
बहराइच दंगों में भारतीय जनता पार्टी अनजाने में ही बैकफुट पर जाती हुई नजर आ रही है. दंगाइयों को एनकाउंटर के साथ गिरफ्तारी करके यूपी सरकार ने जो वाहवाही बटोरी थी वह उत्तर प्रदेश के अधिकारी और अपनी ही पार्टी के कुछ नेता उसको डेंट कर रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी का आईटी सेल भी इस मामले में इस तरह से काम कर रहा है जैसे सब कुछ बीजेपी के चलते ही हुआ हो. बहराइच दंगों को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार और भारतीय जनता पार्टी दोनों विपक्ष के निशाने पर हैं. दरअसल बहराइच जिले के महसी से विधायक सुरेश्वर सिंह ने अपनी ही पार्टी के नेताओं पर दंगा कराने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करा दी है. महसी विधायक ने अपनी पार्टी के युवा मोर्चा नगर अध्यक्ष अर्पित श्रीवास्तव सहित आठ लोगों पर दंगा फैलाने, पथराव करने और जान से मारने की कोशिश करने के आरोप लगाए हैं. इस एफआईआर में भाजपा युवा मोर्चा के नगर अध्यक्ष अर्पित श्रीवास्तव के साथ ही पार्टी के अन्य नेताओं अनुज रैकवार, शुभम मिश्रा, कुशमेंद्र चौधरी, मनीष शुक्ल, पुंडरीक पांडेय, सुधांशु राणा पर दंगा फैलाने का आरोप लगाया है. समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव कहते हैं कि इनके ख़ुद के विधायक अपने ही लोगों पर आरोप लगा रहे हैं कि वो दंगा करा रहे हैं.
1- बहराइच हिंसा में बीजेपी की भूमिका के आरोपों में कितनी सच्चाई
महसी तहसील के महराजगंज कस्बे में 13 अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमा विसर्जन के दौरान भड़की हिंसा में रामगोपाल मिश्रा नामक एक युवक की हत्या हो गई थी. इसके बाद तोड़फोड़, आगज़नी की घटनाएं हुई थीं और दंगा हो गया था. हिंसा को रोकने और दंगा को कंट्रोल करने में बहराइच का जिला प्रशासन और पुलिस फेल हो गई थी .हालांकि यह केवल एक पक्ष है. दूसरा पक्ष यह है कि पुलिस और प्रशासन ने हिंसा को 2 दिन में ही कंट्रोल कर लिया. राम गोपाल मिश्र की हत्या के बदले अल्पसंख्यक समुदाय का कोई भी व्यक्ति शिकार नहीं हुआ . इसके पीछे सरकार की सख्ती ही रही. अन्यथा क्रिया का प्रतिक्रिया होता ही है. कुछ लोग कह रहे हैं कि दंगे में अधिकतर गिरफ्तारियां मुसलमानों की हुईं हैं.
प्रशासन ने अगर मुसलमानों को गिरफ्तार कर हिदू पक्ष को भड़कने से रोक लिया तो यह तारीफ की ही बात होनी चाहिए. पर इस मुद्दे पर राजनीति करने में बीजेपी पर विपक्ष भारी पड़ गया. तस्वीर यह बनकर उभरी कि प्रशासन दंगा रोकने में असफल सााबित हुआ जबकि व्यवहारिक तौर पर दंगे को रोक लिया गया था. लेकिन महसी के भाजपा विधायक सुरेश्वर सिंह ने भाजपा कार्यकर्ताओं के खिलाफ हिंसा करने, दंगा कराने, पत्थरबाजी करने और जानलेवा हमला करने का आरोप लगाते हुए उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाकर हिंसा करने और दंगा करवाने में जैसे भाजपा का हाथ होने का प्रमाण पत्र ही दे दिया.
2- विधायक की तहरीर क्या पार्टी में अंतर्विरोध को दिखाती है
विधायक सुरेश्वर सिंह ने पुलिस को जो तहरीर दी है उससे लगता है कि पार्टी में अंदरूनी राजनीति जरूर चल रही है. विधायक अपने तहरीर में लिखते हैं कि दुर्गा प्रतिमा विसर्जन यात्रा के दौरान हिंसा में मृतक राम गोपाल मिश्रा के शव को बहराइच मेडिकल कॉलेज के समक्ष गेट पर रखकर भीड़ प्रदर्शन कर रही थी. मैं अपने अंगरक्षकों व अन्य सहयोगियों के साथ पहले से सड़क पर रखे शव के पास पहुंचा, उसके पश्चात जिलाधिकारी श्रीमती मोनिका रानी से मिलने सीएमओ बहराइच के कार्यालय में पहुंचा.
विधायक लिखते हैं कि वहां जिलाधिकारी, सीएमओ, सिटी मजिस्ट्रेट मौजूद थे, उनको साथ में लेकर मृतक राम गोपाल के शव के पास पुनः पहुंचे. वहां परिवार व गांव के लोगों से बातचीत करके मृतक राम गोपाल के शव को मृतक हम लोग मर्चरी जाने लगे तभी कुछ उपद्रवी, जिसमें अर्पित श्रीवास्तव, अनुज सिंह रैकवार, शुभम मिश्रा, कुशमेंद्र चौधरी, मनीष चंद्र शुक्ल, पुण्डरीक पाण्डेय (अध्यापक श्रावस्ती), सुधांशु सिंह राणा आदि सैकड़ों लोग मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे एवं गाली गलौज करने लगे. हम लोगों ने शव को लेकर किसी तरह से मर्चरी में रखवाया. फिर लोगों ने उपद्रव करना शुरू कर दिया.
सुरेश्वर सिंह की तहरीर में लिखा है कि, जिलाधिकारी महोदय ने कहा कि हम लोग मूर्तियों के विसर्जन हेतु पैदल चलकर आग्रह करते हैं. हम लोग मर्चरी से निकलकर गेट के बाहर जैसे ही सड़क पर आए उपरोक्त लोगों द्वारा हमारी गाड़ी को रोकने एवं शेष बचे लोगों को जान से मारने की नीयत से पत्थर चलाया गया.
भाजपा विधायक ने आगे बताया, उसी समय भीड़ से एक फायर भी हुआ जिससे गाड़ी का शीशा टूट गया. उस घटना में मेरे बेटे अखंड प्रताप सिंह बाल-बाल बचे. उक्त सारी घटना रात्रि 8 एक 10 बजे के मध्य की है. सीसीटीवी फुटेज में सारा कुछ स्पष्ट होगा. अतः मुकदमा पंजीकृत करके समुचित एवं आवश्यक कार्यवाही करने का कष्ट करें.
विधायक की तहरीर पर कोतवाली पुलिस ने आरोपियों पर दंगा करने, घातक हथियार से हमला करने, हत्या का प्रयास, व्यक्तिगत सुरक्षा खतरे में डालने, मारपीट सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया है. पुलिस ने इस पर कार्यवाही भी शुरु कर दी है और आरोपियों को तलाशने में जुट गई है.
जाहिर है कि पार्टी के लिए इससे अधिक शर्मिंदगी की बात और कुछ नहीं हो सकती. इससे ऐसा लगता है कि बहराइच में हिंसा करने और दंगा करवाने के पीछे भाजपा का हाथ रहा हो.
3- पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट के नाम पर पार्टी की लानत मलानत हुई
इसके पहले दंगे में मारे गए रामगोपाल मिश्रा की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट को लेकर भाजपा नेताओं से लेकर मीडिया ने ऐसी बातें की जो झूठी साबित हुईं.ये बाते कहां से हुईं ये समझ में नहीं आया.
ये रिपोर्ट कहां से मीडिया में पहुंची कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृतक के शरीर पर तलवार व चाकू से 35 घाव किए गए और नाखून तक उखाड़े गए. इस फर्जी रिपोर्ट से न केवल पत्रकार कन्फ्यूज हुए बल्कि कई भाजपा नेताओं को शर्मिंदगी उठानी पड़ी. बीजेपी का मीडिया सेल या तो खत्म हो चुका है या उसके नवीनीकरण का समय आ चुका है.अगर सरकार के कार्यों के बारे में सही तथ्य लोगों को नहीं पहुंच रहा है तो इसमें फॉल्ट किसका है. सरकार और पार्टी दोनों को ही इस पर विचार करना होगा.
इस बीच आनन-फानन में महराजगंज बाजार में दंगा फैलाने के आरोपियों के घरों व दुकानों को गिराने के लिए नोटिस चिपका दिए गए. इतना ही नहीं मौके पर दर्जन भर बुलडोजर ले जाकर खड़े कर दिए गए और जल्द ही दंगे के आरोप में जिन पर एफआईआर दर्ज थी उनके घर गिरा देने संबंधी खबरें प्रसारित की जाने लगीं. इस मामले में इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 15 दिनों के लिए बुलडोजर कारवाई पर रोक लगा दी है. जिसके बाद अधिकारी अब बुलडोजर कार्रवाई के लिए दूसरे कारण बता रहे हैं. पार्टी का मीडिया सेल और अधिकारियों की हड़बडी के चलते सरकार की खूब किरकिरी हुई है.