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INDIA गुट आखिरी सांसें गिन रहा है, या नए रूप में आकार ले रहा है?

दिल्ली चुनाव में INDIA ब्लॉक को दो हिस्से में बंटा हुआ देखा गया, और ये तस्वीर आने वाले चुनावों में और भी साफ होने वाली है. सवाल है कि जो स्वरूप दिल्ली चुनाव में देखने को मिला है, क्या वही बिहार और उसके बाद के चुनावों में भी देखने को मिलेगा या कुछ अलग होगा?

राहुल गांधी और ममता बनर्जी का टकराव इंडिया ब्लॉक कहां ले जाने वाला है? राहुल गांधी और ममता बनर्जी का टकराव इंडिया ब्लॉक कहां ले जाने वाला है?
मृगांक शेखर
  • नई दिल्ली,
  • 13 फरवरी 2025,
  • अपडेटेड 2:10 PM IST

बिहार चुनाव तक न सही, लेकिन पश्चिम बंगाल विधानसभा की बारी आते आते INDIA ब्लॉक बचेगा या नहीं समझना मुश्किल लग रहा है. अगर बचेगा भी तो किस रूप में दिखेगा? नेतृत्व कौन करेगा? राहुल गांधी या ममता बनर्जी या कोई और?

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी के अपने अपने स्टैंड पर अड़े रहने के चलते INDIA ब्लॉक का भविष्य अब बहुत अंधकारमय प्रतीत होता है. 

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INDIA ब्लॉक में फिलहाल सबसे बड़ा पेच कांग्रेस ने फंसा रखा है. लोकसभा चुनाव में INDIA ब्लॉक का अघोषित नेतृत्व कांग्रेस के पास था, लेकिन उसमें भी ममता बनर्जी अलग नजर आ रही थीं. महाराष्ट्र चुनाव के बाद ममता बनर्जी के पक्ष में लामबंदी शुरू हो गई थी - और दिल्ली चुनाव से तो INDIA ब्लॉक में साफ साफ दो फाड़ नजर आने लगा है. 

दिल्ली चुनाव के बाद तो INDIA ब्लॉक का अस्तित्व ही खत्म बताया जाने लगा था. राजनीति के कुछ जानकारों की भविष्यवाणी तो ऐसी ही रही है. उमर अब्दुल्ला भले निराश हों, लेकिन ममता बनर्जी की बातों से लगता है कि अब भी वो विपक्ष के एकजुट रहने के पक्ष में तो हैं, लेकिन INDIA ब्लॉक में वो कांग्रेस को बर्दाश्त नहीं कर पा रही हैं. 

ममता बनर्जी कांग्रेस मुक्त INDIA ब्लॉक चाहती हैं 

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दिल्ली चुनाव के दौरान जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने जब INDIA ब्लॉक की भूमिका पर सवाल उठाया था, तो समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव का रिएक्शन था, इंडिया गठबंधन अखंड है.

मीडिया से बातचीत में अखिलेश यादव का कहना था, INDIA गठबंधन जब बन रहा था… उस समय कहा गया कि जो पार्टी जहां मजबूत है वहां INDIA गठबंधन उसे मजबूती देगा… दिल्ली में आम आदमी पार्टी मजबूत है इसलिए समाजवादी पार्टी ने उसे अपना समर्थन दिया है. सवाल दिल्ली का है... भाजपा हारे ये हमारा उद्देश्य है… जब उद्देश्य एक है तो झूठ-सच कुछ नहीं है.

असल में, दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी और कांग्रेस एक दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे. अखिलेश यादव और ममता बनर्जी ने अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी को समर्थन दिया था. नतीजे आये तो मालूम हुआ कि अरविंद केजरीवाल की हार में कांग्रेस उम्मीदवारों की भी बड़ी भूमिका रही है. 

दिल्ली चुनाव के नतीजे आने के बाद उमर अब्दुल्ला ने एक तस्वीर शेयर करते हुए सोशल साइट एक्स पर लिखा था, ‘और लड़ो आपस में’ - और अब ममता बनर्जी भी उसी मुद्दे पर आ गई हैं, लेकिन उनके निशाने पर कांग्रेस ही है. जम्मू-कश्मीर की राजनीति को देखते हुए माना जा सकता है कि उमर अब्दुल्ला के निशाने पर भी कांग्रेस ही होगी. उमर अब्दुल्ला तो यहां तक कह चुके हैं कि इंडिया ब्लॉक को खत्म कर देना चाहिये, क्योंकि न लीडरशिप है, न एजेंडा है. 

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दिल्ली चुनाव के नतीजों पर सोशल मीडिया के जरिये अपना रुख साफ करने की बात पर उमर अब्दुल्ला कहते हैं, ‘नहीं करता तो क्या रोना शुरू करता… नतीजे ही ऐसे थे, या तो हंसना था… या रोना था, और रोना मैं पसंद नहीं करता.’

लेकिन, इंडिया ब्लॉक को लेकर वो कुछ और कहने से मना भी कर देते हैं. पत्रकारों से बातचीत में कहते हैं, इंडिया ब्लॉक की कभी मीटिंग होगी, तो मीटिंग के अंदर कहूंगा, आप लोगों को कुछ कहता हूं… तो खामखा बवाल हो जाता है.

ममता बनर्जी भी इंडिया ब्लॉक की आपसी लड़ाई से खफा हैं, लेकिन वो कांग्रेस को विपक्षी गठबंधन से दूर ही रखना चाहती हैं. ममता बनर्जी ये भी दावा कर चुकी हैं कि इंडिया ब्लॉक नाम भी उनका ही दिया हुआ है, बनाया भी है, और अब तो नेतृत्व करने की भी उनकी इच्छा है, लेकिन पश्चिम बंगाल में बैठकर ही. 

ममता बनर्जी का अब भी मानना है, समान विचारधारा वाले राजनीतिक दलों को आपसी समझ बनानी होगी, ताकि बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा न हो… वरना, इंडिया ब्लॉक के लिए राष्ट्रीय स्तर पर बीजेपी को रोकना मुश्किल हो जाएगा. 

महाराष्ट्र और दिल्ली चुनाव के नतीजों का हवाला देते हुए ममता बनर्जी कहती हैं, दिल्ली में कांग्रेस ने आम आदमी पार्टी की मदद नहीं की, और हरियाणा में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस की मदद नहीं की. ममता बनर्जी की नजर में दोनो चुनावों में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी का आमने सामने होना ही हार का कारण बना, और बीजेपी को जीत का मौका मिल गया. 

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लेकिन, जैसे ही पश्चिम बंगाल की बात आती है ममता बनर्जी वैसा ही रवैया दिखाती हैं, जैसा हरियाणा और दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के प्रति दिखाया है. 

अन्य राज्यों के लिए तो ममता बनर्जी की राय है कि सभी को एक साथ होना चाहिये, लेकिन अपने इलाके में उनको ये बात मंजूर नहीं है, बंगाल में कांग्रेस का कुछ भी नहीं है… मैं अकेले लड़ूंगी… हम अकेले ही काफी हैं. ममता बनर्जी अगले दम पर 2026 के पश्चिम बंगाल चुनाव में दो तिहाई से ज्यादा सीटें जीतने का दावा कर रही हैं. 

बिहार चुनाव तक कौन सा रूप लेगा INDIA ब्लॉक 

देखा जाये तो ममता बनर्जी ने पश्चिम बंगाल की राजनीतिक तस्वीर विधानसभा से चुनाव पहले ही पेश कर दी है, और राहुल गांधी ने भी संकेत दे दिया है कि बिहार में भी कांग्रेस का रुख दिल्ली चुनाव जैसा ही हो सकता है. बिहार में 2025 और पश्चिम बंगाल में 2026 में विधानसभा के चुनाव होने हैं. 

राहुल गांधी एक महीने के भीतर दो बार बिहार का दौरा कर चुके हैं, और पहले दौरे में बिहार में कराये गये जातिगत गणना को फर्जी बताकर अपना इरादा भी जाहिर कर चुके हैं. जातिगत गणना को लेकर राहुल गांधी की बात इसलिए भी महत्वपूर्ण हो जाती है, क्योंकि तेजस्वी यादव उसका क्रेडिट खुद लेने की कोशिश करते आ रहे हैं - और बिहार की जातिगत गणना को खारिज कर कांग्रेस के सत्ता में आने पर कास्ट सेंसस कराने का वादा करते हैं.

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INDIA ब्लॉक को लेकर बिहार में कांग्रेस का, और बंगाल में तृणमूल कांग्रेस का स्टैंड तो साफ हो चुका है, देखना है बिहार चुनाव में अखिलेश यादव और ममता बनर्जी क्या फैसला लेते हैं? दिल्ली न सही, INDIA ब्लॉक का भविष्य अब बिहार चुनाव में ही तय हो पाएगा.

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