Advertisement

कोर वोटर पर फोकस या न्यूट्रल मतदाताओं पर पकड़... दूसरे फेज की वोटिंग के बाद BJP में कन्फ्यूजन!

राजस्थान के भीलवाड़ा में 21 अप्रैल को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि कांग्रेस की योजना लोगों की खून-पसीने की कमाई और संपत्ति को घुसपैठियों को बांटने की है. ये लोग आपका मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने अगले दिन अलीगढ़ में भी यही आरोप लगाते हुए कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई तो वह लोगों की संपत्तियों का सर्वे करेगी और उनकी कमाई छीन लेगी. 

PM Modi and Amit Shah PM Modi and Amit Shah
aajtak.in
  • नई दिल्ली,
  • 30 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 2:58 PM IST

कांग्रेस की वेल्थ रिडिस्ट्रिब्यूशन की कथित योजना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निशाना साधने के बाद विपक्ष ने पीएम पर सांप्रदायिक भाषणबाजी के आरोप लगाए हैं. कांग्रेस ने इन आरोपों के साथ चुनाव आयोग का रुख किया है. 

इस संबंध में 17000 से ज्यादा नागरिकों ने चुनाव आयोग को चिट्ठी लिखकर कहा है कि किस तरह पीएम मोदी ने वोटों की खातिर मुस्लिमों के खिलाफ आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किया है.  इससे दुनिया में लोकतंत्र की जननी के तौर पर भारत का कद घटा है. 

Advertisement

राजस्थान के भीलवाड़ा में 21 अप्रैल को एक चुनावी रैली को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा था कि कांग्रेस की योजना लोगों की खून-पसीने की कमाई और संपत्ति को घुसपैठियों को बांटने की है. ये लोग आपका मंगलसूत्र भी नहीं छोड़ेंगे. उन्होंने अगले दिन अलीगढ़ में भी यही आरोप लगाते हुए कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी सत्ता में आई तो वह लोगों की संपत्तियों का सर्वे करेगी और उनकी कमाई छीन लेगी. 

पीएम मोदी के इन बयानों से विश्लेषक हैरान हैं क्योंकि ऐसा प्रधानमंत्री जो सबका साथ, सबका विकास की बातें करता है, जिनकी योजनाओं में अल्पसंख्यकों को ध्यान में रखकर तैयार किया जाता है. वह मतदान के दौरान मंच से ऐसी बात कह रहा है. बीजेपी का दावा है कि केंद्र की अधिकतर योजनाओं में लाभार्थियों में अच्छी खासी आबादी मुस्लिमों की है. इन योजनाओं में 25 से 30 फीसदी लाभ मुस्लिमों को मिलता है. फिर ऐसा रुख क्यों?

Advertisement

प्रधानमंत्री ने अपने पूरे कार्यकाल के दौरान बीजेपी कार्यकर्ताओं और नेताओं से पसमांदा मुस्लिमों और मुस्लिम महिलाओं तक पहुंचने की बात की है. उन्होंने तीन तलाक खत्म कर इस वर्ग तक पहुंचने की कोशिश की. अपने तीसरे कार्यकाल में उनकी इच्छा स्टेटमैन की छवि हासिल करने की है. 

कम वोटिंग क्या एक फैक्टर है?

लोकसभा चुनाव के पहले चरण के दौरान मतदान लगभग चार फीसदी जबकि दूसरे चरण में लगभग दो फीसदी घटा है. मिशन 370 हासिल करने के लिए बीजेपी और उनकी अगुवाई वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन को अच्छी-खासी बढ़त बनाने की जरूरत है. हालांकि, वोटिंग और चुनावी नतीजों के बीच कोई स्पष्ट रुझान नहीं है. लेकिन कम वोटिंग निराशाजनक जरूर है. 

कोर वोटर्स तक पहुंच बढ़ाना जरूरी

बीजेपी के एक भीतर एक वर्ग को आशंका है कि मिशन 400 और 'आएगा तो मोदी ही' से कुछ पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों को आत्म-संतुष्टि हो सकती है. बीजेपी के कट्टर मतदाता इस समर्थन का आधार हैं. पार्टी रणनीतिकारों का मानना है कि अगर आम चुनाव में बीजेपी को 60 फीसदी हिंदुओं का वोट मिलता है तो उसकी हार असंभव है क्योंकि देश की कुल आबादी में 80 फीसदी हिंदू हैं.

इस वजह से पार्टी को अपने सबसे मजबूत स्तंभ को और मजबूत करने की जरूरत है. इस वोटबैंक के हितों को बढ़ाना जरूरी है. 2014 के लोकसभा चुनाव में 36 फीसदी हिंदुओं ने बीजेपी को वोट दिया था, जिसका मतलब है कि बीजेपी  का कुल वोट शेयर 31 फीसदी में से 29 फीसदी था. 2019 के चुनाव में बीजेपी के प्रति हिंदुओं का समर्थन बढ़ा. इस दौरान 44 फीसदी हिंदुओं ने बीजेपी को वोट दिया था. इस तरह कुल 38 फीसदी वोट शेयर में 35 फीसदी हिंदू थे. इस तरह 2014 और 2019 के चुनावों में बीजेपी का समर्थन करने वाले हर 100 में से 93 वोटर्स हिंदू थे. 

Advertisement

निष्पक्ष समर्थकों के मायने

हालांकि, ये मानना कि सभी हिंदू मतदाता बीजेपी को उसकी मूल हिंदुत्व विचारधारा की वजह से समर्थन दे रहे हैं. ये एक तरह का भ्रम है और पार्टी इसमें फंस गई है. 2014 में लगभग बीजेपी के लगभग 27 फीसदी वोटर्स ने सेंटर फॉर द स्टडी ऑफ डेवलेपिंग सोसाइटीज द्वारा कराए गए नेशनल इलेक्शन स्टडीज में कहा था कि अगर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं होंगे तो वे पार्टी को वोट नहीं देंगे. ये संख्या 2019 में बढ़कर 32 फीसदी हो गई थी. इसे ही मोदी फैक्टर कहा जाता है. मोदी की वजह से 2014 में एनडीए को 5.5 करोड़ वोटर्स का समर्थन मिला और 2019 में ये संख्या बढ़कर 8.5 करोड़ हो गई.

इससे पता चलता है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को 31 फीसदी वोट मिले थे, उनमें से 23 फीसदी वोटरों ने पार्टी की विचारधारा को देखते हुए वोट दिया था. आठ फीसदी वोटर्स या तो निष्पक्ष थे या उन्होंने हिंदुत्व से हटकर मोदी फैक्टर को ध्यान में रखते हुए बीजेपी को वोट दिया था.

2019 में  बीजेपी को कुल 38 फीसदी वोट मिले थे, जिसमें से 26 फीसदी लोगों ने बीजेपी की विचारधारा की वजह से उन्हें वोट दिया था. इनमें से 12 फीसदी या तो निष्पक्ष वोटर्स थे या फिर मोदी फैक्टर की वजह से उन्होंने बीजेपी को वोट दिया था. 2014 में बीजेपी के हर 100 में से 73 वोटर्स को पार्टी का कोर वोटर्स कहा जा सकता है लेकिन 2019 में ये संख्या घटकर 68 हुई है. 

Advertisement

बीजेपी के वोट शेयर में से 70 फीसदी उसका कोर वोटर है जबकि बाकी 30 फीसदी पार्टी का नॉन कोर वोटर है. इन 30 फीसदी नोन कोर वोटर को मोदी फैक्टर की वजह से बीजेपी का समर्थन मिला है, फिर चाहे वह मोदी की निवेश या बिजनेस फ्रेंडली छवि से प्रभावित हो या फिर कल्याणकारी योजनाओं से. या फिर जी-20 जैसे अंतर्राष्ट्रीय मंच पर भारत के कद में सुधार के उनके प्रयासों से. फैक्टर तो मोदी ही है.

(इनपुट: अमिताभ तिवारी)

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement