
कतर में आठ पूर्व भारतीय नौसैनिकों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद देश हैरान है. हमास जैसे आतंकी संगठन को पनाह देने वाला देश भारत के 8 नौसैना अफसरों को बिना कोई आरोप लगाए, बिना किसी सुनवाई के सीधे मौत की सजा सुना रहा है. इस देश को सबक सिखाने का यही मौका है. इजरायल और पश्चिमी दुनिया भी कतर की करतूतों को देख रही है. हमास का कमांडर इन चीफ कतर के एक पेंटहाउस में बैठकर इजरायल के निर्दोष नागरिकों के खून से होली खेल रहा है. वही देश कतर भारत के निर्दोष लोगों को सूली पर चढ़ाने की तैयारी कर रहा है.
भारत को अपने सामर्थ्य के बारे में सोचना चाहिए. भारत अगर कनाडा जैसे देश को सबक सिखा सकता है तो कतर किस खेत की मूली है. बस ठान लेने की जरूरत है. कतर को यह स्पष्ट संदेश भेजने की जरूरत है कि अगर हमारे देश के नागरिकों की रिहाई नहीं करता है इसके अंजाम भुगतने होंगे.
न सुनवाई, न बहस- सीधे सजा
पूर्व नौसैनिकों को अगस्त 2022 में गिरफ्तार किया गया था. हैरानी की बात यह है कि जिन लोगों को मौत की सजा दी गई है उन्हें भी नहीं पता है कि उनका दोष क्या है. उनके परिवार वालों को भी नहीं पता कि उनके अपनों को किस जुर्म की सजा दी गई है. आज की तारीख में जब दुनिया चंद्रमा के बाद मंगल पर जाने को तैयार है इस देश में बिना आरोप के लोग गिरफ्तार कर लिए जाते हैं, बिना सुनवाई उनको फांसी पर चढ़ाने की तैयारी की जाती है. ऐसा सिर्फ आदिकालीन समाजों में ही संभव है. भारत में कसाब को भी वकील मुहैय्या कराया गया. उसे बिरयानी खिलाकर खातिरदारी भी हुई. कम से कम ये नेवी अफसर उस कसाब जैसा गुनाह तो नहीं ही किए हैं. मध्ययुगीन नियम कानून वाले इस देश को सभ्य समाज क्यों और कैसे मान्यता दिया हुआ है. इजरायल जैसे देश को नियम कानून से ऊपर उठकर एक्शन लेने को ऐसे ही देश बाध्य करते हैं. इसलिए ही लोगों के मुंह से निकलता है कि इजरायल जो कर रहा है सही कर रहा है.
कुछ रिपोर्टों में दावा किया गया है कि उन्हें इजरायल के लिए एक सबमरीन प्रोग्राम की जासूसी करने का दोषी ठहराया गया है. अगर ये दोषी हैं तो सामने क्यों आती है कतर सरकार. ये सभी अल दाहरा कंपनी के कर्मचारी थे, जो कतर के सशस्त्र बलों को टेक्निकल कंसल्टेंसी सर्विसेज उपलब्ध कराती है.अगर कंपनी के लोग दोषी हैं तो फिर कंपनी के सीईओ को गिरफ्तार करके क्यों छोड़ दिया गया? क्या इसलिए क्योंकि सीईओ का धर्म मुस्लिम था? दोहा में भारतीय राजदूत ने इसी साल 1 अक्टूबर को इन पूर्व अधिकारियों से मुलाकात की थी.भारतीय राजदूत को भी नहीं पता है कि इन बेचारों नेवी अफसरों का दोष क्या था?
नूपुर शर्मा वाले मामले में भारत ने झुककर कतर का बढ़ाया था मन
नूपुर शर्मा वाले मामले में कतर के सामने झुककर भारत ने जो गलती की थी, उसी के परिणामस्वरूप कतर को इतना हौसला मिल गया कि वो भारत की बात नहीं सुन रहा है. नूपुर शर्मा एक टीवी डिबेट में एक किताब का उदाहरण देकर कुछ बातें कहती हैं. सामने बैठे तस्लीम रहमानी लगातार भगवान शिव के बारे में अनाप-शनाप कहे जा रहे हैं.अगर उसके जवाब में नुपूर शर्मा ने भी उन्हीं की भाषा में जवाब दिया बात बराबर हो गई. पर बाद में कतर के दबाव में नुपूर शर्मा पर एक्शन लेकर हमने साबित कर दिया था कि हम कतर को तवज्जो देते हैं.भारत को मजबूती से जवाब देना चाहिए था कि ये हमारा घरेलू मामला है. कतर ने भारत के तत्कालीन उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के डिनर को रद्द कर दिया. जो उस समय उस देश के मेहमान थे. वैंकया नायडू को विरोध स्वरूप कतर का दौरा रद्द करके वापस आना चाहिए था. क़तर ने भारत के भगोड़े ज़ाकिर नाइक को अपने देश में सम्मान दिया. फिर भी भारत ने कतर के खिलाफ अपना विरोध नहीं दर्ज कराया. ऐसे देश के खिलाफ एक्शन लेने का समय आ गया है.
कनाडा की तरह कतर के खिलाफ एक्शन ले भारत
नेवी के ये 8 अफसर भारत के लिए महत्वपूर्ण सेवा दे चुके थे.इन बेदाग अफसरों के लिए भारत सरकार वैसे ही कदम उठाने चाहिए जैसे कनाडा के राष्ट्रपति जस्टिन ट्रूडो के खिलाफ उठाए गए. दुनिया भर में मुस्लिम आतंकवाद को फंडिंग करने वाले यह देश इस समय दुनिया का सबसे बड़ा दुश्मन है. दुनिया के लगभग हर आतंकी समूह हमास से लेकर अल कायदा, इस्लामिक स्टेट, हिजबुल्लाह, मुस्लिम ब्रदरहुड, अल नुसरा फ्रंट को फंड मुहैय्या कराता है कतर. दरअसल कतर केवल यह सब सऊदी अरब को नीचा दिखाने के लिए करता है. सऊदी को इस्लामी दुनिया का सबसे ताकतवर देश माना जाता है, कतर को बस इसी बात से चिढ़ है.
भारत सरकार जिस तरह कनाडा के खिलाफ FATF( Financial Action Task Froce) का रुख करने जा रही है उसी तरह दुनिया के इस खतरनाक देश के खिलाफ भी उसे अर्जी डालना चाहिए.संयुक्त राष्ट्र में भी कतर को एक आतंकी देश घोषित करने की मांग करनी चाहिए. कतर को कोई भी ताकतवर अरब देश पसंद नहीं करता है. सऊदी से तो उसका छत्तीस का आंकड़ा है.भारत ने अगर कूटनीतिक पहल की तो कतर के खिलाफ अरब देशों का सहयोग भी मिल सकता है. हो सकता है कि खुला सपोर्ट न मिले पर आंतरिक सपोर्ट से तो कोई रोक नहीं सकता.
भारतीय कामगार सबकी पसंद
कतर के खिलाफ एक्शन लेने का सबसे अधिक विरोध इस बात को लेकर होगा कि वहां काम कर रहे कामगारों का क्या होगा.कतर में करीब साढ़े आठ लाख भारतीय काम कर रहे हैं. सबसे बडी बात यह है कि यहां काम कर रहे सभी लोग कुशल कामगार हैं. दुनिया भर में भारत के कुशल कामगारों की भारी डिमांड है. खुद अरब देश के लोग भारत के कामगारों को पसंद करते हैं. सऊदी हो या यूएई हर जगह भारत के कामगार भरे पड़े हैं. कतर के मुकाबले करीब 10 गुना कामगार अरब देशों में है. अरब देशों में पाकिस्तानी कामगार भी खुद को भारतीय बताते हैं. क्योंकि भारतीयों ने अपनी कुशलता-हुनर और ईमानदारी से अपनी जगह खुद बनाई है.