
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट्स को दिल्ली विधानसभा में पेश करने में टालमटोल करने पर हाकोर्ट ने आम आदमी पार्टी की दिल्ली सरकार पर सख्त टिप्पणी की है. जाहिर है कि शीशमहल से जुड़े विवाद पर अब आम आदमी पार्टी की सरकार को जवाब देना और मुश्किल होने वाला है. अब तक आम आदमी पार्टी के नेता टीवी चैनलों की बहस में यह कहते हुए सुने जाते थे कि कौन सी सीएजी रिपोर्ट? और बीजेपी प्रवक्ता भी सटीक जवाब देने में खुद सक्षम नहीं पाते थे. पर अब जब हाईकोर्ट ने खुद ही सवाल उठा दिया है कि कैसे आप सरकार ने सीएजी की रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करने में देरी की है, तो जाहिर है कि बीजेपी को हमलावर होने से अब कोई रोक नहीं पाएगा.हाईकोर्ट की टिप्पणी आने के बाद बीजेपी ने कहा है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में सत्ता में बने रहने का सभी नैतिक अधिकार खो दिया है. हालांकि आप ने इन टिप्पणियों पर पलटवार करते हुए भाजपा पर सीएजी रिपोर्टों से जुड़ी आधारहीन कहानियां गढ़ने का आरोप लगाया है.
1-हाईकोर्ट ने गंभीर सवाल उठाए हैं , जिसका जवाब देना होगा मुश्किल
विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता और छह भाजपा विधायकों - मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अजय कुमार महावर, अभय वर्मा, अनिल वाजपेई और जितेंद्र महाजन की एक याचिका में 14 सीएजी रिपोर्टों को पेश करने की मांग की गई थी.इस याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि कैसे दिल्ली सरकार ने सीएजी की रिपोर्टों को विधानसभा में पेश करने में देरी की? इस पर आपकी नेकनीयती पर संदेह उठता है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार,न्यायमूर्ति सचिन दत्ता ने कहा कि आप सरकार को रिपोर्ट तुरंत स्पीकर के पास भेजना चाहिए था और सदन में चर्चा करनी चाहिए थी. ...जिस तरह से आप इसे टाल रहे हैं, वह दुर्भाग्यपूर्ण है.
जाहिर है कि आम आदमी पार्टी को हाई कोर्ट के इस कमेंट्स के बाद जवाब देना मुश्किल होगा. टीवी चैनलों के बहस में हर हाई कोर्ट की टिप्पणी दुहराई जाएगी. अब तक आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कौन सी सीएजी रिपोर्ट की बात कहकर बच निकलते थे . पर अब यह मुश्किल होगा.
2-आम आदमी पार्टी के तर्क कितने सही
AAP की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ ने 2 दिन पहले इस मसले पर कहा था कि यह ऐसी कौन सी CAG रिपोर्ट है जिसे अभी तक ना मुख्यमंत्री ने देखी ना ही CAG की वेबसाइट पर उपलब्ध है. ऐसी कौन सी रिपोर्ट उनके पास आ गई? उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि यह वही कागज है जो बीजेपी अपने ऑफिस में मैन्युफैक्चर करती है, इस कागज को कोई मानता नहीं है और तो और उन पर आरोप लगाकर बीजेपी खुद भाग जाती है.
हालांकि अब जब हाईकोर्ट ने सीएजी रिपोर्ट को विधानसभा में टेबल पर रखने के लिए टालमटोल की बात की है तो अब पार्टी के सुर बदले हुए हैं. CAG रिपोर्ट को टेबल पर नहीं रखने के आरोप पर प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि जब विधानसभा सत्र चलेगा तो रिपोर्ट को टेबल कर देंगे. यह सब कुछ प्रशासनिक प्रक्रिया हैं. बीजेपी अभी नकली दस्तावेज दिखा रही है जो बीजेपी के ऑफिस में बनाए गए हैं.
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता महेश जेठमलानी कहते हैं कि अगर सरकार के पास छिपाने के लिए कुछ नहीं है, तो उसे इसे संविधान के प्रावधान के अनुसार सदन में पेश करने के लिए तत्पर होना चाहिए… आप करदाताओं के पैसे खर्च कर रहे हैं… ये सभी 14 (सीएजी) रिपोर्टें जनता के संसाधनों से संबंधित हैं.
जीएनसीटीडी अधिनियम और सीएजी अधिनियम के प्रावधानों का हवाला देते हुए, जेठमलानी कहते हैं कि जब आप को 2023 में 8 रिपोर्ट्स मिलती हैं और आपने इसे आज तक विधानसभा में पेश नहीं किया है, तो क्या यह संविधान का गंभीर उल्लंघन नहीं है?
4-चुनावों के बीच बीजेपी ने घेर लिया
दिल्ली भाजपा अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने आरोप लगाया कि 2023 से, अरविंद केजरीवाल-आतिशी सरकार ने 12 से अधिक सीएजी रिपोर्टों, जिनमें शीश महल पर रिपोर्ट भी शामिल है, को दबाकर रखा हुआ है. दिल्ली विधानसभा में भाजपा विधायकों द्वारा इन रिपोर्टों को पेश करने के लिए बार-बार अनुरोध किया गया… लेकिन अपनी भ्रष्ट गतिविधियों के उजागर होने के डर से, केजरीवाल-आतिशी सरकार टस से मस नहीं हुई.
आम आदमी पार्टी का कहना है कि सीएजी रिपोर्ट्स दिल्ली विधानसभा अध्यक्ष को विधानसभा के अगले सत्र में पेश करने के लिए भेज दी गई हैं. इसके बाद हमारा कोई रोल नहीं है. भाजपा अपने मुख्यालय में फर्जी सीएजी रिपोर्टें बना रही है, जनता को गुमराह करने के लिए आधारहीन कहानियां गढ़ रही है. भारतीय राजनीति में विधानसभा अध्यक्ष पार्टियां इसलिए अपनी ही पार्टी के किसी खास सदस्य को बनाती हैं. ताकि वो ऐसे मोकों सरकार का साथ दे सकें.ये सभी जानते हैं कि विधानसभा अध्यक्ष वही करता है जो सरकार चाहती है. दूसरी बात 2023 तक की रिपोर्ट्स अभी तक सदन में नहीं रखी गई है. फरवरी के पहले सप्ताह में ही फैसला हो जाएगा कि सरकार रहती है या नहीं. उसके बाद इस रिपोर्ट का महत्व ही क्या रह जाएगा.
4-सीएजी रिपोर्ट्स पहले भी कई सरकारों पर भारी पड़ चुकी हैं
देश में कैग रिपोर्ट के चलते कई बार राजनीतिक तूफान आ चुका है. माना जाता है कि यूपीए 2 सरकार के जाने का कारण भी मुख्य रूप से कैग रिपोर्ट ही था. 2010 में टूजी स्पैक्ट्रम को लेकर कैग ने एक रिपोर्ट जारी की. कैग का कहना था कि 2008 में जो 2जी-स्पैक्ट्रम का आवटंन गलत था. कैग रिपोर्ट के अनुसार 2जी आवंटन में धांधली की वजह से सरकार को 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था. माना जाता है कि इसी घोटले ने सरकार की इतनी किरकिरी हुई कि फिर यूपीए सरकार फिर से सत्ता में वापसी नहीं कर सकी.
कैर रिपोर्ट में ही कॉमनवेल्थ और कोयला घोटाला भी सामने आया था.इसके पहले गुजरत में केशुभाई पटेल को हटाने के पीछे भी कैग रिपोर्ट को ही असली कारण माना गया था.