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व्यंग्य: G20 Summit को लेकर कितने नाराज़ फूफाओं के मुंह फूले हुए हैं

दिल्ली में आयोजित G20 समिट पर भले ही पूरे देश को गर्व हो रहा हो और इसे एक कामयाब इवेंट बताया जा रहा हो. मगर तमाम लोग हैं जो नाराज फूफा बने इधर-उधर टहल रहे हैं. ऐसे लोग न केवल मीडिया वालों को पकड़-पकड़कर अपना दुःख बता रहे हैं बल्कि अपनी कुंठा को जाहिर करने के लिए सोशल मीडिया का भी बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं. आइये जानें जी-20 के मद्देनजर कौन-कौन से फूफा हुए हैं नाराज.

जी-20 इवेंट में जैसा जलवा भारत ने दिखाया है उसका पूरा क्रेडिट पीएम मोदी को जाता है जी-20 इवेंट में जैसा जलवा भारत ने दिखाया है उसका पूरा क्रेडिट पीएम मोदी को जाता है
बिलाल एम जाफ़री
  • नई दिल्ली ,
  • 10 सितंबर 2023,
  • अपडेटेड 7:56 AM IST

देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित G20 समिट का मामला भी कुछ-कुछ ऐसा ही है. एक ऐसे समय में, जब पूरे देश को इतने बड़े और कामयाब इवेंट के चलते गर्व हो रहा हो. तमाम फूफा हैं जो मुंह फुलाने के बाद गर्दन झुकाए इधर-उधर टहल रहे हैं. मीडिया वालों से लेकर ट्विटर और फेसबुक तक इन्हें अपनी 'कुंठा' के संचार का जो भी साधन दिख रहा है, वो उसका इस्तेमाल कर रहे हैं. इनके द्वारा एक से एक नई या ये कहें कि अतरंगी कमियों को निकाला जा रहा है और रंग में भंग डाला जा रहा है.

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भले ही इन रूठे फुफाओं को अपना मकसद पता हो. लेकिन मन के किसी कोने में जानते ये भी हैं कि हम गलत हैं. मगर बात फिर वही है ये फूफा हैं और इन्हें लगता है कि हर सीधी चीज में इन्हें उंगली टेढ़ी करने का हक़ समाज देता है.

जी 20 समिट के चलते नाराज हुए फुफाओं का जिक्र हम ऊपर ही कर चुके हैं. ऐसे में हमारे लिए उस लिस्ट का अवलोकन भी जरूरी हो जाता है जो हमें इन फुफाओं से न केवल अवगत कराएगी. बल्कि ये भी बताएगी कि पीएम मोदी की आलोचना के नाम पर ये लोग जो भी कर रहे हैं उससे किरकिरी किसी और की नहीं, इनकी खुद की हो रही है.

राहुल गांधी

बात रूठे हुए फुफाओं पर हो और कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को छोड़ दिया जाए तो फिर मुमकिन ही नहीं है कि आगे कुछ नई बात हो पाए. जी 20 की बैठक के मद्देनजर केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का सौंदर्यीकरण किया था. झुग्गी झोपड़ी को कवर करना भी केंद्र की इस मुहिम का हिस्सा था. इसे लेकर राहुल गांधी ने ट्वीट किया है और केंद्र सरकार और उसकी कार्यप्रणाली को सवालों के घेरे में लाकर खड़ा कर दिया है.

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GOI is hiding our poor people and animals.

There is no need to hide India’s reality from our guests.

— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) September 9, 2023

अपने ट्वीट में राहुल गांधी ने इस बात का जिक्र किया है कि भारत सरकार हमारे गरीब लोगों और जानवरों को छुपा रही है. वहीं उन्होंने ये भी कहा है कि अपने मेहमानों से है हकीकत छिपाने की कोई जरूरत नहीं है. ट्वीट के बाद राहुल गांधी की तीखी आलोचना हो रही है और कहा जा रहा है कि इन्होने रंग में भंग डालने का काम किया है.

मल्लिकार्जुन खड़गे

अक्सर ही देखने को मिलता है कि फूफा जी इसलिए फूल गए क्योंकि फलां चीज उनके सामने नहीं परोसी गयी. खड़गे का मामला भी इसी से मिलता जुलता है. खड़गे की नाराजगी इस बात को लेकर है कि विपक्ष का बड़ा चेहरा होने के बावजूद उन्हें उस डिनर में इंवाइट नहीं किया गया जो राष्ट्रपति ने विदेशी मेहमानों के लिए रखा. डिनर को ध्यान में रखकर खड़गे ने भाजपा पर बड़ा हमला किया है.

खड़गे ने कहा है कि  उन्हें (भाजपा को) इस मामले पर राजनीति नहीं करनी चाहिए थी. चूंकि खड़गे लगातार इस मामले को मुद्दा बना रहे हैं. ऐसे में हम उनसे इतना जरूर कहेंगे कि मामले के मद्देनजर वो जो कुछ भी कर रहे हैं वो भी राजनीति ही है. कितना अच्छा होता कि चुप रहकर अपने आचरण से भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक बड़ा सबक देते. 

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भूपेश बघेल-अशोक गहलोत 

क्योंकि दिल्ली में आयोजित जी 20 समिट  मोदी सरकार का एक सफल इवेंट है किसी को बुरा लगे या न लगे कांग्रेस को मिर्च जरूर लगेगी. ऐसे में कांग्रसी खेमे के दो मजबूत फूफा जबरदस्त तरीके से बवाल काटते हुए नजर आ रहे हैं. छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल और राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने दावा किया है कि, उन्हें दिल्ली में लैंडिंग की इजाजत नहीं  मिली. 

अभी ये लोग ढंग से अपने दावे को सही साबित कर भी नहीं पाए थे ऐसे में जो बातें MHA ने कही हैं वो इनके दावों की किरकिरी करती नजर आ रही हैं.  MHA ने कहा है कि यह कहना सच नहीं है.

CM के मूवमेंट पर रोक नहीं है. सवाल ये है कि इन बेबुनियाद बातों को कर आखिर अशोक गहलोत और भूपेश बघेल को मिला क्या? यदि ये आरोप उनकी राजनीति का हिस्सा है तो फिर कहना गलत नहीं है कि ईश्वर ही ऐसी राजनीति का मालिक है.

जयराम रमेश 

विषय जब जी 20 समिट के तहत सरकार की आलोचना हो तो कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश इस मामले में हमें 'नाराज फूफा संगठन' के अध्यक्ष की भूमिका में नजर आ रहे हैं.

रमेश ने भी सौंदर्यीकरण को मुद्दा बनाया है और कहा है कि G20 का उद्देश्य प्रमुख विश्व अर्थव्यवस्थाओं का जमावड़ा होना है, जिसका उद्देश्य वैश्विक समस्याओं से सहयोगात्मक तरीके से निपटना है. लेकिन इस कार्यक्रम को लिए झुग्गियों को या तो ढंक दिया गया है या ध्वस्त कर दिया गया है.

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हजारों लोगों को बेघर कर दिया. रमेश के दावे इसलिए भी विरोधाभासी हैं क्योंकि अपने ऊपर लगे आरोपों पर सरकार का यही कहना है कि लोगों के अलावा जानवरों को विस्थापित किया गया है. 

शी जिनपिंग/चीन

भारत में विपक्ष का तो फिर भी समझ में आता है लेकिन बड़ा सवाल ये है कि आखिर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग क्यों नाराज फूफा की भूमिका में आ गए हैं? जवाब बेहद आसान है. इस बात में कोई शक नहीं है कि दिल्ली के प्रगति मैदान स्थित भारत मंडपम में जी 20 समिट का आयोजन कर भारत ने अमरीका और रूस समेत विश्व के तमाम मुल्कों को अपनी शक्ति से अवगत करा दिया है.

इसके अलावा चीन और शी दोनों ही इस बात को बखूबी जानते हैं कि पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत का मौजूदा स्वरूप पूरे साउथ एशिया में हलचल पैदा करने वाला है जो कहीं से भी चीन के हित में नहीं है. इसलिए अलावा गलवान घाटी और अरुणाचल प्रदेश भी वो प्रमुख वजह है जिसके चलते शी रूठा फूफा बनने पर मजबूर हुए हैं.

पश्चिमी मीडिया विशेषकर यूक्रेनी अख़बार 

भारत का इस तरह पूरी दुनिया में नाम रौशन करना पश्चिमी मीडिया, खासतौर से यूक्रेनी अख़बारों को बुरा लगा है. आलोचनाओं का दौर शुरू हो गया है इसलिए चाहे वो पश्चिमी मीडिया की प्राइम टाइम डिबेट हो या फिर उनके ओपिनियन लेख उनमें इस इवेंट की खोज खोजकर कमी निकाली जा रही है.

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जिक्र यूक्रेन का हुआ है तो बता दें कि भारत ने जी20 की इस बैठक में यूक्रेन को नहीं बुलाया है इसलिए वहां की मीडिया ने इसे एक बड़े मुद्दे की तरह पेश किया है. यूक्रेन के एक प्रमुख अखबार कीव पोस्ट में छपे एक ऑपिनियन लेख में कहा गया है कि बैठक में यूक्रेन को न बुलाना रूस का तुष्टीकरण है.

अपने लेख में यूक्रेन की मीडिया ने और कई बातों का जिक्र किया है और उनका सार यही है कि भले ही युद्ध के बाद यूक्रेन और वहां के लोगों का भारी नुकसान हुआ हो, लेकिन भारत को उसकी कोई परवाह नहीं है और रूस के प्रति उसने सॉफ्ट कार्नर रखा हुआ है.

पाकिस्तान 

नाराज फूफाओं की इस फेहरिस्त से अगर पाकिस्तान को निकाल दिया जाए या फिर उसे नजरअंदाज कर दिया जाए तो मजा बेस्वाद हो जाता है. जिस समय ये खबर आई कि भारत में आयोजित जी 20 समिट में चीन की तरफ से शी जिनपिंग नहीं आ रहे हैं पाकिस्तान की ख़ुशी देखने वाली थी.

बाद में जिस तरह भारत की तरफ से बांग्लादेश को न्योता भेजा गया कहीं न कहीं पाकिस्तान की असलियत बाहर आ गयी थी. इसके बाद जिस तरह मुहम्मद बिन सलमान भारत आए उसने भी पाकिस्तान की खूब जबरदस्त किरकिरी की.

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ध्यान रहे पाकिस्तान ने इंडिया बनाम भारत की डिबेट को भी एक बड़ा मुद्दा बनाया था और कहा थी कि वहां इसे लेकर एक बड़ा गतिरोध चल रहा है. जबकि सच्चाई क्या है पूरी दुनिया उससे वाकिफ है. कुल मिलाकर जी 20 समिट से भारत ने पाकिस्तान को और कुंठा में रहने और जीना का मौका दे दिया है. 

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