
2023 राहुल गांधी तीसरी बार विदेश दौरे पर हैं. अभी वो यूरोप के दौरे पर हैं, और इससे पहले ब्रिटेन और अमेरिका का दौरा किये थे - और 2014 केंद्र में बीजेपी की सरकार बनने के बाद से उनके 20 से ज्यादा दौरे हो चुके हैं.
मौजूदा दौरे में भी राहुल गांधी का फोकस अपने एजेंडे पर ही है. राहुल गांधी का ये दौरा ऐसे वक्त हो रहा है जब दिल्ली में G20 सम्मेलन चल रहा है, और कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के आरम्भ की एनिवर्सरी मना रही है. पता चला है कि जब तक वो लौटेंगे, ये दोनों ही आयोजन संपन्न हो चुके हैं.
तो क्या राहुल गांधी के ताजा विदेश दौरे के पीछे कोई राजनीतिक वजह भी हो सकती है? मसलन, G20 सम्मेलन के दौरान दिल्ली से बाहर रहने का इंतजाम? और साइड इफेक्ट भारत जोड़ो यात्रा पर पड़ रहा है. वैसे भी अभी अगर भारत जोड़ो यात्रा की बातें होतीं या फिर राहुल गांधी नफरत के राजनीतिक माहौल में मोहब्बत की दुकान खोलने की बात करते तो भला कौन सुनता? फिर तो हेडलाइन बनना भी शायद ही संभव हो पाता.
विदेशी मंचों का इस्तेमाल सरकार विरोधी या भारत विरोधी?
लंदन दौरे में राहुल गांधी ने देश भर में केरोसिन छिड़क दिये जाने का इल्जाम लगाया था. संघ और बीजेपी को टारगेट करते हुए राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी आरोप के घेरे में लिया था.
ब्रसेल्स के प्रेस क्लब में पहुंचे राहुल गांधी ने जो कुछ कहा उसके बीच अपना पुराना बयान दोहराना नहीं भूले, भारत में इस वक्त महात्मा गांधी और नाथूराम गोडसे के विजन के बीच लड़ाई है.
लंदन की तरह ब्रसेल्स में भी राहुल चीन की तारीफ करना नहीं भूले. उन्होंने चीन के बेल्ट एंड रोड प्रोजेक्ट और मैन्युफैक्चरिंग मॉडल की तारीफ तो की ही. साथ ही भारत पर आरोप जड़ा कि वह कोई विकल्प नहीं उपलब्ध करवा रहे हैं. जब राहुल गांधी ये बयानबाजी कर रहे हैं तो दुनिया के G20 देश भारत के सुर में सुर मिलाकर उसके प्रयासों और स्टैंड की तारीफ कर रहे हैं.
विपक्ष पार्टी का नेता होने के नाते राहुल का ये पूरा हक है कि वे सरकार को घेरें. भाजपा पर सवाल उठाएं. लेकिन, G20 समिट जैसे आयोजन के बीच इन हमलों में संजीदगी की गुंजाइश है कि नहीं?
G20 के परिप्रेक्ष्य में राहुल गांधी का एक ट्वीट निश्चित ही सोचने पर मजबूर करता है, जिसमें वे कहते हैं कि 'भारत सरकार हमारे गरीबों और बेजुबान जानवरों को छिपाने में लगी हुई है. भारत की सच्चाई को हमारे मेहमानों से छिपाने की कोई जरूरत नहीं है.'
राहुल गांधी के बयान पर केंद्रीय मंत्री किरण रिजिजु का कहना है, ‘राहुल गांधी चाहे देश में हों, या विदेश में… उनका एक ही काम है… मोदी जी के बारे में भला-बुरा कहना - और देश को बदनाम करना… मुझे समझ नहीं आता कि मोदी जी से इतनी नफरत क्यों है? और वो देश के खिलाफ इतना क्यों बोलते हैं?’
मोदी सरकार के मंत्री और बीजेपी नेता की बात अपनी जगह है, लेकिन राहुल गांधी ने तारीफ भी की है. G20 के आयोजन को लेकर भी, और रूस-यूक्रेन युद्ध पर भारत के स्टैंड को लेकर भी.
कांग्रेस पार्टी अब तक कहती रही है कि भारत को G20 की मेजबानी मिलना बड़ी बात नहीं है. ये रोटेशन के आधार पर मिला हुआ अवसर है. ऐसे में राहुल गांधी का कहना है कि G20 की अध्यक्षता मिलना देश के लिए अच्छी बात है. यूक्रेन के मसले पर राहुल गांधी कहते हैं, 'मुझे लगता है कि विपक्ष, कुल मिलाकर, कॉन्फ्लिक्ट पर भारत के मौजूदा स्टैंड से सहमत होगा… मुझे नहीं लगता कि अभी जो कुछ सरकार कर रही है, विपक्ष का उससे कोई अलग रुख होगा.
डिनर डिप्लोमेसी बनाम डिनर पॉलिटिक्स
राहुल गांधी ने भारत और इंडिया के मुद्दे पर भी अपनी बात रखी है, और राष्ट्रपति की तरफ से मेहमानों के लिए डिनर में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को न बुलाये जाने को लेकर भी मोदी सरकार पर हमला बोला है.
डिनर के सवाल पर राहुल गांधी तपाक से बोलते हैं, ‘इसमें नया क्या है?’
फिर कहते हैं, ये आपको कुछ बताता है… ये बताता है कि वो भारत की 60 फीसदी आबादी के नेता को महत्व नहीं देते हैं... ये कुछ ऐसा है जिसके बारे में लोगों को सोचना चाहिये… ऐसा करने की जरूरत क्यों महसूस हो रही है? और इसके पीछे किस प्रकार की सोच है?’
राहुल गांधी का आरोप है कि देश में विपक्ष को सत्ता पक्ष जरा भी तवज्जो नहीं दे रहा है. ये कहने का मतलब भी उन आरोपों को दोहराने जैसा ही है कि देश में लोकतंत्र खतरे में है. या फिर ये कहना कि संस्थाओं को बर्बाद करने की कवायद चल रही है.
कांग्रेस नेता का कहना है, ये आपको दिखाता है कि वो विपक्ष के नेता को महत्व नहीं देते… इसीलिए G20 शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है. डिनर के आमंत्रण को लेकर कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों की तरफ से अलग ही बात आयी है. अशोक गहलोत और भूपेश बघेल का कहना था कि उनके हेलीकॉप्टर को लैंडिंग की अनुमति नहीं मिली. हालांकि, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आरोप को सिरे से खारिज कर दिया है.