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2 जून को अरविंद केजरीवाल के सरेंडर के बाद AAP का क्या हाल होगा? चार चुनौतियां और कई संदेह...

अरविंद केजरीवाल के जेल से रिहा होने के बाद से बहुत कुछ बदल चुका है. स्वाति मालीवाल केस ने तो ज्यादा ही उलझा दिया है. जमानत अवधि खत्म होने को है. AAP के नेताओं और कार्यकर्ताओं के लिए ये समझ पाना भी मुश्किल हो रहा होगा कि अरविंद केजरीवाल के फिर से जेल जाने के बाद सब कैसे मैनेज होगा?

अरविंद केजरीवाल के फिर से जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी की चुनौतियां चौतरफा बढ़ जाएंगी अरविंद केजरीवाल के फिर से जेल जाने के बाद आम आदमी पार्टी की चुनौतियां चौतरफा बढ़ जाएंगी
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 29 मई 2024,
  • अपडेटेड 12:17 PM IST

दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को प्रवर्तन निदेशालय ने 21 मार्च को गिरफ्तार किया था, उसके बाद अदालत ने जेल भेज दिया. सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर 10 मई को अरविंद केजरीवाल अंतरिम जमानत पर रिहा किये गये - और तब से लेकर अब तक आम आदमी पार्टी में बहुत सारी चीजें बदल चुकी हैं. 

बेशक, अरविंद केजरीवाल ने लोकसभा चुनाव 2024 में आम आदमी पार्टी और INDIA ब्लॉक के उम्मीदवारों के लिए घूम घूम कर वोट मांगे, लखनऊ जाकर अखिलेश यादव के साथ प्रेस कांफ्रेंस किया, दिल्ली और पंजाब में कई रैलियां और रोड शो किये - लेकिन मुख्यमंत्री आवास की एक घटना ने तो जैसे सारी चीजों पर पानी फेर दिया है. 

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अरविंद केजरीवाल के लिए सबसे बड़ी जहमत है स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के इल्जाम से उबर पाना - क्योंकि उसी के चलते उनके निजी सचिव रहे बिभव कुमार को भी जेल जाना पड़ा है, और जमानत की पहली अर्जी खारिज भी हो चुकी है. 

और बिभव कुमार का अरविंद केजरीवाल के सरेंडर से पहले ही जेल चला जाना तो आम आदमी पार्टी के लिए सबसे ज्यादा घातक है.  

1. स्वाति मालीवाल केस का कहर

स्वाति मालीवाल केस को पॉलिटिकली मिस-हैंडल करके अरविंद केजरीवाल ने सबसे बड़ी गलती की है. अरविंद केजरीवाल के पास ऐसे कई मौके आये जब वो स्वाति मालीवाल के मुद्दे पर अपना पक्ष रखने के साथ ही बोल कर राजनीतिक रूप से दुरुस्त हो सकते थे, लेकिन अरविंद केजरीवाल ने एक एक करके सारे ही मौके गंवा दिये. 

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स्वाति मालीवाल केस में चाहे जिन परिस्थितियों में संजय सिंह मीडिया के सामने आये, लेकिन ये बोल कर कि अरविंद केजरीवाल ने संज्ञान लिया है, और एक्शन भी लेंगे, अरविंद केजरीवाल का काम आसान कर दिया था. अरविंद केजरीवाल को बस उसी बात को आगे बढ़ाने की जरूरत थी, लेकिन वो पूरी तरह चूक गये. 

राजनीतिक चातुर्य दिखाने के लिए बिभव कुमार को लेकर अरविंद केजरीवाल लखनऊ पहुंच गये. मालूम नहीं किसी ने सलाह दी या खुद ही अमित शाह की कॉपी करने का आइडिया आया था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह यूपी चुनाव के दौरान ऐसे ही अपनी जूनियर मंत्री अजय मिश्र टेनी को चुनाव कैंपेन में लेकर घूमते थे, लेकिन उनकी बात और थी, अभी तो अरविंद केजरीवाल कतई उस स्थिति में नहीं हैं. 

लखनऊ की प्रेस कांफ्रेंस में जवाब देकर कर भी अरविंद केजरीवाल बहुत कुछ संभाल सकते थे. जो भी बोलना था, बोल देते - आधा काम तो खराब कर लिया अखिलेश यादव की तरफ माइक घुमाकर, और आधा काम खराब हो गया अखिलेश यादव के मुंह से मुलायम सिंह यादव जैसा जवाब सुन कर. 

बिभव कुमार के खिलाफ एक्शन लेकर अरविंद केजरीवाल बीजेपी की हर संभव चाल को न्यूट्रलाइज कर सकते थे. पहले तो सिर्फ भ्रष्टाचार का ही मुद्दा था, अब तो बीजेपी को मालीवाल का मामला भी मिल गया है, केजरीवाल को घेरने के लिए.

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2. बिभव कुमार की गैरमौजूदगी का असर

जब अरविंद केजरीवाल ने तिहाड़ जेल में मिलने वाले जिन लोगों की सूची दी थी, उसमें बिभव कुमार के नाम ने सभी का ध्यान खींचा था. बिभव कुमार शुरुआती दिनों से ही अरविंद केजरीवाल के साथ जुड़े हैं, और उनके मुख्यमंत्री बन जाने के बाद से तो करीब करीब सारे ही मामले उनसे होकर ही गुजरते थे - स्वाति मालीवाल ने तो बिभव कुमार को अरविंद केजरीवाल का राजदार और आम आदमी पार्टी में सबसे ताकतवर शख्सियत तक बता डाला है. 

अब तो बिभव कुमार, स्वाति मालीवाल के साथ मारपीट के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिये गये हैं. जमानत की एक अर्जी भी खारिज हो चुकी है - आगे कब तक जमानत मिल पाएगी, किसे पता. 

अरविंद केजरीवाल के सरेंडर की तारीख तो सबको मालूम है, लेकिन बिभव कुमार का बाहर निकल पाना तो तभी मुमकिन हो पाएगा जब अदालत जमानत मंजूर कर ले. जब अरविंद केजरीवाल जेल में थे तो उनके दिशानिर्देश पर बिभव कुमार सब प्रबंधन कर लेते थे - लेकिन तब क्या हाल होगा जब एक ही साथ अरविंद केजरीवाल और बिभव कुमार दोनों ही जेल में होंगे.

3. संजय सिंह पर भी पहले जैसा भरोसा नहीं लगता

जब संजय सिंह जेल से छूट कर आये थे तो नारा लगा था, 'जेल के ताले टूटेंगे, केजरीवाल छूटेंगे.' संजय सिंह का नारा तो कुछ दिन के लिए हकीकत भी बन गया, लेकिन छोटी सी जमानत अवधि में ही ऐसे घटनाक्रम हुए कि बहुत सारी चीजें आउट ऑफ कंट्रोल हो गईं. 

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सुनीता केजरीवाल के पैर छूकर संजय सिंह ने जो भरोसा दिलाया था, स्वाति मालीवाल केस के बाद वो तो कम हो गया ही लगता है. ये ठीक है कि लखनऊ में अरविंद केजरीवाल के साथ बिभव कुमार और संजय सिंह दोनों मौजूद थे, लेकिन आतिशी के बयान के बाद तो संदेहों को ही हवा मिली है. 

स्वाति मालीवाल केस में संजय सिंह के बयान के बाद आतिशी ने जो कुछ बताया, वो तो महज एक राजनीतिक बयान ही लगा. ऐसा लगा जैसे संजय सिंह ने साफ साफ सब सामने रख दिया, और आतिशी ने मालीवाल केस में अरविंद केजरीवाल का स्टैंड मीडिया के जरिये सामने रखा है. 

अरविंद केजरीवाल का कहना है कि स्वाति मालीवाल केस में दो वर्जन हैं - लेकिन वो किस वर्जन को अपना और सही मानते हैं, ये तो वही जानें.

सीधे सीधे देखें तो, एक वर्जन स्वाति मालीवाल का है, और दूसरा बिभव कुमार का.  

और समझने की कोशिश करें, तो दो अलग ही वर्जन दिखाई पड़ते हैं. एक संजय सिंह का और दूसरा, आतिशी का - आखिर अरविंद केजरीवाल किस वर्जन की बात कर रहे हैं?

आतिशी को नोटिस मिलने के बाद अरविंद केजरीवाल ने एक बार फिर पुराना डायलॉग दोहराया है, मैंने पहले कहा था कि वे अगली बार आतिशी को गिरफ्तार करेंगे.

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आखिर अरविंद केजरीवाल को क्यों लगता है आतिशी को मानहानि के केस में गिरफ्तार कर लिया जाएगा. सीबीआई और ईडी जैसी जांच एजेंसियों का मामला होता तो एक बार ऐसी आशंका होती भी.

ये तो मानहानि का ही केस है, जिसमें अदालत भी आरोपी को माफी मांग लेने का ऑप्शन देती है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी को भी आरएसएस से जुड़े मानहानि केस में मिला था, और कई नेताओं की तरफ से दाखिल मानहानि केस में केजरीवाल को भी. 

अरविंद केजरीवाल ने माफी मांगकर मामला खत्म कर लिया, लेकिन राहुल गांधी अपनी मर्जी से ट्रायल फेस कर रहे हैं - जैसे अरविंद केजरीवाल ने माफी मांग कर मानहानि के मामले खत्म कर लिये, आतिशी भी बड़े आराम से कर लेंगी. 

4. राघव चड्ढा और भगवंत मान संदेह के घेरे में

अरविंद केजरीवाल के जेल चले जाने के बाद आम आदमी पार्टी के दो सांसद संदेह के घेरे में रहे हैं. एक स्वाति मालीवाल और दूसरे राघव चड्ढा. हालांकि, राघव चड्ढा के मामले में स्वाति मालीवाल जैसा कुछ नहीं हुआ. 

और पूछे जाने पर अरविंद केजरीवाल का कहना है कि ये आम आदमी पार्टी का अंदरूनी मामला है, और ऐसी बातों से वो खुद ही निबट लेंगे. अच्छी बात है. 

अव्वल तो भगवंत मान तिहाड़ जेल जाकर कर अरविंद केजरीवाल से मिलते रहे हैं, लेकिन बीच बीच में ये भी चर्चा रही कि वो जितना समय देना चाहिये उससे काफी कम दे रहे हैं. चुनाव कैंपेन के दौरान भी सोशल मीडिया ऐसी बातों से भरा रहा. सच्चाई जो भी हो, सुनने में तो ये भी आया है कि भगवंत मान की जगह राघव चड्ढा को पंजाब का मुख्यमंत्री बनाया जा सकता है. 

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5. सुनीता केजरीवाल कहां तक मैनेज कर पाएंगी?

जेल से तो अरविंद केजरीवाल यही सोच कर आये होंगे कि जमानत अवधि में सब कुछ दुरुस्त कर देंगे. इतना इंतजाम तो कर ही देंगे कि पत्नी सुनीता केजरीवाल सब आसानी से संभाल लें - लेकिन इंसान का सोचा हो कहां पाता है, और अरविंद केजरीवाल ने तो अपने X प्रोफाइल में पहले से ही लिख रखा है - सब इंसान बराबर हैं. 

अब तो ऐसा लगता है जैसे सुनीता केजरीवाल की चुनौती तो कल्पना सोरेन से भी बड़ी है हो गई है - और ये चुनौती खुद खड़ी कर अरविंद केजरीवाल को जेल जाना पड़ेगा. क्‍योंकि सुप्रीम कोर्ट रजिस्‍ट्री ने उनकी जमानत की अवधि बढ़ाने की मोहलत नहीं दी है. जो केजरीवाल ने कुछ मेडिकल जांच कराने के नाम पर मांगी थी.

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