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प्रशांत किशोर ने जमानत न लेकर तेजस्वी और पप्पू यादव की राजनीति पर पानी फेर दिया । Opinion

प्रशांत किशोर ने बीपीएससी छात्र आंदोलन के समर्थन में अनशन को जारी रखने के लिए बेल लेने से मना कर दिया है. अब वो जेल में भी अनशन करेंगे. जाहिर है कि छात्र आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश करने वाले दूसरे नेताओं को यह अच्छा नहीं लग रहा होगा.

BPSC Protest Update: Prashant Kishore Hunger Strike BPSC Protest Update: Prashant Kishore Hunger Strike
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 06 जनवरी 2025,
  • अपडेटेड 6:17 PM IST

जनसुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने सरकार से बेल न लेकर महात्मा गांधी की राह पर चलने का फैसला लिया है. कभी बिहार की धरती पर चंपारण में नील किसानों के साथ हो रहे अत्याचार के खिलाफ सत्याग्रह करने पहुंचे महात्मा गांधी ने कोर्ट में बेल लेने से इनकार कर दिया था. बाद में कोर्ट ने उन्हें बिना बेल के रिहा करने का आदेश सुनाया था. चंपारण में मिली गांधी की इस सफलता ने ही उन्हें राष्ट्रीय स्तर का नेता बनाने में मुख्य भूमिका निभाई थी. गांधी को अपना आदर्श बताने वाले प्रशांत किशोर भी आज उसी रास्ते पर चलते दिखाई दिए.

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बीपीएससी की 70वीं प्रारंभिक परीक्षा को रद्द किए जाने की मांग को लेकर आमरण अनशन कर रहे प्रशांत किशोर को सोमवार की सुबह करीब चार बजे पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. कोर्ट ने उनकी जमानत को स्वीकार कर लिया था पर उन्हें अनशन और विरोध प्रदर्शन न करने आदि का शर्त रख दिया. प्रशांत किशोर ने इसे अन्यायपूर्ण बताते हुए बेल बॉन्ड भरने से इनकार कर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की राह पर चलने का फैसला किया है. जाहिर है प्रशांत किशोर के इस फैसले से उनके विरोधियों के पैर के नीचे से जमीन खिसक गई होगी. प्रशांत किशोर पर बीपीएससी स्टूडेंट आंदोलन को हाईजैक करने का आरोप लग रहा था. हालांकि इस आंदोलन का नेता बनने की कोशिश आरजेडी नेता तेजस्वी यादव और कांग्रेस नेता और सांसद पप्पू यादव भी कर रहे थे. पर अब लगता है कि इन दोनों नेताओं से प्रशांत किशोर काफी आगे निकल चुके हैं.

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तेजस्वी और पप्पू यादव मौका चूक गए 

2025 में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इन चुनावों को देखते हुए राज्य की विपक्षी पार्टियों के नेता लगातार बीपीएससी छात्रों के इस आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश में हैं. जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कथित पेपर लीक के कारण परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर जारी आंदोलन के बीच करीब एक हफ्ते पहले छात्र संसद का आह्वान किया था. छात्र संसद के बाद सीएम हाउस का घेराव करने जा रहे छात्रों पर पटना पुलिस ने लाठीचार्ज कर दिया, वाटर कैनन का इस्तेमाल किया. बिहार विधानसभा में विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव ने पीके पर छात्रों को गुमराह कर आंदोलन को हाईजैक करने की कोशिश का आरोप लगाते हुए इसे बड़ी ही चालाकी से आंदोलन कुचलने का प्रयास करार दिया था. यहां तक कहा गया कि प्रशांत किशोर ने पहले छात्रों को भड़काया और जब लाठी चली भाग खड़े हुए.

पीके ने भी प्रेस कॉन्फ्रेंस कर लाठीचार्ज की निंदा करते हुए तेजस्वी पर पलटवार किया था. बीपीएससी परीक्षा रद्द करने की मांग को लेकर छात्रों के आंदोलन के बीच इस बीच पीके और तेजस्वी यादव के बीच क्रेडिट वॉर को लेकर खूब बातें हुईं.

दूसरी और इस आंदोलन का श्रेय लेने के लिए पप्पू यादव भी लगे रहे. उनके समर्थक छात्रों ने पटना के सचिवालय हाल्ट पर ट्रेन रोकने का फैसला किया. सांसद पप्पू यादव ने PK के अनशन को दिखाला बताते हुए कहा कि राहुल गांधी जल्द ही BPSC छात्रों के समर्थन में बिहार आएंगे. पप्पू यादव ने प्रशांत किशोर को निशाने पर लेते हुए कहा, प्रशांत किशोर गांधी मैदान में महज एक नौटंकी कर रहे हैं. वह सायबर पक्षी और नटवरलाल हैं, जिनका अमरण अनशन सिर्फ दिखावा है. 

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प्रशांत किशोर को छात्रों आंदोलन का श्रेय न मिले इसकी बहुत कोशिश हुई

प्रशांत किशोर के आंदोलन को लेकर मीडिया में पहले दिन से गलत तस्वीर बनती गई. पहले उन पर कंबल के लिए अहसान जताने का आरोप लगा. फिर उनकी वैनिटी वैन को बेवजह मुद्दा बनाया गया. यहां तक कि उनकी ऐसी छवि बनाई गई कि वे अमीर आदमी हैं और एक दिन भी अनशन और धरना प्रदर्शन नहीं कर सकते. पप्पू यादव ने आरोप लगाया कि प्रशांत किशोर पूरे दिन खाना खाकर अमरण अनशन करने का नाटक करते हैं, लेकिन बच्चों के साथ क्यों नहीं बैठते? पप्पू यादव ने यह भी कहा कि यदि छात्रों के संघर्ष के प्रति प्रशांत किशोर की सच्ची चिंता होती, तो वह बच्चों के साथ मिलकर आंदोलन करते, न कि सिर्फ मीडिया के लिए यह ड्रामा करते.

सोमवार सुबह गिरफ्तारी होने पर कहा गया कि प्रशांत किशोर जानबूझकर गिरफ्तारी करवाएं हैं ताकि अनशन करने से बच जाएं. कुछ लोगों ने उनकी गिरफ्तारी को सेफ एग्जिट की संज्ञा भी दे दी. पर शाम होते होते प्रशांत किशोर ने खेला कर दिया. अगर जेल में उनका अनशन जारी रहता है तो पक्का है कि उनको हीरो बनने से कोई रोक नहीं पाएगा.

महात्मा गांधी ने चंपारण सत्याग्रह में बेल भरने से मना कर दिया था

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परतंत्र भारत में हजारों भूमिहीन मजदूर एवं गरीब नील किसानों पर बहुत अत्याचार हो रहा था. अंग्रेजों की ओर से भी शोषण हो ही रहा था ऊपर से कुछ बगान मालिक भी जुल्म ढा रहे थे. महात्मा गांधी ने अप्रैल 1917 में गणेश शंकर विद्यार्थी के कहने पर राजकुमार शुक्ल के निमंत्रण पर बिहार के चम्पारण के नील कृषकों की स्थिति का जायजा लेने पहुंचे. उनके दर्शन के लिए हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी. किसानों ने अपनी सारी समस्याएं बताईं. उधर पुलिस भी हरकत में आ गई. पुलिस सुपरीटेंडेंट ने गांधीजी को जिला छोड़ने का आदेश दिया. गांधीजी ने आदेश मानने से इंकार कर दिया. अगले दिन गांधीजी को कोर्ट में हाजिर होना था. हजारों किसानों की भीड़ कोर्ट के बाहर जमा थी. गांधीजी के समर्थन में नारे लगाये जा रहे थे. हालात की गंभीरता को देखते हुए मैजिस्ट्रेट ने बिना जमानत के गांधीजी को छोड़ने का आदेश दिया. लेकिन गांधीजी ने कानून के अनुसार सजा की मांग की. देखते ही देखते गांधी का नाम पूरे भारत में एक जुझारु नेता के रूप मे फैल गया.

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