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अकेले लड़ने वाले दलों के लिए काल बन गई BJP, एग्जिट पोल में तो फेल है 'एकला चलो रे'

एग्जिट पोल के आंकड़े बता रहे हैं कि बीजेपी वहीं बढ़त बनाती दिख रही है जहां उसका सामना ऐसे दलों से हुआ है जो अकेले चुनाव लड़ रहे हैं. जहां भी बीजेपी अकेली पड़ी है या मुकाबले में सामने गठबंधन है पार्टी को नुकसान उठाना पड़ रहा है.

नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी नरेंद्र मोदी और ममता बनर्जी
संयम श्रीवास्तव
  • नई दिल्ली,
  • 03 जून 2024,
  • अपडेटेड 4:24 PM IST

आजतक एक्सिस माई इंडिया के एग्जिट पोल में एक नया ट्रेंड देखने को मिल रहा है. देश के विभिन्न हिस्सों में कोई भी दल अगर अकेले चुनाव लड़ता है तो उसका नुकसान होना तय है.यह बात रिजनल पार्टियों के लिए तो अक्षरशः सत्य साबित हो रहा है पर बड़े और राष्ट्रीय दल भी इससे परे नहीं हैं.आज तक एक्सिस-माई इंडिया, के अनुसार भाजपा को देश उत्तरी एवं पश्चिमी हिस्से में कोई बड़ा नुकसान होता नहीं दिख रहा है. भारतीय जनता पार्टी देश के पूरब में ही नहीं दक्षिणी इलाके में बढ़त बनाती दिख रही है. ऐसा केवल इसलिए दिख रहा है कि इन इलकों में कई क्षेत्रीय पार्टियों ने अपने बूते पर चुनाव लड़ना बेहतर समझा. यही उनके लिए घातक साबित होता दिख रहा है.

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1-यूपी में बीजेपी को फायदा और बीएसपी को नुकसान

सबसे पहले उत्तर प्रदेश में ही देखते हैं.यूपी में बहुजन समाज पार्टी ने किसी भी दल के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया . बीएसपी सुप्रीमो मायावती ने कहा था कि गठबंधन से बीएसपी को नुकसान ही होता है.पर 2019 में यूपी में बहुजन समाज पार्टी को करीब 10 सीटें मिली थीं, क्योंकि पार्टी ने समाजवादी पार्टी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था.इस बार आजतक एक्सिस माई इंडिया का एग्जिट पोल बता रहा है कि उत्तर प्रदेश में बीएसपी को जीरे से एक सीट मिलती दिख रही है. इसी तरह कांग्रेस को गठबंधन करने का फायदा मिलता दिख रहा है. 2019 में एक सीट से बढ़कर पार्टी तीन सीट तक पहुंच सकती है. समाजवादी पार्टी में अपने पिछले प्रदर्शन को दुहरा सकती है या उससे कुछ बढ़ सकती है.उत्तर प्रदेश में बीजेपी के साथ आए सभी दलों को फायदा होता दिख रहा है.

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2-बंगाल और उड़ीसा में टीएमसी और बीजेडी को नुकसान

ममता बनर्जी ने इंडिया गठबंधन से दूरी बनाने की जो गलती की थी चुनाव परिणाम आने के  बाद वो पश्चाताप करती नजर आ सकती है.  उन्हें पिछले बार मिले सीटों से कम सीटें मिलती नजर आ रही हैं. वहीं बीजेपी को 26 से 31 सीट मिलती नजर आ रही है. ममता बनर्जी ने कांग्रेस और वाम मोर्चे से अलग चुनाव लडने का नुकसान स्पष्ट दिख रहा है.पार्टी वैसे तो इंडिया गठबंधन का हिस्सा है मगर वह कांग्रेस या वाम दलों के साथ सीटों का तालमेल नहीं कर पाई थी. यही कारण है कि पार्टी 11 से 14 सीटों के बीच सिमट रही है. ओडिशा में बीजू जनता दल ने भी अकेले चुनाव लड़ने का नुकसना उठा रहे हैं. यहां बीजेपी क्लीन स्वीप जैसा कर रही करीब 18 से 21 सीट लेती हुई नजर आ रही है.बीजेडी को जीरो से 2 सीट ही मिलती दिख रही है. आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी, तेलंगाना में भारतीय राष्ट्र समिति और केरल में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) केवल इसलिए ही नुकसान में दिख रही है क्योंकि ये पार्टियां किसी भी दल के साथ गठबंधन नहीं कर सकीं. वाईएसआर को 2 से 4 सीट मिलती ही दिख रही है. आंध्र में टीडीपी और बीजेपी को बंपर फायदा हो रहा है.

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3-हरियाणा-महाराष्ट्र में गठबंधन के चलते बीजेपी को नुकसान

आजतक एक्सिस-माई इंडिया का एग्जिट पोल बता रहा है कि 2019 के चुनाव की तुलना में भाजपा को महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, कर्नाटक, झारखंड और हरियाणा में कम से कम 33 सीटों को नुकसान होगा. दरअसल महाराष्ट्रा में बीजेपी का मुकाबला इंडिया गठबंधन में एकजुट हुए दलों से हो रहा है.शरद पवार की एनसीपी, उद्धव ठाकरे की शिवसेना और कांग्रेस मिलकर चुनाव लड़ रहे हैं. यही कारण है कि बीजेपी को फायदा होता नहीं दिख रहा है. इसके साथ ही चूंकि बीजेपी भी शिंदे की शिवसेना, अजित पवार की एनसीपी को साथ लेकर चुनाव लड़ रही है इसलिए उसका सफाया होता नहीं दिख रहा है. हरियाणा में कांग्रेस के साथ आम आदमी पार्टी के साथ आने से बीजेपी कमजोर होती नजर आ रही है. यही हाल झारखंड में है . यहां कांग्रेस और झामुमो मिलकर बीजेपी के लिए मैदान खाली नहीं छोड़ रहे हैं. 

4-तमिलनाडु-केरल-तेलंगाना -आंध्र प्रदेश में बीजेपी को फायदा

आज तक एक्सिस-माई इंडिया के एग्जिट पोल के अनुसार भाजपा का वोट शेयरिंग तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और पंजाब जैसे राज्यों में दोहरे अंक में पहुंच रहा है. इसके पीछे स्पष्ट दिखाई दे रही है गठबंधन की ताकत. पंजाब में विपक्ष एकजुट होकर चुनाव नहीं लड़ा तो बीजेपी को वहां कुछ फायदा होता नजर आ रहा है. बीजेपी का वोट प्रतिशत बढ़ रहा है. आंध्र प्रदेश में जगन मोहन अकेले चुनाव लड़े बीजेपी और टीडीपी एक साथ थी , जाहिर है जगन मोहन को नुकसान हो रहा है.केरल में एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाली यनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) के बीच सीधी लड़ाई से भाजपा को अपना वोट परसेंटेज बढ़ाने का मौका दे दिया. बीजेपी को 2 से 3 सीटें भी मिलती दिख रही हैं.

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