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अरुणाचल प्रदेश के खिलाड़ियों को वीजा न देने वाले चीन को कनाडा वाला ट्रीटमेंट क्‍यों नहीं?

चीन के हांगझोउ में हो रहे एशियाई खेलों में हिस्‍सा लेने के लिए अरुणाचल प्रदेश के रहने वाले 3 वूशू खिलाड़ियों को जाना था, लेकिन उन्‍हें अनुमति नहीं दी गई. चीन अरुणाचल की विदेश विभाग की प्रवक्ता ने कहा कि वह अरुणाचल को अपना हिस्सा मानता है. हालांकि, भारतीय खिलाड़ी संघ इसे तकनीकी मामला कहता रहा, जबकि ऐसा था नहीं.

भारत को चीन के खिलाफ अब उठाने होंगे कड़े कदम भारत को चीन के खिलाफ अब उठाने होंगे कड़े कदम
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 22 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 4:43 PM IST

खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर को लेकर कनाडा के अनर्गल आरोपों का भारत ने कड़ा प्रतिवाद किया है. लेकिन वैसा कुछ चीन की हरकतों को लेकर दिखाई नहीं पड़ रहा है. चीन ने हांगझोउ में 23 सितंबर से शुरू हो रहे एश‍ियन गेम्स के लिए अरुणाचल के तीन खिलाड़ियों को वीजा देने से मना कर दिया है. न्येमान वांग्सू (Nyeman Wangsu), ओनिलु टेगा ( Nyeman Wangsu) और मेपुंग लाम्गू (Mepung Lamgu) की एनवक्‍त पर यात्रा कैंसिल कर दी गई.
विदेश मंत्रालय ने चीन से कड़ा ऐतराज जताया है. खबर आ रही है कि विरोध के चलते ही भारतीय खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने एशियन गेम्स में शामिल होने से मना कर दिया है. पर इतने से काम नहीं चलने वाला है. अब चीन की हेक़ड़ी को तोड़ने का वक्त आ गया है. क्‍योंकि ऐसा कोई पहली बार नहीं हुआ है. कुछ महीने पहले भी अरुणाचल के इन तीन खिलाड़ियों को वीजा देने से चीन ने मना कर दिया था.

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तिब्बत के खिलाड़ियों को भारत भी वीजा न दे
 
चीन की सबसे कमजोर नस है तिब्बत. भारत ने तिब्बत के निर्वासित नेता दलाई लामा को आज तक शरण दिया हुआ है. अब एक कदम और आगे बढ़ने की जरूरत है. तिब्बत के खिलाड़ियों को वीजा बंद करे भारत. भारत के इस कदम से चीन छटपटा कर रह जाएगा. पिछली बार जब अरुणाचल के खिलाड़ियों को चीन ने वीजा देने से मना किया था कांग्रेस नेता और पूर्व विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने कहा था कि तिब्बत से भारतीय वीजा के लिए आवेदन करने वाले किसी भी व्यक्ति को स्टेपल वीजा जारी करना शुरू कर देना चाहिए.
भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस तरह की कार्रवाई के लिए चीन को चेताया था,अब समय आ गया एक्शन का.

ताइवान की संप्रभुता को मान्यता दे भारत

ताइवान चीन की दूसरी सबसे कमजोर कड़ी है.ताइवान को चीन ने अपनी दबंगई के बल पर दुनिया में अलग थलग करके हड़प लिया. चीन दुनिया भर में ताइवान को अपनी टेरेटरी बताता है पर ताइवान आज भी अपने स्वतंत्र अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है. चीन के कड़े विरोध के कारण ताइवान के साथ राजनयिक संबंध रखने वाले देशों की संख्या तेजी से कम हो रही है. दुनिया में आज केवल 13 देश ही ऐसे रह गए हैं जो ताइवान को मान्यता देते हैं. एशिया के किसी भी देश ने ताइवान के साथ राजनयिक संबंध स्थापित करने की हिम्मत नहीं दिखाई है. कभी अमेरिका ने भी असली चीन के रूप ताइवान को ही मान्यता दी थी पर बाद में उसने भी ताइवान की जगह चीन को ही मान्यता दे दी. चीन अगर अपनी हेकड़ी से बाज नहीं आता है तो भारत सरकार को ताइवान को मान्यता देने के बारे में सोचना चाहिए. 

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कनाडा की तर्ज पर जैसे को तैसा जवाब जरूरी

आजादी के अमृतकाल में जिस तरह का बर्ताव कनाडा के साथ भारत ने किया है वैसा ही चीन के साथ करना होगा. कनाडा भी लगातार 5 दशकों से अपने देश से खालिस्तानियों को ऑपरेट कर रहा था, कनाडा में बैठकर गैंग्सटर भारत में फिरौती वसूल रहे हैं-हत्याएं करा रहे हैं, भारत मे कनाडा से अलगाववादियों के आंदोलन के लिए फंडिंग हो रही है. जिस तरह की कूटनीति से कनाडा का दुनिया में पर्दाफाश तो किया गया है वही पॉलिसी अब चीन के साथ करना होगा.चीन अब साउथ एशिया हो या एशिया पैसिफिक हर जगह कमजोर पड़ा है. एशिया प्रशांत से लेकर हिंद महासागर से अफ्रीका और ऑस्ट्रलिया तक भारत की स्थित मजबूत हुई है.

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