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लोकसभा नतीजों में INDIA गुट की लॉटरी लगने के पीछे हैं ये 5 कारण

लोकसभा चुनाव 2024 में INDIA ब्लॉक बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए को जबरदस्त टक्कर दे रहा है. शुरुआती रुझानों में एनडीए ने बहुमत का आंकड़ा पार कर लिया है, लेकिन बीजेपी को उत्तर प्रदेश में जोरदार झटका लगा है, जबकि कांग्रेस ने अपने प्रदर्शन में काफी सुधार किया है.

बगैर चेहरे के भी कैसे मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए पर भारी पड़ा INDIA? बगैर चेहरे के भी कैसे मोदी के नेतृत्व वाले एनडीए पर भारी पड़ा INDIA?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 04 जून 2024,
  • अपडेटेड 3:01 PM IST

लोकसभा चुनाव 2024 के रुझानों में एनडीए को बहुमत हासिल हो चुका है, लेकिन विपक्षी गठबंधन INDIA ब्लॉक से जबरदस्त टक्कर मिल रही है - और बीजेपी के 'अबकी बार 400 पार' का स्लोगन बेअसर साबित होता नजर आ रहा है. 

ममता बनर्जी के दूरी बना लेने, और नीतीश कुमार के एनडीए में चले जाने के बाद INDIA ब्लॉक काफी कमजोर लग रहा था, लेकिन उसका प्रदर्शन उम्मीदों से ज्यादा उम्दा लग रहा है - ऐसा लग रहा है कि मोदी सरकार के प्रति लोगों में जो भी असंतोष रहा, विपक्षी गठबंधन उसे भुनाने में सफल लग रहा है. 

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2019 के विपरीत विपक्ष इस बार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को भुनाने में भी कुछ हद तक कामयाब लग रहा है - और ये भी लगता है कि राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर विपक्षी नेताओं का स्टैंड राजनीतिक तौर पर सही था.

ऐसा लगता है कि विपक्ष की तरफ से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुकाबले अगर प्रधानमंत्री पद का कोई चेहरा पेश कर दिया गया होता, तो नतीजे काफी अलग भी हो सकते थे. वैसे विपक्ष की तरफ से कहा गया है कि चुनाव नतीजे INDIA के पक्ष में आये तो 48 घंटे के भीतर प्रधानमंत्री के नाम की घोषणा कर दी जाएगी. 

1. चुनाव कैंपेन में विपक्ष का नैरेटिव चल गया

चुनाव कैंपेन के दौरान नैरेटिव तो दोनो तरफ से सेट करने की कोशिश हुई, लेकिन ऐसा लगता है विपक्ष आरक्षण खत्म करने और संविधान बदलने की बात को मुद्दा बनाने में काफी सफल रहा - और तमाम तौर तरीके अपनाने के बावजूद बीजेपी चूक गई. 

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विपक्ष के नैरेटिव को अपनी स्टाइल में न्यूट्रलाइज करने की कोशिश की, लेकिन लगता है लोगों को 'ज्यादा बच्चे पैदा करने वाले', 'घुसपैठिये' 'मंगलसूत्र' जैसे पॉलिटिकल कीवर्ड लोगों को पसंद नहीं आये. 

2. क्षेत्रीय दलों के दबदबे का असर

चुनावों से पहले एक सर्वे में बताया गया था कि बीजेपी को क्षेत्रीय दलों से कड़ी चुनौती मिल सकती है, और देश भर में ऐसी 200 से ज्यादा सीटें बताई गई थीं - रुझानों में भी यही संकेत मिल रहे हैं. 

क्षेत्रीय दलों में भी सबसे ज्यादा असरदार यूपी में अखिलेश यादव की समाजवादी पार्टी, तमिलनाडु में डीएमके और पश्चिम बंगाल में तृणमूल कांग्रेस नजर आ रहे हैं. हां, बिहार में तेजस्वी यादव की आरजेडी का प्रदर्शन वैसा नहीं हैा, लेकिन महाराष्ट्र में उद्धव ठाकरे की शिवसेना मजबूत नजर आ रही है. 

3. मुस्लिम वोटर इंडिया गठबंधन के साथ

एग्जिट पोल के नतीजे भले ही रुझानों से मेल नहीं खा रहे हों, लेकिन मुस्लिम वोटों को लेकर सर्वे सही लग रहा है. ये तो साफ साफ लग रहा है कि INDIA ब्लॉक को सबसे ज्यादा वोट मुस्लिम समुदाय से मिला है. 

4. युवा बदलाव और जल्द नतीजे चाहते थे

एग्जिट पोल में युवाओं का भी खासतौर पर जिक्र आया था. ये पाया गया था कि बीजेपी के ज्यादातर वोटर 35 साल से ज्यादा उम्र वाले हैं, लेकिन युवाओं का दो वर्ग 18-25 और 25-35 उम्र वर्ग के वोटर बदलाव और जल्द रिजल्ट चाहते हैं - और उनका वोट लगता है INDIA ब्लॉक को ही मिला है.

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5. कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार का भी प्रभाव

लगता है, इस बार कांग्रेस की न्याय स्कीम चल गई. न्याय योजना तो राहुल गांधी ने 2019 में भी लाये थे, लेकिन समझा नहीं पाये - इस बार उसमें कुछ एड-ऑन फीचर जोड़ दिये गये, और वे काम कर गये.

राहुल गांधी ने भारत जोड़ो न्याय यात्रा के दौरान कांग्रेस की तरफ से '5 न्याय, 25 गारंटी' का वादा किया था, और तभी से पूरे चुनाव कैंपेन में कांग्रेस नेताओं ने इस मुद्दे पर जोर दिया - जिसमें युवा न्याय के तहत 'पहली नौकरी पक्की' और महिला न्याय के तहत 'महिलाओं के खाते में एक लाख रुपये' का वादा भी असरदार साबित हुआ है. 

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