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दिल्ली सरकार को क्‍यों रहता है AQI के खतरे का निशान पार करने का इंतजार? | Opinion

दिल्ली में प्रदूषण ने फिर से जीना मुहाल कर दिया है. प्रदूषण के खतरनाक लेवल तक पहुंचने की सालगिरह दिवाली की तरह मनाने के लिए लोगों को मजबूर होना पड़ा है - आखिर दिल्ली में प्रदूषण से निजात दिलाने के लिए सरकार की तरफ से एहतियाती उपाय क्यों नहीं किये जाते?

अगले साल के संभावित खतरनाक प्रदूषण रोकने के लिए कोई एहतियाती उपाय अभी से क्यों नहीं किये जा सकते हैं? अगले साल के संभावित खतरनाक प्रदूषण रोकने के लिए कोई एहतियाती उपाय अभी से क्यों नहीं किये जा सकते हैं?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 18 नवंबर 2024,
  • अपडेटेड 12:41 PM IST

सबको मालूम है, हर साल दिवाली आती है. दिवाली दिल्ली में भी मनायी जाती है. हर साल दिवाली के आस पास दिल्ली में प्रदूषण खतरनाक स्तर से आगे बढ़ जाता है. और, दिल्ली के साथ साथ करीब करीब पूरे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र को चपेट में ले लेता है. 

लेकिन, दिल्ली में प्रदूषण के साथ भी व्यवस्था वैसे ही पेश आती है, जैसे कोई कुदरती आपदा हो. ऐसा लगता है जैसे पूरे साल प्रायोजित आपदा में अवसर ढूंढने का प्रयास चलता रहता हो - और अवसर को लपक लेने की ललक तब तक नहीं दिखाई देती जब तक कि प्रदूषण विकराल रूप न अख्तियार कर ले. 

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सवाल है कि ऐसा हर साल क्यों होता है? हर साल ऐसी स्थिति आने ही क्यों दी जाती है, जबकि सब कुछ पहले से पता होता है - और सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या अगले साल भी दिल्ली सरकार प्रदूषण को हर बार की तरह पूरे हर्षोल्लास के साथ सेलीब्रेट करेगी?

प्रदूषण के खिलाफ एहतियाती उपाय क्यों नहीं? 

प्रदूषण पर काबू पाने के लिए जो उपाय अभी किये जा गये हैं, वे सारे ही एहतियाती तौर पर भी तो हो सकते थे. कोई नया इंतजाम तो हुआ नहीं है. 

ऐसा क्यों लगता है कि हर साल एक सरकारी सर्कुलर तारीख बदल कर जारी कर दिया जाता है. और फिर स्कूल-कॉलेजों के लिए भी फरमान जारी कर दिया जाता है. कुछ गाड़ियों के आने जाने पर भी पाबंदी लगा दी जाती है - और फिर कुछ दिन बाद सब सामान्य हो जाता है - 'अगले बरस तू जल्दी आ' वाले मोड में. 

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18 नवंबर की सुबह दिल्ली में औसत AQI 481 रिकॉर्ड किया गया है. असल में, हफ्ते भर से दिल्ली में प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर बना हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक, अशोक विहार और बवाना जैसे इलाकों में AQI 495 दर्ज किया गया है - और प्रदूषण की वजह से सिर्फ दिल्ली की ही कौन कहे, पूरे एनसीआर में धुंध छाई हुई है.

हालात को देखते हुए CAQM यानी कमीशन फॉर एयर क्वालिटी मैनेजमेंट ने 18 नवंबर, 2024, सुबह 8 बजे से दिल्ली-NCR में GRAP 4 यानी ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लान के चौथे फेज को लागू कर दिया गया है.

दिल्ली की मुख्यमंत्री आतिशी की तरफ से कहा गया है कि GRAP 4 लागू होने पर 10वीं और 12वीं के अलावा सभी छात्रों के अलावा सभी क्‍लास ऑनलाइन होगी. ये व्यवस्था अगले आदेश तक लागू रहेगी. 

GRAP 4 को वायु प्रदूषण से निबटने के लिए सबसे सख्त उपाय माना जाता है. 2023 में भी ये व्यवस्था 14 दिनों के लिए लागू की गई थी. और जब AQI लेवल कम हो गया था तो GRAP 4 की पाबंदियां हटा दी गई थीं, लेकिन हवा साफ रहने तक GRAP 3 लागू रखने के निर्देश दिए गए थे. 2022-23 की सर्दियों में भी GRAP 4 लागू किया गया था, लेकिन 3 दिन के लिए ही. 

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जब कानून व्यवस्था की चुनौतियों से निबटने के लिए स्थानीय प्रशासन धारा 144 लागू कर देता है, तो प्रदूषण के ये उपाय एहतियाती तौर पर क्यों नहीं लागू किये जा सकते - ये बड़ा सवाल बना हुआ है. 

और ये हाल तब है जब दिल्ली में जल्दी ही विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं. अगले साल तो चुनाव का दबाव भी नहीं रहेगा.

अगले साल भी यही हाल बना रहेगा?

कम से कम प्रदूषण के मामले में तो दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार और केंद्र की बीजेपी सरकारों के बीच तकरार नहीं हो सकती. कोरोना काल में भी दिल्ली सरकार के हाथ खड़े कर देने पर केंद्र सरकार ने कमान अपने हाथ में ली थी, और मोर्चे पर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी उतर आये थे. तब तो दिल्ली के तत्कालीन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल आगे बढ़ कर तारीफ भी कर रहे थे कि स्थिति को कैसे संभाला जा सकता है, ये सब उनको साक्षात सीखने को मिला. 

ये अरविंद केजरीवाल ही हैं जो मुख्यमंत्री रहते अपराध के मामलों में ये कह कर पल्ला झाड़ लेते रहे कि दिल्ली पुलिस उनको रिपोर्ट नहीं करती. 2020 के दिल्ली दंगों के दौरान भी अरविंद केजरीवाल की भूमिका पर सवाल उठे थे कि दंगे के दौरान वो घर में बैठे रहे. 

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दिल्ली में मुख्यमंत्री का नाम जरूर बदल गया है, लेकिन सब कुछ वैसे ही चल रहा है. वैसे भी जब बगल वाली कुर्सी से सरकार चलाई जा रही हो, तो हाल क्या होगा?

कोविड की तरह ही प्रदूषण के मामले में दिल्ली सरकार को केंद्र सरकार से सहयोग मिलने में कोई कमी नहीं होगी, ऐसा माना जा सकता है. उप राज्यपाल वीके सक्सेना पर भी काम में अड़ंगा डालने जैसा इल्जाम नहीं लगाया जा सकेगा. 

अगर बीती बातों से सबक लेते हुए दिल्ली सरकार और केंद्र सरकार मिलकर कोई समाधान ढूंढ लें, और अगले साल भी ये हाल होने से पहले एहतियाती उपाय लागू कर लिये जायें तो दिल्ली के लोगों को जहरीली हवा में सांस लेने से राहत मिल सकती है. 

अब आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल ये तो नहीं कह सकते कि इस साल प्रदूषण इसलिए बढ़ गया, क्योंकि बीजेपी के इशारे पर उनको और उनके कुछ साथियों को जेल भेज दिया गया था. 

क्या दिल्ली में प्रदूषण को भी किसी लाइलाज दर्द की तरह बर्दाश्त करना पड़ेगा? आखिर दिवाली और पराली के नाम पर कब तक सरकार पल्ला झाड़ती रहेगी?

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