
अयोध्या का न्योता कांग्रेस नेतृत्व ने पहले ही ससम्मान अस्वीकार कर दिया था. तभी कांग्रेस की तरफ से जारी बयान में कहा गया था, 22 जनवरी को होने वाले राम मंदिर उद्घाटन समारोह में सोनिया गांधी और मल्लिकार्जुन खड़गे समेत कांग्रेस का कोई भी नेता अयोध्या नहीं जाएगा.
नेतृत्व के इस रुख पर यूपी कांग्रेस के नेता प्रमोद कृष्णम ने तो दुख जताया ही, हिमाचल प्रदेश सरकार में कैबिनेट मंत्री विक्रादित्य सिंह तो राम मंदिर उद्घाटन समारोह का न्योता मिलने की बात करते हुए निजी तौर पर अयोध्या जाने का ऐलान कर दिया.
कांग्रेस आलाकमान जो भी कदम उठाये, लेकिन हिमाचल प्रदेश में तीर कमान से छूट गई लगती है. बेटे विक्रमादित्य सिंह के बाद अब लगता है प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह को भी राममय अयोध्या आकर्षित करने लगी है.
राम मंदिर निर्माण को लेकर प्रतिभा सिंह का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की दिल खोल कर तारीफ करना उनके अयोध्या पहुंचने के इरादे के पक्के होने का भी संकेत दे रहा है. पता चला है कि मां-बेटे दोनों के संयुक्त न्योता मिला हुआ है.
हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को अयोध्या के प्राण प्रतिष्ठा का न्योता नहीं मिला है. सुखविंदर सिंह का कहना है, हमारा जीवन मर्यादा पुरूषोत्तम भगवान राम के नाम से शुरू होता है, अयोध्या जाने के लिए उनको किसी निमंत्रण की जरूरत नहीं है. वैसे अयोध्या जाने की बात तो मुख्यमंत्री सुक्खू भी कर रहे हैं, लेकिन उद्घाटन समारोह के बाद.
सुखविंदर सिंह ने इस बीच विक्रमादित्य सिंह से खेल विभाग छीन कर दूसरे मंत्री को दे दिया है. देखा जाये तो ये आग में घी डालने वाला कदम है. विक्रमादित्य सिंह ने बस इतना कहा है कि किसी भी मंत्री के विभाग पर मुख्यमंत्री का अधिकार होता है, लिहाजा उनको कोई दिक्कत नहीं है.
लेकिन वो ये बात भी याद दिलाना नहीं भूलते कि 2022 का चुनाव उनके पिता वीरभद्र सिंह के नाम पर लड़ा गया था. 2017 में मुख्यमंत्री रहते वीरभद्र सिंह चुनाव हार गये थे. शुरू से ही हिमाचल प्रदेश में वीरभद्र सिंह के अपने गुट के अलावा विरोधी गुट भी रहा है, और विक्रमादित्य सिंह अपने गुट की तरफ से अकेले मंत्री हैं.
चुनावों में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष होने के नाते प्रतिभा सिंह भी मुख्यमंत्री पद की दावेदार रहीं, और बेटे विक्रमादित्य सिंह भी. लेकिन किसी बात की परवाह किये बगैर कांग्रेस नेतृत्व ने सुखविंद सिंह सुक्खू को मुख्यमंत्री बना दिया. ये तो तभी से माना जा रहा था कि मां-बेटे की नाराजगी सुखविंदर सरकार को भविष्य में भारी पड़ सकती है - और राम मंदिर के निमंत्रण से शुरू हुई तकरार ने तो जैसे ऑपरेशन लोटस को ही न्योता दे डाला है.
वीरभद्र सिंह परिवार की नाराजगी क्यों बढ़ा रहे हैं मुख्यमंत्री सुक्खू
वीरभद्र सिंह जब हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री थे तो सुखविंदर सिंह सुक्खू ही उनके सबसे बड़े विरोधी हुआ करते थे. अब वही मुख्यमंत्री हैं, और उनके बेटे अपने गुट की ओर से अकेले मंत्री. हाल ही में कैबिनेट में दो मंत्री बढ़ाये गये हैं, और माना जा रहा था कि सुखविंदर सिंह अपने हिस्से के विभाग उनको देंगे. लेकिन सुक्खू ने विक्रमादित्य से ही खेल विभाग लेकर नये मंत्री को दे दिया. फिलहाल विक्रमादित्य सिंह मंत्री बने हुए हैं, और उनके पास अब भी सार्वजनिक निर्माण विभाग है.
राम मंदिर उद्घाटन समारोह को लेकर विक्रमादित्य सिंह ने अपनी फेसबुक पोस्ट में लिखा था, 'यह कोई राजनीतिक मुद्दा नहीं है... और मैं हिमाचल प्रदेश से आमंत्रित कुछ लोगों में शामिल होने के लिए खुद को भाग्यशाली मानता हूं... मुझे और मेरे परिवार को यह सम्मान देने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और विश्व हिंदू परिषद को धन्यवाद देता हूं.'
और वैसे ही हिमाचल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह ने कहा है, हिमाचल प्रदेश में 98 फीसदी हिंदू आबादी है... यहां सभी की आस्था राम के प्रति है... राम के मंदिर का इतना बड़ा जीर्णोद्धार होने जा रहा है, उसके लिए हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आभारी हैं'
न्योता मिलने की जानकारी देते हुए प्रतिभा सिंह कहती हैं, आप सभी जानते हैं कि राजा वीरभद्र सिंह की मंदिरों में बहुत आस्था थी... उन्होंने हिमाचल प्रदेश के मंदिरों का भी जगह-जगह जीर्णोद्धार किया है... जो आस्था उनकी सब मंदिरों के प्रति रही है, हमारी आस्था भी श्रीराम के प्रति है.
कांग्रेस नेता प्रतिभा सिंह ने ये तो नहीं कहा है कि बेटे की तरह वो भी अयोध्या जाने का कार्यक्रम फाइनल कर चुकी हैं, लेकिन जिस तरह से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रति आभार जताया है, कांग्रेस के लिए चिंता की बात लगती है.
और इसी बीच, ये भी देखने को मिला है कि यूपी कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय और प्रभारी अविनाश पांडे अयोध्या पहुंच भी गये. कांग्रेस नेताओं ने अयोध्या दौरे के लिए मकर संक्रांति का मौका भी सोच समझ कर चुना गया लगता है. राहुल गांधी के मणिपुर से भारत जोड़ो न्याय यात्रा शुरू करने के ठीक एक दिन बाद - क्या कांग्रेस की तरफ से डैमेज कंट्रोल करने का प्रयास चल रहा है?
कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसा हो सकता है हाल
ये समझना बहुत मुश्किल नहीं है कि वीरभद्र सिंह का परिवार हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की सबसे कमजोर कड़ी है. मुख्यमंत्री बनाया जाना तो दूर, प्रतिभा सिंह गुट को कैबिनेट में सिर्फ एक सीट दिया जाना भी कांग्रेस के खिलाफ ही जाता है. ऊपर से एक मंत्री को मिले विभाग छीने जाने के बाद मामला बहुत ही नाजुक मोड़ पर पहुंच चुका है. और वो मंत्री भी कोई और नहीं, बल्कि प्रतिभा सिंह के बेटे विक्रमादित्य सिंह हैं.
कर्नाटक में बीजेपी के ऑपरेशन लोटस को कुछ देर के लिए अलग रख कर देखें तो मध्य प्रदेश में 2018 में बनी सरकार का 2020 में कांग्रेस के हाथ से चले जाना सबसे बड़ा उदाहरण है. ये वाकया राजस्थान में भी हो चुका होता, लेकिन अशोक गहलोत की ताकत और सचिन पायलट का कमजोर पड़ जाना कांग्रेस के पक्ष में गया.
हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की गाड़ी उसी खतरनाक मोड़ की तरफ बढ़ रही है. हो सकता है, आम चुनाव तक खतरा टल जाये, लेकिन उसके बाद कुछ भी संभव है. 2019 के आम चुनाव के बाद कर्नाटक की एचडी कुमारस्वामी सरकार को बमुश्किल साल भर हुए थे, और बीएस येदियुरप्पा ने अपना करिश्मा दिखाते हुए मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा जमा लिया था - मालूम नहीं कांग्रेस को अभी वैसी ही अनहोनी की आशंका हो रही है या नहीं?