
G20 Summit में हिस्सा लेने आए विश्व के तमाम बड़े नेता का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत मंडपम में स्वागत किया. जिस समय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विश्व के अलग अलग नेताओं से हाथ मिलाकर उनका स्वागत कर रहे थे, उस वक़्त पूरे देश की निगाहें जिस चीज पर रुकीं वो ओड़िशा के विश्व प्रसिद्ध कोणार्क सूर्य मंदिर का चक्र था. इंटरनेट पर जो तस्वीरें और वीडियो आए हैं, उनमें भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन को कोणार्क सूर्य मंदिर का ऐतिहासिक सांस्कृतिक महत्व समझाते हुए देखा जा सकता है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का शुमार देश के उन नेताओं में है, जो अक्सर ही लीक से हटकर काम करते हैं. और ऐसा बहुत कुछ कर देते हैं जो सुर्ख़ियों में अपने आप ही आ जाता है. जी 20 समिट में कोणार्क सूर्य मंदिर के चक्र को दिखाने का मामला भी कुछ ऐसा ही है. ध्यान रहे पूर्व में ऐसे तमाम मौके आए हैं जब किसी पर्यटन स्थल की ब्रांडिंग के नाम पर हमारे नेता ताजमहल को कैश करते थे.
याद करिये वो दौर जब कोई भी विदेशी मेहमान भारत आता था तो उसे कुछ दिखाया जाए न दिखाया जाए, ताजमहल जरूर दिखाया जाता था. साथ ही जब वो वापस अपने देश लौटता था तो उसे ताजमहल का रेप्लिका दिया जाता था. अब जबकि पीएम मोदी ने कोणार्क के सूर्य मंदिर की ब्रांडिंग कर दी है, तो माना जा रहा है कि इस घटनाक्रम के बाद न केवल ओड़िशा और कोणार्क सूर्य मंदिर की तरफ दुनिया का ध्यान आकर्षित होगा बल्कि इससे भारत के सांस्कृतिक महत्व को भी बढ़ावा मिलेगा.
कोणार्क सूर्य मंदिर के चक्र को भारत की एक बड़ी सांस्कृतिक धरोहर माना जाता है. भारत मंडपम में लगा कोणार्क चक्र भारत के प्राचीन ज्ञान, उन्नत सभ्यता और वास्तुशिल्प की उत्कृष्टता का प्रतीक तो है ही. साथ ही यह लोकतंत्र के पहिये के एक शक्तिशाली प्रतीक के रूप में कार्य करता है जो लोकतांत्रिक आदर्शों के लचीलेपन और समाज में प्रगति के प्रति प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
ज्ञात हो कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी20 शिखर सम्मेलन में इसी चक्र के सामने अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन, ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, ब्राजील के राष्ट्रपति लुइज इनासियो लूला डा सिल्वा, जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा, इटली की प्रधानमंत्री जियोर्जिया मेलोनी और कई अन्य शीर्ष नेताओं का स्वागत किया और एक बड़ा संदेश ये दिया कि भारत का अर्थ केवल ताजमहल नहीं है.
देश के प्रधानमंत्री के इस अंदाज पर पैनी नजर बनाए लोगों की मानें तो अपनी इस मुहिम से कोणार्क सूर्य मंदिर को विश्व पटल पर लाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल दुनिया को असली भारतीय संस्कृति से अवगत कराया है बल्कि इसके जरिये वो सनातन का प्रचार और प्रसार करते हुए भी नजर आ रहे हैं.
आखिर क्या है कोणार्क सूर्य मंदिर का इतिहास
कोणार्क स्थित सूर्य मंदिर का निर्माण 13वीं शताब्दी में राजा नरसिम्हादेव-प्रथम ने करवाया था. सन् 1948 में यूनेस्को ने इसे विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता दी है. बताते चलें कि भारतीय सांस्कृति में इसके महत्व को दर्शाने के लिए 10 रुपये के भारतीय नोट के पीछे कोणार्क सूर्य मंदिर को दर्शाया गया है.
बहरहाल, जैसा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वाभाव है. इस बात में कोई शक नहीं है कि इस पहल के बाद ओड़िशा और वहां के पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा. वहीं जिस तरह प्रधानमंत्री पर एक वर्ग द्वारा सोशल मीडिया पर ये आरोप लगाया जा रहा है कि, अपनी इस रणनीति से उन्होंने ताजमहल को नजरअंदाज किया. तो ऐसे लोगों से हम भी इतना जरूर कहेंगे कि भारत का अर्थ केवल ताजमहल नहीं है. तमाम धरोहरें ऐसी हैं जिन्हें मौका दिया जाना चाहिए और कोणार्क के चक्र को भारत मंडपम तक लाना इसी कड़ी का हिस्सा है.