Advertisement

फडणवीस, शिंदे और अजित पवार ठहाकों के पीछे क्या ग़म छुपा रहे हैं?

महाराष्ट्र में सरकार चला रहे देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार जिस तरह से सार्वजनिक तौर पर एकजुट होने का प्रदर्शन कर रहे हैं, लगता है पर्दा लगाने की कोशिश हो रही है - तब क्या होगा जब पर्दा उठेगा और अचानक राज खुल जाएगा?

देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की बातों में और एक्शन में फर्क ही बता रहा है कि सब कुछ ठीक नहीं है. देवेंद्र फडणवीस, अजित पवार और एकनाथ शिंदे की बातों में और एक्शन में फर्क ही बता रहा है कि सब कुछ ठीक नहीं है.
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 03 मार्च 2025,
  • अपडेटेड 1:21 PM IST

महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस, एकनाथ शिंदे और अजित पवार को साथ बैठकर ठहाके लगाते हुए कई बार देखा गया है. ये देखकर बरबस एक गजल याद आ जाती है - 'तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो...'

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के दौरान भी ऐसे वाकये देखने को मिले, जब एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम - और अब भी देखने को मिल रहा है जब बदले राजनीतिक हालात में दोनो की कुर्सियों की अदलाबदली हो गई है. 

Advertisement

तब और अभी की स्थिति में बस एक चीज कॉमन है. अजित पवार तब भी डिप्टी सीएम थे, और अब भी हैं. एकनाथ शिंदे के साथ उनकी ताजा नोकझोंक बहुत बड़ा कटाक्ष है. एक तरीके से एकनाथ शिंदे के पिछले कमेंट का जवाब भी. 

बातों बातों में अजित पवार ने एकनाथ शिंदे को अपनी मुख्यमंत्री की कुर्सी न बचा पाने के लिए तंज कसा है. ये करीब करीब वैसे ही है जैसे पहले एकनाथ शिंदे ने अजित पवार के लिए बोला था कि उनको तो कभी भी शपथ ले लेने अनुभव है - ये बोलकर एकनाथ शिंदे ने जोरदार ठहाका लगाया था. 

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के नतीजे आते ही अजित पवार ने अपनी लाइन क्लियर कर दी थी. मुख्यमंत्री पद का मामला बीजेपी पर छोड़कर अपने लिए डिप्सी सीएम की कुर्सी सुरक्षित कर ली थी, जबकि एकनाथ शिंदे आज तक नहीं स्वीकार कर पाये हैं. तभी तो याद दिलाना अब भी नहीं भूल रहे हैं, 'मुझे हल्के में मत लेना...'

Advertisement

तो क्या एकनाथ शिंदे भी फिल्मी लहजे में कुछ समझाने की कोशिश कर रहे हैं, जैसे - ‘पिक्चर अभी बाकी है…’

किस बात का डर है जो एकता का ढोल पीट रहे हैं?

प्रेस कॉन्फ्रेंस महाराष्ट्र सरकार से जुड़े तमाम मुद्दों पर बातें हुईं, लेकिन जो वाकया सभी को याद रहा, वो था मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और दोनो डिप्टी सीएम एकनाथ शिंदे और अजित पवार की नोकझोंक, और जोरदार ठहाके.

बात शुरू हुई एकनाथ शिंदे की एक बात से, जिसमें वो उन बातों को पर्दे से ढकने की कोशिश कर रहे थे, जिसे लेकर हर किसी के मन में सवाल पैदा हो रहे हैं. देखा जाये, तो एकनाथ शिंदे अपने हाल के ही बयान, ‘मुझे हल्के में मत लेना’ पर सफाई दे रहे थे.

एकनाथ शिंदे ने हफ्ते भर पहले ही कहा था, मैंने पहले ही कहा है… मुझे हल्के में मत लीजिए… मैं सामान्य कार्यकर्ता हूं, मैं बाला साहेब और दीघे साहब का कार्यकर्ता हूं… सभी को मेरी बात इसी समझ से लेनी चाहिये.. जब 2022 में मुझे हल्के में लिया तो तांगा पलट गया… और मैंने सरकार बदल दी. 

जाहिर है, ये सब बातें मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और बीजेपी नेतृत्व के लिए ही होती हैं, और एकनाथ शिंदे रह रहकर अपनी मौजूदगी महसूस कराने की कोशिश करते रहते हैं. 

Advertisement

एकनाथ शिंदे मीडिया को ये समझाने की कोशिश कर रहे थे कि सब कुछ पहले की ही तरह चल रहा है, और कुछ बदला नहीं है. सिर्फ जिम्मेदारियां बदली हैं, लेकिन अजित पवार की नहीं. 

एकनाथ शिंदे ने कहा, भले ही सरकार का कार्यकाल नया है, लेकिन हमारी टीम पुरानी है… अभी केवल हमारी कुर्सियां बदली गई हैं… केवल अजीत दादा की कुर्सी पक्की है. 

ये सुनते ही अजित पवार बोल पड़े, अगर आप अपनी कुर्सी फिक्स नहीं कर सके तो मैं क्या कर सकता हूं?

बात बहुत आगे न बढ़े इसलिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने माहौल को हल्का-फुल्का रंग देने की कोशिश की, हमारे पास घूमने वाली कुर्सी है.

एकनाथ शिंदे ने भी अपनी तरफ से सफाई देने की कोशिश की कि ये सब आपसी समझ के तहत हो रहा है. जिस पर देवेंद्र फडणवीस ने जोड़ा, हमारे बीच ये रोटेटिंग-अंडरस्टैंडिंग है.

जब तीनो नेताओं के बीच टकराव की बात पूछी गई तो, देवेंद्र फडणवीस ने पत्रकारों से कहा कि ब्रेकिंग न्यूज न खोजी जाये, इतनी गर्मी में भला कोल्ड-वॉर कैसे हो सकता है? हमारे बीच सब कुछ ठंडा-ठंडा, कूल-कूल है.

क्या एकनाथ शिंदे को कमजोर करना मुश्किल हो रहा है?

सवाल ये है कि जब एकनाथ शिंदे अकेले होने पर खुलेआम धमका रहे हों, तो देवेंद्र फडणवीस साथ बैठकर ‘ऑल इज वेल’ समझाने की कोशिश क्यों कर रहे हैं - आखिर बीजेपी और देवेंद्र फडणवीस को डर किस बात का है? बीजेपी तो महाराष्ट्र चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी है, फिर डर किस बात का?

Advertisement

क्या देवेंद्र फडणवीस को शक है कि एकनाथ शिंदे कभी भी तांगा पलट सकते हैं?

महाराष्ट्र और बिहार के राजनीतिक हालात कई मायने में ऐसे हैं कि दोनो राज्यों के समीकरण अक्सर कॉमन नजर आते हैं. 

वैसे तो बिहार में मुख्यमंत्री बीजेपी का है, लेकिन एकनाथ शिंदे का अब भी ताकतवर बने रहना बीजेपी को हजम नहीं हो रहा है. जैसे बिहार में चिराग पासवान की मदद से बीजेपी ने नीतीश कुमार के जनधार में तोड़ फोड़ मचाया, एकनाथ शिंदे के भी पर कतरने की कोशिश में है. लेकिन एकनाथ शिंदे के खिलाफ बीजेपी को कोई चिराग पासवान नहीं, एक और एकनाथ शिंदे ही चाहिये. 

एकनाथ शिंदे ये बात अच्छी तरह समझते हैं, और बीच बीच में अपनी ताकत का दिखाने की कोशिश करते रहते हैं - असल में महाराष्ट्र में बीजेपी के पास नेता का संकट नहीं है, लोगों के बीच स्वीकार्यता का संकट है. 

बेशक बीजेपी और शिवसेना हिंदुत्व की ही राजनीति करते हैं, लेकिन महाराष्ट्र के लोग अब भी शिवसेना को अपने बीच का और बीजेपी को करीब करीब बाहरी ही मानते हैं, और ये बात वोट शेयर या सांसदों-विधायकों की संख्या के आधार पर नहीं समझी जा सकती. बीजेपी को अब भी इसी बात की फिक्र है.

Advertisement

बीजेपी के निशाने पर अब भी उद्धव ठाकरे ही हैं या शरद पवार भी?

उद्धव ठाकरे को तो बीजेपी पूरी तरह नेस्तनाबूद करना चाहती ही है, लेकिन शरद पवार की ताजा गतिविधियां भी रहस्यमय लगती हैं. 

एक तरफ तो वो एकनाथ शिंदे को सम्मानित भी करते हैं, और ऐन उसी वक्त वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी उसी भाव से मिलते हैं, जैसे बरसों पहले - जाहिर है, बीजेपी को भी लग ही रहा होगा कि शरद पवार कहीं एकनाथ शिंदे के कंधे पर बंदूक रख कर कोई नया खेल न कर दें.

Read more!
Advertisement

RECOMMENDED

Advertisement