Advertisement

BJP ने चच्चा को दिया गच्चा, चिराग पर लगाया दांव, ओवैसी ने भी RJD-कांग्रेस का खेल बिगाड़ने की कर ली तैयारी

चिराग और चाचा पशुपति पारस दोनों ही बीजेपी से 6 लोकसभा सीट की मांग कर रहे थे और दोनों ही अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं थे. दूसरी तरफ चिराग और चाचा पारस हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी भिड़े हुए थे. चिराग पासवान आगामी लोकसभा चुनाव हाजीपुर से लड़ना चाहते थे, जो उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है और पशुपति पारस भी इस सीट को छोड़ने के मूड में नहीं थे जो कि फिलहाल इस सीट से मौजूदा सांसद हैं.

लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत
रोहित कुमार सिंह
  • पटना,
  • 14 मार्च 2024,
  • अपडेटेड 3:11 PM IST

बिहार की राजनीति में पिछले एक सप्ताह में सबसे बड़ी खबर चिराग पासवान से जुड़ी हुई रही, जहां पर बीजेपी ने आगामी लोकसभा चुनाव के लिए चाचा पशुपति पारस को दरकिनार कर बिहार में चिराग पर दांव लगाया और उनकी लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) को 5 सीट लड़ने के लिए दी. दूसरी तरफ, असदुद्दीन ओवैसी ने भी बिहार में 11 सीटों पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर राजद और कांग्रेस को जबरदस्त टेंशन दे दी है.

Advertisement

बीजेपी को चिराग पसंद है!

आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बिहार में सीट शेयरिंग के मामले में लगातार हो रही देरी के बीच सवाल खड़े हो रहे थे कि आखिर किस कारण से सीट बंटवारे और इसकी घोषणा में देरी हो रही है. दरअसल, नीतीश कुमार के एनडीए में वापस आने के बाद चिराग पासवान गठबंधन में सहज महसूस नहीं कर रहे हैं, यह बात तो सबके सामने थी लेकिन उनकी अपने चाचा और केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस से तकरार के कारण ही सीटों के तालमेल और समझौते का मसौदा फंसा हुआ था.

जानकारी के मुताबिक, चिराग और चाचा पशुपति पारस दोनों ही बीजेपी से 6 लोकसभा सीट की मांग कर रहे थे और दोनों ही अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं थे. दूसरी तरफ चिराग और चाचा पारस हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी भिड़े हुए थे. चिराग पासवान आगामी लोकसभा चुनाव हाजीपुर से लड़ना चाहते थे, जो उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है और पशुपति पारस भी इस सीट को छोड़ने के मूड में नहीं थे जो कि फिलहाल इस सीट से मौजूदा सांसद हैं.

Advertisement

बीजेपी ने कई दौर की बैठक कर चाचा और भतीजे में सुलह करवाने की कोशिश की लेकिन उसमें सफल नहीं हुए. आखिरकार, बीते बुधवार को भाजपा ने कड़े तेवर इख्तियार कर चिराग पासवान में अपना भरोसा जताया. चिराग ने बुधवार शाम को बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से मुलाकात कर घोषणा की कि उनका सीटों का बंटवारा एनडीए में अच्छे तरीके से हो गया है और वह इससे संतुष्ट भी हैं.

सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, चिराग पासवान को हाजीपुर सीट भी मिल गई है, जहां से वह चुनाव लड़ना चाहते हैं. बीजेपी ने एक तरफ जहां चिराग पर भरोसा जताया. वहीं चाचा पशुपति पारस की पार्टी को एक भी सीट गठबंधन में नहीं दी.

बताया जा रहा है कि पशुपति पारस एक भी सीट नहीं मिलने से काफी नाराज और मायूस हैं और अपनी भविष्य की राजनीति को लेकर महागठबंधन के संपर्क में भी हैं.

ओवैसी कर गए बड़ा खेल!

पिछले सप्ताह की एक और बड़ी खबर बिहार की 11 लोकसभा सीट पर असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम का उम्मीदवार उतारने की घोषणा करना रही. ओवैसी की पार्टी ने बुधवार को ऐलान किया कि वह बिहार के सीमांचल के चार मुस्लिम बहुल लोकसभा सीट जिसमें पूर्णिया, अररिया, कटिहार और किशनगंज शामिल हैं. उसके समेत 11 लोकसभा सीट पर प्रदेश में चुनाव लड़ेगी. ओवैसी की पार्टी ने दरभंगा, भागलपुर, काराकाट, बक्सर, गया, मुजफ्फरपुर और उजियारपुर में भी उम्मीदवार उतारने का ऐलान किया है.

Advertisement

ओवैसी के इस ऐलान के बाद बिहार में राजद और कांग्रेस की टेंशन बढ़ सकती है क्योंकि यह बात बिल्कुल साफ है कि मुस्लिम बहुल लोकसभा सीटों पर ओवैसी के उम्मीदवार उतारने से महागठबंधन का खेल जबरदस्त तरीके से बिगड़ सकता है.

2020 विधानसभा चुनाव में भी ओवैसी की पार्टी ने बिहार के सीमांचल इलाके में 18 सीट पर अपने उम्मीदवार उतारे थे और उसमें से पांच पर उसकी जीत हुई थी और इस चुनाव में भी ओवैसी ने सबसे ज्यादा नुकसान आरजेडी का ही किया था, जिसके कारण तेजस्वी यादव की उस समय सरकार नहीं बन पाई थी. राजद ने ओवैसी के फैसले पर हमला बोलते हुए उसे बीजेपी की B टीम बताया है.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement