
शनिवार, 7 सितंबर को, मैं भारतीय विपक्षी नेता राहुल गांधी की बहुप्रतीक्षित यात्रा को कवर करने के लिए डलास, टेक्सास आया. उनके पिछले अमेरिकी दौरे के बाद, राहुल गांधी विपक्ष के नेता बन गए हैं, जब उनकी पार्टी ने हालिया आम चुनावों में अप्रत्याशित रूप से 99 लोकसभा सीटें जीती थीं.
अमेरिका और भारत में उनके भारतीय प्रवासी, छात्रों, मीडिया और कैपिटल हिल के नेताओं के साथ होने वाली मुलाकातों को लेकर काफी दिलचस्पी थी. अपनी तैयारी के हिस्से के रूप में, मैंने भारतीय ओवरसीज कांग्रेस (IOC) के अध्यक्ष सैम पित्रोदा से संपर्क किया, जिनका मैंने पहले इंटरव्यू लिया था. हमारे पिछले संवाद हमेशा अच्छे रहे हैं, और मुझे यकीन था कि वह राहुल की यात्रा के बारे में एक इंटरव्यू देने के लिए सहमत होंगे.
सैम ने सहमति दी. तय समयानुसार, मैं शाम 7:30 बजे के आसपास इरविंग, टेक्सास के रिट्ज कार्लटन होटल पहुंचा. वहां कुछ IOC सदस्यों से मिलने के बाद, मुझे सैम के विला ले जाया गया - एक आरामदायक जगह, जहां लगभग 30 लोग थे, जिनमें कुछ लोग भारत से आए थे और कुछ IOC यूएसए से. वे सभी उत्सुकता से राहुल गांधी के डीएफडब्ल्यू इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर पहुंचने का इंतजार कर रहे थे.
वहां की हलचल के बावजूद, सैम ने मुझे तुरंत पहचाना और इंटरव्यू के लिए सबको शांत रहने को कहा. मैंने अपना फोन रिकॉर्डिंग के लिए सेट किया और हमने राहुल गांधी की यात्रा के बारे में बात करना शुरू किया. सैम ने मेरे चार सवालों का बेहतरीन जवाब दिया, राहुल की यात्रा के प्रति आशा को बढ़ाते हुए, पीएम नरेंद्र मोदी के आगामी अमेरिकी दौरे की तुलना करते हुए, और एनआरआई समुदाय से जुड़े मुद्दों पर बात की.
लेकिन फिर मेरे आखिरी सवाल के बाद वहां सब कुछ बदल गया. 'क्या राहुल गांधी यूएस के सांसदों से बांग्लादेश में मारे जा रहे हिंदुओं के बारे में चर्चा करेंगे?' सैम ने जवाब देना शुरू ही किया था, 'ये राहुल और सांसदों पर निर्भर करता है कि वे क्या मुद्दे उठाते हैं, मैं उनकी ओर से नहीं कह सकता...' तभी वहां माहौल बदल गया. एक व्यक्ति ने चिल्लाते हुए कहा कि यह सवाल 'विवादास्पद' है, और अन्य लोग भी इसमें शामिल हो गए. तभी राहुल गांधी की एडवांस टीम के एक सदस्य ने मेरा फोन छीन लिया और चिल्लाने लगे, 'बंद करो! बंद करो!'
सैम और मैं दोनों चौंक गए, लेकिन राहुल की टीम और समर्थक फैसला कर चुके थे. एक व्यक्ति ने मेरा माइक छीनने की कोशिश की, लेकिन मैंने उसे नहीं दिया. वे किसी तरह रिकॉर्डिंग रोकने में कामयाब हो गए और मेरा फोन जबरन ले लिया. सैम को जल्दबाजी में एयरपोर्ट पर राहुल गांधी से मिलने के लिए भेज दिया गया.
इसके बाद जो हुआ, वह एक बुरे सपने जैसा था. कम से कम 15 लोग कमरे में रह गए और मुझसे इंटरव्यू का आखिरी सवाल डिलीट करने की मांग करने लगे. मैंने समझाया कि सवाल में कुछ भी विवादास्पद नहीं है और उनकी हरकतें अनैतिक हैं. लेकिन वे मेरी बात नहीं माने और मेरे फोन में छेड़छाड़ करने लगे, इंटरव्यू डिलीट करने की कोशिश की. हालांकि उन्होंने इसे फोटो लाइब्रेरी से डिलीट कर दिया, वे 'रिसेंटली डिलीटेड' फोल्डर में नहीं जा सके, क्योंकि इसके लिए मेरे फेस आईडी की जरूरत थी.
उनमें से एक ने चालाकी से मेरा फोन मेरे चेहरे के पास लाकर उसे अनलॉक कर दिया, और इंटरव्यू को 'रिसेंटली डिलीटेड' फोल्डर से भी हटा दिया. इसके बाद वे iCloud भी चेक करने लगे, लेकिन मेरा फोन एयरप्लेन मोड पर था, जिससे वीडियो सिंक नहीं हो सका था.
30 मिनट तक मेरी प्राइवेसी और पत्रकारिता की हर मर्यादा का उल्लंघन करने के बाद, वे शांत हुए. कुछ लोग तो मेरा फोन चार दिनों तक अपने पास रखने पर बहस कर रहे थे. मैंने किसी तरह उन्हें फोन वापस करने पर मजबूर किया और वहां से बाहर निकल आया. मुझे एक बार तो 911 कॉल करने का ख्याल आया, लेकिन मेरे पास फोन नहीं था. होटल के बाहर आकर मैंने सैम को टेक्स्ट किया और बताया कि क्या हुआ. उन्होंने कहा कि हम अगले दिन फिर से इंटरव्यू कर सकते हैं, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.
विडंबना यह है कि राहुल गांधी ने अमेरिकी मीडिया से भारत में मीडिया की घटती आजादी पर बात की और उनकी टीम मुझे चुप कराने में लगी हुई थी. उन्होंने यह मुद्दा हर अमेरिकी दौरे पर उठाया है, लेकिन लगता है कि प्रेस की स्वतंत्रता का मूल्य उनके अपने खेमे तक नहीं पहुंचता है.
मजेदार बात ये है कि मेरे एक साथी, जो एक प्रेस क्लब इवेंट में मॉडरेटर थे, ने राहुल से वही सवाल पूछा - 'क्या वह बांग्लादेश में हिंदुओं की हत्या का मुद्दा उठाएंगे?' - जिसे बाद में INC के आधिकारिक X (पहले ट्विटर) हैंडल से ट्वीट भी किया गया.