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‘AIADMK की झाड़ी, बीजेपी का सांप', सनातन के बहाने उदयनिधि स्टालिन के निशाने पर कौन?

सनातन धर्म को मिटाने की बात कर तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि पूरे देश में चर्चा में हैं. सीएम स्टालिन और उनके पुत्र उदयनिधि आजकल लगातार अपने भाषणों में मोदी और शाह को क्यों टार्गेट पर रखते हैं? क्या तमिलनाडु में बीजेपी से उन्हें खतरा हो गया है?

संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 04 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 9:04 PM IST

तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि के पिछले कुछ वर्षों की राजनीतिक जीवन यात्रा को देखें तो वो अपनी विचारधारा मजबूत करने के नाम पर बीजेपी को राज्य में अपनी जड़ें मजबूत करने में लगा रहे हैं. सनातन धर्म को मिटाने वाला उनका बयान तो एक बानगी भर है. इसके पहले भी उनकी राजनीति ऐसी रही है जो बीजेपी को राज्य में दूसरे नंबर का कंटेंडर बनाने का आधार तय कर रही है. तमिलनाडु में उन्हें बहुत पहले से ही हिंदुत्व समर्थित भाजपा के रूप में एक वैचारिक शत्रु पनपता दिख रहा है. यही कारण है कि उन्होंने अपनी पार्टी के युवा कैडरों के लिए सामाजिक न्याय, राज्य की स्वायत्तता आदि के बारे में ट्रेंड करने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते रहे हैं.

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उदयनिधि वही कह रहे हैं जो उन्हें कहना चाहिए था

उदयनिधि स्टालिन के 2 दिन पहले दिए बयान 'सनातन धर्म को मिटाने' के मुद्दे पर बवाल हो गया है. उन्होंने कहा कि'सनातन धर्म मलेरिया डेंगू की तरह है जिसे मिटाना ज़रूरी है.' उदयनिधि तमिलनाडु के युवा मामलों और खेल मंत्री के अलावा, फ़िल्म लेखक, निर्देशक और अभिनेता भी हैं.उदयनिधि की पारिवारिक पृष्ठभूमि और उनके प्रदेश की राजनीति को देखते हुए उनके लिए यह बयान कोई बड़ी बात नहीं है.उदयनिधि इंडिया गठबंधन में शामिल होने के पहले ये बयान दिए होते तो उन्हें शायद कोई तवज्जो नहीं मिलती और न ही इस मुद्दे की चर्चा होती. उनके दादा करुणानिधि भी ऐसी ही बातें करते रहे हैं. उनकी पार्टी जिन लोगों को महापुरुष मानती रही है उन लोगों का भी सनातन धर्म को लेकर कुछ ऐसे ही विचार रहे हैं.इसलिए उदयनिधि वही कह रहे हैं जो उन्हें कहना चाहिए था. उनकी पार्टी का आधार ही इसी विरोध पर आधारित है.

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उदयनिधि कहते हैं कि, "ऐसी कुछ चीज़ें होती हैं जिनका विरोध करना काफी नहीं होता, हमें उन्हें समूल मिटाना होगा. मच्छर, डेंगू बुख़ार, मलेरिया, कोरोना ये ऐसी चीज़ें हैं जिनका हम केवल विरोध नहीं कर सकते हमें इन्हें मिटाना होगा.सनातन धर्म भी ऐसा ही है." दरअसल इंडिया गठबंधन का सदस्य होने के नाते डीएमके अगर इस तरह की बातें करती है तो इस मुद्दे का बड़ा होना लाजिमी ही है.इस तरह बीजेपी को तमिलनाडु में अपनी जड़ें मजबूत करने का तो मौका मिल ही रहा है साथ में ये मुद्दा बीजेपी को इंडिया गठबंधन को हिंदू विरोधी साबित करने में भी दिला रहा है. 

उदयनिधि के भाषणों में बीजेपी का विरोध

उदयनिधि ने अपने पिता और दादा से अलग छवि तैयार करने की कोशिश की है.वह नहीं चाहते हैं कि उन्हें परिवारवाद के चलते तमिलनाडु की सत्ता पर अधिकार मिले. वो अपनी ऐसी छवि तैयार करने में लगे हैं जो उनके पिता और उनके दादा से अलग हो. इसलिए वह खुद को डीएमके के नए चेहरे के तौर पर प्रस्तुत कर रहे हैं. उनका पहनावा अक्सर जींस और सफेद शर्ट वाला होता है. जिसमें उनकी पार्टी का उगता हुआ सूरज चिह्न बना हुआ होता है.उनका ड्रेसअप अपने पिता और दादा के पारंपरिक वेशभूषा यानी सफेद शर्ट और कड़क वेष्टि से बिल्कुल अलग होता है.वह अन्नाद्रमुक को टार्गेट करने के लिए सीधे बीजेपी को टार्गेट करते हैं.द्रमुक कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उन्होंने एक बार बीजेपी की तुलना उस सांप से की जो  ‘अन्नाद्रमुक (AIADMK) नामक झाड़ी के जरिए तमिलनाडु में छिपा हुआ है.’ वो जोर देते हैं कि भाजपा को मिटाने के लिए हमें अन्नाद्रमुक को मिटाना होगा. उनके भाषणों में अमित शाह या नरेंद्र मोदी ही टारगेट पर होते हैं.

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सनातन और हिंदू धर्म

सनातन' का शाब्दिक अर्थ है - शाश्वत या 'सदा बना रहने वाला', यानी जिसका न आदि है न अन्त. यही कारण है कि दुनिया का यह सबसे प्राचीनतम धर्म के रूप में भी जाना जाता है. सनातन धर्म को ही अब हिन्दू धर्म अथवा वैदिक धर्म के नाम से भी जाना जाता है. महात्मा गांधी भी सनातन धर्म शब्द का इस्तमाल थे. दरअसल सनातन धर्म और हिंदू धर्म में कोई अंतर नहीं है.आजकल दुनिया भर में हिंदुत्व शब्द को फेनेटिक मान लिया गया है. इस बीच बहुत से दक्षिणपंथी विचार वाले लोग सनातन शब्द का प्रयोग कर हिंदुत्व विरोधियों के हमले का शिकार होने से बचने के लिए करते हैं. 

दरअसल उदयनिधि का भी इस सनातन को खत्म करने की बात दक्षिण में बीजेपी के विस्तार से ही जोड़कर कर रहे होंगे.उदयनिधि जानते हैं कि तमिलनाडु की जनता बहुत धार्मिक भी है. मंदिरों से उनका पुराना नाता रहा है. इसलिए ही हिंदुत्व की बजाय सनातन शब्द का प्रयोग उन्होंने किया. 
क्योंकि उदयनिधि आजकल अपने भाषणों में लगातार बीजेपी, गृहमंत्री अमित शाह को भी टार्गेट कर रहे हैं. बीजेपी लगातार परिवारवाद पर हमले कर रही है.तमिलनाडु में भी अमित शाह अपनी यात्रा के दौरान करुणानिधि परिवार और उसकी राजनीतिक विरासत पर हमले करते हैं.यही भी कारण है कि उदयनिधि के हमले बीजेपी पर बढ़ते जा रहे हैं.लेकिन यह भी सत्य है कि इसका लाभ दोनों उठा रहे हैं.पर बीजेपी को कुछ ज्यादा ही बेनिफिट हो रहा है. दरअसल बीजेपी इन हमलों के चलते डीएमके के सीधे मुकाबले में नजर आने लगी है. एक बार उदयनिधि ने राज्य की दूसरी सबसे बड़ी एआईडीएमके का फुल फार्म अमित शाह द्रविण मुनेत्र कझगम बोलकर तंज कसा था.

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स्टालिन के भाषणों में भी मोदी-शाह का विरोध

उदयनिधि की तरह उनके पिता और राज्य के सीएम स्टालिन के भाषणों के केंद्र में भी मोदी और शाह ही होते हैं. एक बार उन्होंने एक जनसभा में कहा कि ‘मैं अमित शाह से पूछना चाहता हूं कि आपका बेटा बीसीसीआई सचिव कैसे बन गया? उन्होंने कितने क्रिकेट मैच खेले? उन्होंने कितने रन बनाए हैं?’ 
एक जनसभा में तमिलनाडु के मुद्दों पर वो पीएम मोदी को घेरते हुए कहते हैं कि  निर्वाचित होने से पहले अप्रैल 2014 में रामनाथपुरम में नरेंद्र मोदी न कहा था कि रामेश्वरम को एक अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल में बदल दिया जाएगा. क्या हुआ रामेश्वरम को कितना बदला गया? इसी तरह वह जनता को 2019 में किए गए वादे की याद दिलाते हैं.वे कहते हैं कि “17 किलोमीटर लंबा रामेश्वरम-धनुषकोडी रेल लिंक अभी तक पूरा नहीं हुआ है.

गणेशजी का फोटो पोस्ट कर फंस गए थे उदयनिधि

करीब 2 साल पहले की बात है गणेश चतुर्थी की पूजा चल रही थी. करुणनिधी परिवार के तीसरी पीढ़ी के उत्तराधिकारी और वर्तमान सीएम स्टालिन के पुत्र उदयनिधि ने गणेश मूर्ति की तस्वीर अपने सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर दी थी.इस पर उनके समर्थकों ने बवाल कर दिया. उदयनिधि के पारिवारिक मित्र को सामने आकर यह कहना पड़ा कि, “उदय और उनकी पत्नी दोनों नास्तिक हैं. उनके घर में पूजा कक्ष भी नहीं है. उनकी मां गणेश की मूर्ति घर ले आईं. उनकी बेटी ने उस मूर्ति के बारे में जिज्ञासा दिखाई और उसे मूर्ति बहुत पसंद आई तो उन्होंने पोस्ट कर दिया. इस मूर्ति का द्रविड़ विचारधारा से जिसका वे अनुसरण करते हैं, उससे कोई संबंध नहीं है.

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दरअसल इस घटना का जिक्र यहां इसलिए जरूरी था जिस व्यक्ति के गणेश की मूर्ति लगाने पर उनके समर्थक नाराज हो सकते हैं उस शख्स में सनातन धर्म के प्रति कितनी आस्था, कितना लगाव और कितना सम्मान होगा.लखनऊ के वरिष्ठ पत्रकार नवलकांत सिन्हा कहते हैं कि सैकड़ों सालों में न जाने कितने शासकों ने गर्दनें काटीं, किसी ने लालच दिया , किसी ने ईश्वर में अल्ला जोडा. सनातन फिर भी ज़िंदा है. दरअसल पूरा देश आज नवलकांत जी की तरह गुस्सा है. बीजेपी इस गुस्से का राजनीतिकरण जानती है. इससे पहले समाजवादी पार्टी के स्वामी नाथ मौर्य लगातार हिंदू प्रतीकों पर टार्गेट कर रहे हैं. रामचरित मानस से लेकर हिंदू देवी देवताओं पर उनकी टिप्पणियों लगातार चर्चा में हैं. इस बीच उदयनिधि का बयान आने के बाद इंडिया गठबंधन को हिंदू विरोधी साबित करने की बीजेपी की रणनीति कामयाब होती दिख रही है.

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