
हरियाणा विधानसभा चुनाव में नामांकन दाखिल करने की समय सीमा गुरुवार को खत्म हो चुकी है.बीजेपी का टिकट पहले जारी होने से ऐसा लगा कि इस बार पार्टी में बहुत बड़ी बगावत हुई है. पर बागी उम्मीदवारों के मामले में कांग्रेस भी कम नहीं है. कांग्रेस को पहले से ही अंदेशा था कि पार्टी में बड़े पैमाने पर बगावत होगी. शायद यही कारण रहा कि टिकट वितरण इतना देर में किया गया कि बागियों को सोचने का मौका न मिले. पर यह रणनीति भी काम नहीं आई. कांग्रेस के भी बहुत से टिकट उम्मीदवारों को निराशा हाथ लगी है. दोनों ही पार्टियों में ऐसे लोग हैं जिनके टिकट मिलने की गारंटी थी पर वे पार्टी की गुटबंदी के शिकार हो गए. वैसे तो इन दोनों ही पार्टियों में बहुत से लोगों ने निराश होकर पार्टी से रिजाइन किया है या अपना असंतोष जाहिर किया है. पर दोनों ही पार्टियों में कुछ ऐसे लोग भी हैं जो अपनी पार्टी छोड़कर निर्दल प्रत्याशी बन गए हैं. आइये देखते हैं कि ऐसे लोगों की संख्या में कांग्रेस आगे है या बीजेपी?
सावित्री जिंदल ने हिसार से निर्दल भरा पर्चा, 3 अन्य भी मैदान में उतरे
देश की सबसे अमीर महिला के रूप में जानी जाने वाली सावित्री जिंदल ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन भरा है. भाजपा ने उन्हें हिसार से टिकट नहीं दिया. जैसा सभी जानते होंगे कि वो कुरुक्षेत्र से भाजपा सांसद नवीन जिंदल की मां हैं. अभी कुछ महीनें पहले ही मां-बेटे ने कांग्रेस छोड़कर भारतीय जनता पार्टी ज्वाइन किया था. नवीन जिंदल ने पार्टी के फैसले पर खरा उतरते हुए लोकसभा चुनावों में कुरुक्षेत्र सीट जीतकर बीजेपी की झोली में डाल दिया था. इसी तरह उनकी मां सावित्री जिंदल भी हिसार से बीजेपी के लिए एक मजबूत प्रत्याशी थीं पर पार्टी में अंदरूनी राजनीति की वो शिकार हो गईं.
बीच में एक बार ऐसा भी लगा कि उन्हें कांग्रेस से भी टिकट मिल सकता है.पर बेटे के भाजपा सांसद होने की वजह से बातचीत शायद सिरे नहीं चढ़ी. जिस दिन सावित्री जिंदल को पता चला कि उनकी जगह बीजेपी किसी और को हिसार से टिकट दे दिया गया. उसी दिन सावित्री जिंदल बागी हो गईं थीं. उन्होंने हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा को राजनीति में अपना गुरु मानते हुए कहा था वो कांग्रेस से टिकट लेने का भी प्रयास करेंगी. इस बीच हरियाणा के राजनीतिक गलियारों में एक खबर यह भी चल रही है कि हिसार से बीजेपी प्रत्याशी कमल गुप्ता बीजेपी के सदस्य भी नहीं हैं.बीजेपी का एक गुट जानबूझकर सावित्री जिंदल को हिसास से निर्दल खड़ा करवाया है. जिंदल अगर चुनाव जीत जाती हैं तो बीजेपी में ही आएंगी. फिलहाल हिसार में उनकी स्थित बहुत मजबूत है. नामांकन भरने के बाद सावित्री जिंदल ने ये कहकर कि ये उनका आखिरी चुनाव है और भी मजबूत हो गईं हैं.
पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के पूर्व मीडिया एडवाइजर ने भी बगावत कर दिया है. सोनीपत में उनके पूर्व मीडिया सलाहकार राजीव जैन निर्दलीय चुनाव लड़ने के लिए पर्चा दाखिला कर दिया है. गुरुवार को उन्होंने अपनी पत्नी कविता जैन के साथ नामांकन दाखिल किया. वह इस सीट से पत्नी कविता जैन का टिकट कटने पर बागी हुए हैं. राजीव जैन ने कहा, 'भाजपा ने सोनीपत से एक कांग्रेसी विचार वाले को व्यक्ति को टिकट दिया है. नेता-कार्यकर्ता इसके विरोध में हैं. भाजपा आलाकमान को भी इससे अवगत कराया गया था. उम्मीद थी कार्यकर्ताओं के हक में फैसला होगा, पार्टी ने इसके लिए समय भी मांगा था, लेकिन फैसला उनके पक्ष में नहीं आया.
पुंडरी में पूर्व विधायक ने भाजपा छोड़कर निर्दल पर्चा भरा.
कैथल जिले के अंतर्गत आने वाली पुंडरी विधानसभा सीट से पूर्व विधायक दिनेश कौशिक के उम्मीदों पर भी बीजेपी ने पानी फेर दिया है.यही कारण रहा कि गुरुवार को उन्होंने भाजपा को अलविदा कह दिया. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है.
पानीपत शहरी सीट पर युवा भाजपा नेता हिमांशु गर्ग ने पार्टी से बागी होकर निर्दलीय नामांकन भरा है. यहां से भाजपा ने मौजूदा विधायक प्रमोद विज को दोबारा टिकट दिया है.
कांग्रेस में करीब 6 बागी बने उम्मीदवार
कांग्रेस में भी असंतोष कम नहीं है. सबसे मजेदार किस्सा तो कलायत से आ रहा है. भूपिंदर सिंह हुड्डा और रणदीप सुरजेवाला की खींचतान में एक ऐसी महिला प्रत्याशी का टिकट कट गया जिसकी तारीफ स्वयं राजीव गांधी ने की थी. रणदीप सुरजेवाला ने भी भरी सभा में एक बार युवा कांग्रेस नेताओं को श्वेता ढुल से प्रेरणा लेने की बात कही थी. पार्टी ने वहां से सांसद जयप्रकाश के पुत्र विकास को टिकट दे दिया है. बताया जा रहा है कि श्वेता ढुल का रणदीप सुरजेवाला गुट में रहने के चलते टिकट कट गया. कहा जा रहा है कि अपने समर्थकों को टिकट दिलवाने में सबसे अधिक सफल भूपिंदर सिंह हुड्डा गुट ही रहा है. हालांकि श्वेता ढुल ने पार्टी नहीं छोड़ी है लेकिन क्लियर किया है कि अभी वो कलायत में कांग्रेस पार्टी का प्रचार करने में खुद को सक्षम नहीं पा रही हैं.पर अब तक प्राप्त समाचारों के लिहाज से पार्टी के करीब 6 नेताओं ने टिकट न मिलने के चलते निर्दल पर्चा दाखिला किया है.
रेवाड़ी जिले की कोसली सीट पर कांग्रेस नेता मनोज कोसलिया पूर्व मंत्री जगदीश यादव को टिकट देने से बागी हो गए. उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पर्चा दाखिल कर दिया है.चरखी दादरी जिले की बाढड़ा विधानसभा सीट पर कांग्रेस का टिकट न मिलने पर सोमबीर घसौला बागी हो गए.उन्होंने भी निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर पर्चा दाखिला किया है. दरअसल पार्टी ने इस सीट से चौधरी बंसीलाल के दामाद सोमबीर सिंह श्योराण को कैंडिडेट बनाया है.
फरीदाबाद में कांग्रेस से बागी हुईं शारदा राठौर अपने समर्थकों के साथ निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन किया है.राठौर कांग्रेस के समय सीपीएस रह चुकीं हैं.
पानीपत शहरी सीट पर पूर्व विधायक रोहिता रेवड़ी ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर नामांकन दाखिल किया है. कांग्रेस पार्टी ने यहां से वरिंदर कुमार शाह को उम्मीदवार बनाया. जिसके चलते नाराज होकर रेव़ड़ी ने निर्दल ही मैदान में उतरने का फैसला किया. रेवड़ी हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुई थीं. पर उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया.
अंबाला कैंट से कांग्रेस का टिकट मिलने की उम्मीद खत्म होने पर चित्रा सरवारा ने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर मैदान में उतर चुकी हैं. हालांकि चित्रा के पिता निर्मल सिंह को कांग्रेस ने सिटी सीट टिकट पर दिया है. हिसार जिले की बरवाला विधानसभा सीट पर कांग्रेस का टिकट न मिलने पर संजना सातरोड भी बागी हो चुके हैं.कांग्रेस ने यहां पूर्व विधायक रामनिवास घोड़ेला को टिकट दे दिया जिससे नाराज होकर सातरोड निर्दल नामांकन डाला दिया है.