जाएगी उनके साथ फ्रेंडली फाइट करने की . सीलमपुर वाली सभा के तुरंत बाद केजरीवाल इतना नाराज हुए राहुल गांधी पर कि कहने लगे कि राहुल गांधी ने मुझे आज इतनी गाली दी लेकिन मैं उनके बारे में कुछ नहीं बोलूंगा. हालांकि राहुल गांधी ने उन्हें पूरे भाषण के दौरान अरविंद केजरीवाल जी कहकर ही संबोधित किया. इसके साथ ही राहुल गांधी ने शीशमहल विवाद या शराब घोटाले पर अभी अपना मुंह नहीं खोला. जाहिर है कि राहुल गांधी ने अभी मर्यादा बचाई हुई है. आगे कुछ दिनों पर कांग्रेस और गहरे वार कर सकती है इससे इनकार नहीं किया जा सकता है.

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