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आतिशी के लिए अस्थाई सीएम से ज्‍यादा ताकतवर है स्थाई नेता प्रतिपक्ष का पद

दिल्ली की मुख्यमंत्री बनने से पहले ही आतिशी को उनकी भूमिका समझाई जाने लगी थी. बारी बारी सभी नेता बताते रहे कि आतिशी सिर्फ चुनाव तक ही मुख्यमंत्री रहेंगी. तब किसी को क्या मालूम कि आतिशी के लिए वक्त ने अलग ही लंबी भूमिका तय कर रखी है - और वो नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल चुकी हैं.

आतिशी ने मोर्चा संभाल लिया है, और नेता प्रतिपक्ष के रूप में आत्मविश्वास से ज्यादा भरी लग रही हैं. आतिशी ने मोर्चा संभाल लिया है, और नेता प्रतिपक्ष के रूप में आत्मविश्वास से ज्यादा भरी लग रही हैं.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 24 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 7:04 PM IST

अरविंद केजरीवाल ने तो पहले से ही तय कर दिया था कि आतिशी चुनाव नतीजे आने तक ही दिल्ली की मुख्यमंत्री रहेंगी. आतिशी ने भी ये बात दिल पर ले ली, और अरविंद केजरीवाल की कुर्सी पर बैठी ही नहीं. 

आतिशी की बगल वाली अरविंद केजरीवाल की कुर्सी को लेकर रामायण के प्रसंग से जोड़ते हुए श्रीराम के उस खड़ाऊ से की गई जिसे रखकर, उनके वन से लौटकर आने तक भरत राजकाज देखते रहे. तमिलनाडु की राजनीति में ओ पन्नीरसेल्वम भी ऐसी मिसाल कायम कर चुके हैं. 

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हालांकि, हालात ऐसे बने कि अरविंद केजरीवाल को आतिशी को ही दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका देनी पड़ी. आम तौर पर बड़े नेता ऐसी भूमिका से बचने की कोशिश करते हैं. अखिलेश यादव और अशोक गहलोत के मामले में भी ऐसा ही देखा गया - और आतिशी को भी इसीलिए मौका मिला है. 

आतिशी को नेता प्रतिपक्ष बनाया जाना

8 फरवरी को चुनाव नतीजे आने के बाद आतिशी को समर्थकों के साथ डांस करते भी देखा गया. और, आम आदमी पार्टी की बागी स्वाति मालीवाल तक ने सवाल उठाया. कैसे आम आदमी पार्टी के अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सौरभ भारद्वाज जैसे नेता हार गये, और आतिशी अपनी जीत सेलीब्रेट कर रही हैं. 

आतिशी का जश्न मनाना पार्टीलाइन के हिसाब से तो नहीं, लेकिन समर्थकों के साथ खड़े होने के लिहाज से तो ठीक ही था. अरविंद केजरीवाल को दिल्ली चुनाव में शिकस्त देने वाले प्रवेश वर्मा ने भी उस वाकये की याद दिलाई है, लेकिन कटाक्ष के तौर पर

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दिल्ली सरकार में मंत्री प्रवेश वर्मा का तो दावा है, अरविंद केजरीवाल हार गए थे... और 8 तारीख को आतिशी खुश हो रही थीं, डांस कर रही थीं... आतिशी आज भी बहुत खुश हैं, क्योंकि इस हाउस में अरविंद केजरीवाल, सौरभ भारद्वाज, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन नहीं हैं... आतिशी इतनी खुश हैं कि मैं आपको बता नहीं सकता.

ये तो नहीं मालूम कि आतिशी को ये सुनकर कैसा लगा होगा. और ये भी नहीं मालूम कि अरविंद केजरीवाल और उनके करीबी साथियों को कैसा लगा होगा. करीबी साथियों में तो आतिशी भी शुमार हैं. तभी तो मुख्यमंत्री भी बनाई गई थीं, और अब नेता प्रतिपक्ष भी. 

महिलाओं के मुद्दे पर आतिशी ने मोर्चा संभाल लिया है

नेता प्रतिपक्ष बनाये जाने के पहले से ही आतिशी ने मोर्चा संभाल लिया था. दिल्ली की बीजेपी सरकार कती पहली कैबिनेट में महिलाओं को पैसे दिये जाने वाले चुनावी वादे पर कोई फैसला नही लिये जाने पर आतिशी ने जोरदार हमला बोला था. और फिर प्रतिक्रिया पूछे जाने पर मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता का कहना था कि उनको अपने हिसाब से काम करने दिया जाना चाहिये. 

महिलाओं के मुद्दे पर विधानसभा सत्र के पहले दिन भी आतिशी ने मुख्यमंत्री के सामने विरोध प्रदर्शन किया. आतिशी सहित आम आदमी पार्टी के विधायकों ने दिल्ली विधानसभा में मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता के कार्यालय में प्रदर्शन किया. आतिशी और आप विधायक हाथों में तख्तियां लिये हुए थे, जिस पर लिखा था - '₹2500 कब आएंगे?'

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आम आदमी पार्टी की तरफ से उठाये गये इस मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर प्रवेश वर्मा ने कहा है, हमने जो भी वायदे किये हैं, सारे वायदों को पूरा करेंगे... सीएम के ऑफिस में घुस जाना, और वहां पर पर्चे लेकर जाना... पहली मीटिंग में विपक्ष को ये शोभा नहीं देता... सीएम मैडम ने उनसे कहा है कि आपके अनुभव की हमें जरूरत है.

आंबेडकर और भगत सिंह की तस्वीर पर बवाल

महिलाओं के साथ साथ बीजेपी ने आम आदमी पार्टी को एक और मुद्दा दे दिया है, मुख्यमंत्री कार्यालय में आंबेडकर की तस्वीर की जगह बदल कर. आम आदमी पार्टी के विधायकों ने इस मुद्दे को लेकर विधानसभा के बाहर प्रदर्शन किया है. 

मीडिया से बातचीत में आतिशी ने बीजेपी पर बाबा साहेब आंबेडकर और शहीद भगत सिंह के अपमान का आरोप लगाया है. आतिशी का सवाल है, क्या बीजेपी को लगता है कि पीएम नरेंद्र मोदी बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर और शहीद भगत सिंह से से बड़े हैं? उनको अहंकार हो गया है... बीजेपी ने अपना दलित और सिख विरोधी चेहरा पूरे देश के सामने रख दिया है... जैसी ही उनकी सरकार आई, सबसे पहले बाबा साहेब और भगत सिंह की फोटो हटाई और उसकी जगह पीएम नरेंद्र मोदी की फोटो लगा दी, ये बहुत दुख की बात है.

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आंबेडकर की तस्वीर विधानसभा से हटाई तो नहीं गई है, लेकिन उनकी जगह राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, महात्मा गांधी और नरेंद्र मोदी की तस्वीर लगाई गई है - और थोड़ी दूर कोने में एक छोटी सी तस्वीर आंबेडकर की भी लगाई गई है. 

आतिशी को स्पीकर की चेतावनी

स्पीकर विजेंदर गुप्ता ने आतिशी के विरोध प्रदर्शन और भाषण पर कड़ी आपत्ति जताई है. और, साफ तौर पर चेताया है, आप जितने मर्जी मुद्दे उठाइए लेकिन अगर आप मुद्दा उठाने से पहले यहां इस तरह का वातावरण बनाना चाहेंगी, तो ये विपक्ष का गैर-जिम्मेदार पूर्ण रवैया बर्दाश्त नहीं होगा.

पिछली विधानसभाओं में बीजेपी के सदस्यों के विरोध प्रदर्शन पर मार्शल बुलाकर बाहर कर दिया जाता रहा. विजेंदर गुप्ता को पकड़कर बाहर ले जाते हुए तो तस्वीरें भी वायरल हुई थीं. मुख्यमंत्री रेखा गुप्ता ने स्पीकर से मुखातिब होकर उन वाकयों की याद दिलाई, और उम्मीद जताई कि आने वाले दिनों में वैसी घटना देखने को नहीं मिलेगी. 

आतिशी को लेकर विजेंदर गुप्ता ने कहा, उन्होंने सौहार्द पूर्ण वातावरण में चल रहे इस सदन को बिना कारण के डिस्टर्ब करने की कोशिश की... मुद्दा उठाने के लिए आपको पूरा समय मिलेगा, लेकिन विपक्ष का गैर-जिम्मेदार रवैया बर्दाश्त नहीं होगा. बोले, राजनीतिक मंच नहीं बनाना चाहिये था... मैं कड़े शब्दों में आतिशी जी के व्यवहार की निंदा करता हूं.

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पहली बार विधानसभा पहुंचते ही आतिशी को मंत्री पद तो मिला ही था, विशेष परिस्थितियों में मुख्यमंत्री भी बन गई थीं, लेकिन वो उनके नेता अरविंद केजरीवाल की कृपा से. नेता प्रतिपक्ष की भूमिका में भी उनको अरविंद केजरीवाल ने ही भेजा है, लेकिन जनता के फैसले के आगे उनको मजबूर भी होना पड़ा है - क्योंकि और कोई विकल्प भी नहीं बचा था. सब वक्त का फेर है, और अस्थाई मुख्यमंत्री पद से स्थाई विपक्ष के नेता की भूमिका कहीं बेहतर है. 

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