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भारत की पहली 4K एनिमेटेड फिल्म Appu: इंसानी शौक में दबी जीवों की चीख, हाथी की नज़र से देखें दुनिया

Appu India's First 4K Animated Feature Film: इस फिल्म में दिखाया गया है कि नन्हे हाथी की नज़र से ये दुनिया कैसी दिखती है. इंसानों के कारण हाथियों को किस तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है.

फिल्म में नन्हे हाथी की कहानी दिखाई गई है (तस्वीर- Instagram/appuseries) फिल्म में नन्हे हाथी की कहानी दिखाई गई है (तस्वीर- Instagram/appuseries)
Shilpa
  • नई दिल्ली,
  • 18 अप्रैल 2024,
  • अपडेटेड 2:19 PM IST

'मैं अपने पिता को ढूंढने आया हूं, उनकी जान खतरे मैं है...' ये बात एक नन्हा हाथी दर्द भरी आवाज़ में कहता है. उसके पिता को एक शिकारी बेहोश करके ले गया था. जब वो बहुत छोटा था, तब एक शिकारी ने उसकी मां को गोली मारकर उनकी जान ले ली थी. 

बचपन में कार्टून देखने से लेकर बड़ा होने पर एक्शन वाली फिल्में देखने तक, हम इंसानों के सामने ऐसे दृश्य जाने कितनी बार आए होंगे, जिनमें हम जंगल, जानवर और शिकारियों को देखते हैं. शिकारी आता है और जानवरों को पकड़कर ले जाता है या अपने मनोरंजन के लिए उन्हें गोली मार देता है. ऐसे सीन देखने के बाद भी हमारा दिल कहां पसीजता है, हमें तो बस ये एक मामूली सी बात लगती है. कुछ ऐसा जो कि आम होगा, सामान्य होगा. या तो हमने इसे समझने की कभी कोशिश नहीं की. या सिनेमा की दुनिया में कभी समझाने की कोशिश ही नहीं की गई. 

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लेकिन बच्चों को अगर बचपन में ही ये बात समझा दी जाए, तो उनके बड़ा होने पर शायद हम एक बहुत बड़ा सुधार कर पाने में सक्षम हों. हम अगर उनके कानों तक बचपन में ही जीवों की चीखने की आवाज़ पहुंचा दें, तो उनके बड़ा होने पर हमें इन जीवों के अधिकारों के लिए हाथों में बैनर लेकर विरोध प्रदर्शन करने सड़कों पर नहीं उतरना पड़े. न ही जानवरों को अपनी जान बचाने के लिए चीखने पर मजबूर होना पड़ेगा. 

अप्पू की बहादुरी की कहानी (तस्वीर- अप्पू सीरीज/YouTube)

एक नन्हे हाथी की बहादुरी की कहानी

मगर बच्चों और यहां तक कि बड़ों के कानों तक इस चीख की आवाज़ को कैसे पहुंचाया जाए? ये एक सवाल आपके मन में भी ज़रूर आया होगा... भारत की पहली 4K एनिमेटेड फीचर फिल्म  Appu में यही बात बड़ी सरलता से समझाई गई है. जैसे इंसानों में माता-पिता और बच्चे के बीच रिश्ता होता है, वैसे ही जीवों में भी होता है. उनके भी परिवार होते हैं. किसी अपने को खोने का जितना दुख एक इंसान को पहुंचता है, उतना ही जानवरों को भी पहुंचता है. 

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फिल्म का मुख्य किरदार एक हाथी का बच्चा है, उसका नाम अप्पू है. अप्पू की मां को जब शिकारी ने गोली मारी थी. तब वो बहुत छोटा था. शिकार के शौक के बारे में इंसान बड़े ही गर्व से बताते हैं. लेकिन ऐसे ही एक शिकारी ने एक बच्चे के सिर से उसकी मां का साया छीन लिया. उसे अपना शौक जो पूरा करना था. खैर... फिल्म में आगे दिखाया गया है कि जानवरों की खाल और दांत का बिजनेस करने वाला शिकारी उसके पिता को उठाकर ले गया. 

फिर अप्पू अपने पिता को बचाता है. इसमें दिखाया गया है कि एक बच्चे के भीतर भी हीरो छिपा होता है, ताकत होती है, जिसे उसे बस पहचानने मात्र की देर है. वो अपनी समझदारी से बड़ी से बड़ी मुसीबत का सामना कर सकता है. नन्हे हाथी की नज़र से ये दुनिया कैसी दिखती है? इसी को फिल्म में दिखाया गया है. 

इंसानी शौक की कीमत चुकाते जानवर

इंसानी शौक कितने बड़े हैं, ये हम और आप भली भांती जानते हैं. फैशन के नाम पर जानवरों की स्किन से लेकर दांत तक का व्यापार होता है. इससे कपड़े, पायदान, घर की सजावट का सामान खूब बनता है. स्किन से चमड़ा बनता है और उससे जूते से लेकर जैकेट तक बनाई जाती हैं. पक्षियों के फर से मुलायम तकिए और गद्दे बनते हैं. मेकअप का तरह-तरह का सामान बनता है. 

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फैशन के नाम पर मगरमच्छ, सांप, हाथी, शुतुरमुर्ग और कीड़ों का खूब इस्तेमाल होता है. आपने सिल्क से बनी चीजों के प्रति लोगों की दीवानगी देखी होगी. लेकिन क्या आप जानते हैं कि जिस कीड़े से ये बनता है, उसके साथ क्या होता है? ये कीड़ा तीन-चार दिन तक जीवित रहता है, लेकिन इसी दौरान कई अंडे दे देता है.  वो अपने लावे से चारों ओर एक शेप बनाता है, यानी धागे का जाल सा बुन लेता है. फिर ये लावा हवा के संपर्क में आने से रेशम का धागा बन जाता है. 

कीड़ा धागे से बाहर आने की कोशिश करता है. अगर वो धागे से बाहर आ जाए, तो पूरा रेशम बिखर सकता है. इसलिए कीड़े के निकलने से पहले ही उसे गर्म पानी में डालकर मार दिया जाता है. 

फैशन इंडस्ट्री में चमड़े, फर, ऊन, पंख या रेशम के लिए जानवरों को जंगलों से उठाया जाता है, जाल में फंसाया जाता है. उन्हें सबसे भयानक परिस्थितियों में मार दिया जाता है, ताकि उनके शरीर की स्किन, दातों या अन्य अंगों से जो सामान बनता है, उसे इंसानों को बेचकर खूब पैसा कमाया जा सके. 

अप्पू के पिता को शिकारी ले गए (तस्वीर- अप्पू सीरीज/YouTube)

जब अप्पू के पिता को ले गया शिकारी

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अब फिल्म की कहानी पर वापस लौटते हैं. इसमें दिखाया गया है कि इंसानों की तरह ही जानवर भी शांति से रहना चाहते हैं. बेशक उनके घर यानी जंगल तेज़ी से बंजर ज़मीन में तब्दील होते जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल इंसानों द्वारा हो रहा है. लेकिन जो जंगल बचे हैं, वहां तो कम से कम उन्हें जीने दो. 

फिल्म में दिखाया गया है कि एक दिन अप्पू दूसरे हाथियों के इलाके में चला जाता है. साथ में तीन हाथी दोस्त भी होते हैं. जब इसकी शिकायत अप्पू के पिता को मिलती है, तो वो उसे अकेला रहने का आदेश दे देते हैं. ये अप्पू के लिए सज़ा थी. तभी मौसम खराब हो जाता है. ज़ोर-ज़ोर से बारिश होने लगती है. अप्पू बेचारा अकेला होता है. उसके पिता को उसकी फिक्र सताती है. 

वो अपने मासूम और प्यारे बेटे अप्पू के पास दौड़े चले आते हैं. कि तभी एक शिकारी उन्हें बेहोश करके पिंजड़े में कैद कर अपने साथ ले जाता है. वो उन्हें जहां ले जाता है, वहां कुछ और लोग भी होते हैं. शिकारी उनसे कहता है कि अप्पू के पिता को सर्कस में ले जा सकते हैं. जबकि वो लोग कहते हैं कि उन्हें तो हाथी के दांत चाहिए. 

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जब अप्पू के पिता को शिकारी ले जा रहा होता है, तब अप्पू उनकी आवाज़ सुन लेता है. उसे अनहोनी के बारे में पता चल जाता है. बाद में वो अकेला ही अपने पिता को ढूंढने निकलता है. रास्ते में टाइगर नाम के एक कुत्ते से उसकी मुलाकात होती है. दूसरी तरफ उसके पिता को जंगल से दूर ले जाया जाता है. उन्हें जान से मारने के लिए उन पर बंदूकें तान दी जाती हैं. 

तमाम मुश्किलों से लड़ता है अप्पू

जहां शिकारी अप्पू के पिता को लाता है, अप्पू तमाम मुश्किलों से लड़ते हुए टाइगर के साथ यहां जैस तैसे पहुंचता है. वो यहां नीना नाम की एक बच्ची से मिलता है. ये तीनों मिलकर अप्पू के पिता की जान बचाते हैं. इस दौरान नीना तितली नाम की एक अन्य हथिनी के बारे में बताती है कि कैसे उसे भी शिकारी अपने साथ ले आया था. वो बताती है कि ये शिकारी पहले जंगल का रक्षक हुआ करता था, लेकिन बाद में पैसे के लिए जानवरों का शिकार करने लगा. एक हाथी की नज़र से देखें, तो दुनिया बड़ी क्रूर लगती है. उनकी खाल, दांत के लिए उन्हें जान से मार दिया जाता है. 

दरअसल अप्पू सीरीज नाम का एक यूट्यूब चैनल है. इसमें एक हाथी की कहानी बताई गई है. इसे पूरी दुनिया में खूब देखा गया. 2 बिलियन से ज्यादा लोगों ने इसे देखा. इसे छोटे बच्चों के लिए बनाया गया. वेब सीरीज और यूट्यूब पर शिक्षा-मनोरंजन वाले इस कंटेंट की सफलता देख Appu फिल्म की घोषणा की गई. ये भारत की पहली 4K एनिमेटेड फीचर फिल्म बताई गई है. 

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अपने पिता को शिकारी से बचाता है अप्पू (तस्वीर- अप्पू सीरीज/YouTube)

हर बच्चे में छिपा होता है हीरो

अप्पू की कहानी बताती है कि हर बच्चे के भीतर एक हीरो छिपा है. एक बच्चा भी अपनी समझदारी से मुश्किलों को आसानी से पार कर सकता है, जैसे कि अप्पू करता है. फिल्म के ज़रिए ये बताया गया है कि बीती एक सदी में इंसानों की आबादी काफी ज्यादा बढ़ गई है लेकिन एशियाई हाथियों की आबादी लगभग आधी हो गई है. ऐसा ही चलता रहा तो वो दिन दूर नहीं, जब हाथी ही न बचें. फिल्म को संजय रहेजा, सूरज रहेजा और सुरेश रहेजा ने प्रड्यूस किया है. जबकि प्रोसेनजीत गांगुली, अजय वेलु और आर्किस्मन कर ने इसे डायरेक्ट किया है. 

सूरज रहेजा कहते हैं, 'हम दुनिया के सामने 'अप्पू' को पेश करते हुए काफी खुशी महसूस कर रहे हैं. 19 अप्रैल 2024 को रिलीज होने वाली ये फिल्म अपनी कहानी और विजुएल एनीमेशन के साथ दर्शकों को लुभाने की गारंटी देती है.' अप्पू फिल्म धरती की प्राकृतिक विरासत के संरक्षण की तरफ भी लोगों का ध्यान खींचेगी. अप्पू को अंग्रेजी और हिंदी भाषा में रिलीज किया जाएगा. इसकी घोषणा अप्पू सीरीज की तरफ से की गई है. अप्पू सीरीज के चैनल पर इसका मज़ेदार ट्रेलर भी पोस्ट किया गया है.

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