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मणिपुर हिंसा को लेकर क्या कन्फ्यूज है कांग्रेस नेतृत्व? चिंदंबरम को डिलीट करना पड़ा ट्वीट | Opinion

मणिपुर हिंसा को लेकर देश के पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम खुद अपनी पार्टी में ही घिर गए हैं. उन्होंने मणिपुर हिंसा को लेकर एक ट्वीट किया था. स्थानीय कांग्रेस इकाई के विरोध के चलते उन्हें ट्वीट भी डिलीट करना पड़ा. आइये देखते हैं कि कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व क्या मणिपुर की हालिया परिस्थितियों को समझ नहीं पा रहा है?

मणिपुर हिंसा को रोकने में केंद्र और राज्य सरकार की नाकाम रही है. मणिपुर हिंसा को रोकने में केंद्र और राज्य सरकार की नाकाम रही है.
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 21 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 6:53 PM IST

मणिपुर का माहौल पिछले दो साल से इतना खराब हो चुका है कि मुख्यमंत्री बिरेन सिंह की बीजेपी सरकार को भी अब खतरा हो गया है. वहां विधायक, मंत्री, यहां तक सीएम भी सुरक्षित नहीं हैं. यही कारण है कि अभी हाल ही में सरकार में शामिल एक सहयोगी दल ने अपना समर्थन वापस ले लिया है. मुख्यमंत्री की चौतरफा निंदा हो रही है कि वे राज्य में शांति स्थापित करने में असफल रहे हैं. पर इसी बात को जब कांग्रेस नेता और पूर्व गृहमंत्री पी चिदंबरम ने कहा तो खुद उनकी पार्टी में ही बवाल हो गया. खुद मणिपुर कांग्रेस ने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे को चिट्ठी लिखकर चिंदबरम पर एक्शन लेने की मांग कर दी. इसके साथ ही चिदंबरम के उस ट्वीट को भी डिलीट करने को कहा जो बवाल की जड़ था. दरअसल चिदंबरम के ट्वीट में बिरेन सिंह को हटाने के साथ  मणिपुर में क्षेत्रीय स्वायत्तता के बारे में भी लिखा गया था , जो नाराजगी का असली कारण बन गया. पर सोचने वाली बात यह है कि आखिर स्वायत्ता का विरोध स्थानीय कांग्रेस क्यों कर रही है. क्या कांग्रेस का केंद्रीय नेतृत्व मणिपुर हिंसा को ठीक से समझ नहीं पा रहा है?

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1- क्यों हटाना पड़ा चिदंबर को ट्वीट

वरिष्ठ कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम ने अपने ट्वीट में मणिपुर के विभिन्न जातीय समुदायों के लिए राज्य के भीतर क्षेत्रीय स्वायत्तता की वकालत की थी. चिदंबरम ने एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर एक पोस्ट में कहा था कि मणिपुर में 5000 अतिरिक्त केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) तैनात करना समस्या का समाधान नहीं है. उन्होंने लिखा था  कि इसके बजाय, अधिक समझदारी की जरूरत है , यह स्वीकार करना चाहिए कि मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह इस संकट की जड़ हैं और उन्हें तुरंत हटाया जाना चाहिए. जरूरत है कि मैतेई, कुकी-जो और नागा एक राज्य में तभी रह सकते हैं जब उन्हें वास्तविक क्षेत्रीय स्वायत्तता मिले. इसके साथ  ही यह भी लिखा कि माननीय प्रधानमंत्री अपनी जिद छोड़ें, मणिपुर जाएं, वहां के लोगों से विनम्रता के साथ बात करें और उनके दुख-दर्द और आकांक्षाओं को समझें. 

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पर चिदंबरम के लिए यह ट्वीट उल्टा पड़ गया. मणिपुर के 10 कांग्रेस नेताओं, जिनमें वर्तमान विधायक, पूर्व मंत्री और पूर्व मणिपुर कांग्रेस अध्यक्ष शामिल हैं, ने खड़गे को पत्र लिखकर चिदंबरम की पोस्ट पर नाराजगी जाहिर की. पत्र में उन्होंने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर बैठक की और सर्वसम्मति से चिदंबरम के बयान की निंदा की. कांग्रेस की स्थानीय ने लिखा कि यह पोस्ट मणिपुर के इस संवेदनशील समय में बिलकुल अनुचित भाषा और भावनाओं को व्यक्त करता है. कांग्रेस पार्टी हमेशा मणिपुर की एकता और क्षेत्रीय अखंडता के पक्ष में खड़ी रही है. हम एआईसीसी से अनुरोध करते हैं कि वे पी. चिदंबरम के खिलाफ तत्काल उचित कार्रवाई करें और उन्हें यह पोस्ट तुरंत हटाने का निर्देश दें. मणिपुर कांग्रेस प्रमुख के. मेघाचंद्र ने भी चिदंबरम की पोस्ट के नीचे टिप्पणी की थी कि कृपया इसे डिलीट करें. मणिपुर में स्थिति ठीक नहीं है और यह बहुत संवेदनशील मामला है. पूर्व मुख्यमंत्री ओक्राम इबोबी सिंह ने चिदंबरम के बयान से राज्य इकाई को अलग करते हुए कहा कि यह उनकी व्यक्तिगत राय है. इबोबी सिंह ने लिखा कि हमने ट्वीट देखते ही तुरंत मल्लिकार्जुन खड़गे को सूचित किया. खड़गे जी ने तुरंत चिदंबरम से बात की और उन्होंने यह पोस्ट डिलीट कर दी गई.

2- क्या चिदंबरम हैं मणिपुर संकट की जड़

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मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बिरेन सिंह पहले ही चिदंबरम पर निशाना साधते रहे हैं. वो आरोप लगाते हैं कि मणिपुर संकट की जड़ें 2008 में चिदंबरम द्वारा ज़ोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी के साथ किए गए सस्पेंशन ऑफ ऑपरेशन समझौते में निहित हैं. सीएम बीरेन सिंह ने कांग्रेस नेता पी. चिदंबरम के बयान पर प्रतिक्रिया दी और मणिपुर में फिर हिंसा के लिए पी चिदंबरम की नीतियों को जिम्मेदार ठहराया. सीएम सिंह ने कहा, पी. चिदंबरम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और उन्होंने आरोप लगाया कि मौजूदा संकट मणिपुर के सीएम के कारण है. मैं यह कहना चाहता हूं कि कांग्रेस के समय में केंद्रीय नेताओं की अनदेखी के कारण हमें मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है. एन बीरेन सिंह ने कहा, वर्तमान संकट का मूल कारण भी पी चिदंबरम ही हैं. जब वो तत्कालीन कांग्रेस सरकार में गृह मंत्री थे और ओकराम इबोबी सिंह (मणिपुर के) सीएम थे तो वो म्यांमार के जोमी रिवोल्यूशनरी आर्मी के अध्यक्ष थांगलियानपाउ गुइते को मणिपुर लेकर आए थे. यह संगठन म्यांमार में प्रतिबंधित है.

3-कांग्रेस के स्थानीय नेताओं की नाराजगी के कारण की क्या वजह हो सकती है 

दरअसल मणिपुर के मुख्यमंत्री बिरेन सिंह भी कभी कांग्रेस में होते थे. बीजेपी में आने से पहले वे कांग्रेस के ही नेता थे. ध्यान देने वाली बात यह है कि बिरेन सिंह मणिपुर संकट के लिए चिदंबरम को जिम्मेदार बताते हैं पर तत्कालीन मुख्यमंत्री इबोबि सिंह को कुछ नहीं कहते . इसके पीछे क्या कारण हो सकता है, यह समझना चाहिए. दरअसल सारा खेल स्थानीय राजनीति का है. बीजेपी के एक्टिव होने के पहले कांग्रेस हिंदुओं की भी पार्टी होती थी. अल्पसंख्यक वोटर्स की मजबूरी होती थी कांग्रेस को वोट देना.उन्होंने एक तस्वीर दिखाई, जिसमें पी. चिदंबरम, थांग्लियानपाउ एक-दूसरे से हाथ मिला रहे हैं. बिरेन सिंह का कहना था कि उन्होंने कभी भी उत्तर पूर्व के लोगों की परवाह नहीं की. वर्तमान संकट म्यांमार से आए अवैध प्रवासियों की समस्या से हो रहा है. वो मणिपुर और पूरे उत्तर पूर्व के मूल निवासियों पर हावी होने की कोशिश करते हैं. मणिपुर में जो भी समस्या है, वो कांग्रेस द्वारा पैदा की गई है. वे इससे आसानी से पीछे नहीं भाग सकते हैं.

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दरअसल बाहर से आए घुसपैठिये पूरे पूर्वोत्तर की समस्या की जड़ हैं.कांग्रेस सरकारों के दौरान इन घुसपैठियों को रोकने के कोई उपाय नहीं किए गए बल्कि उनका स्वागत किया गया. जाहिर है कि आज वही घुसपैठिये मणिपुर में हिंसा का कारण बन रहे हैं. अगर कांग्रेस का कोई नेता बाहर से आए लोगों को सपोर्ट करता है तो जाहिर तौर पर मूल निवासियों का वह दुश्मन बन जाएगा. यही कारण स्थानीय कांग्रेस इकाई बाहर से आए समुदायों के सपोर्ट में सामने नहीं आ रहे हैं. यही कारण है कि चिदंबर के स्वायत्तता वाले बयान पर स्थानीय कांग्रेसी नाराज हो गए. स्वायत्ता के मंत्र में बाहर से आए समुदायों को भी मणिपुर में हक जमाने का मौका मिलेगा.शायद स्थानीय कांग्रेसी मूल निवासियों से बैर नहीं मोल लेना चाहते. 
 

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