
कांग्रेस की गुटबाजी अभी तू-तू मैं-मैं के रूप में सरेआम नहीं हुई है. मध्य प्रदेश कांग्रेस की अंदरूनी कलह का एक बेहतरीन नमूना हंसी मजाक वाले काफी हल्के फुल्के माहौल में देखने को मिला है.
मौका था, कांग्रेस का चुनाव घोषणा पत्र जारी होने के बाद मीडिया से रूबरू होने का. हंसते हंसते कमलनाथ ने सारी भड़ास निकाल डाली. मंच पर मौजूद दिग्विजय सिंह ने मौके पर तो सुलह सफाई पेश किया ही, बाद में सोशल मीडिया साइट X का भी भरपूर इस्तेमाल किया है.
अव्वल तो कांग्रेस मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में बीजेपी से 2020 का बदला लेने उतर रही है, लेकिन विडंबना ये है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के चले जाने के बाद भी कांग्रेस का अंदरूनी कलह खत्म नहीं हो रहा है - पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ और कांग्रेस के सीनियर नेता दिग्विजय सिंह दोनों के बीच इन दिनों खूब राजनीति हो रही है.
हंसी मजाक वाले माहौल में दिखा कांग्रेस में कलह का नमूना
दिग्विजय सिंह ने सोशल मीडिया X पर एक ही वीडियो घंटे भर के अंतर पर दो बार शेयर किया है. जो वीडियो दिग्विजय सिंह ने शेयर किया है, मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी होने के बाद का है. पत्रकारों से मुखातिब कमलनाथ मंच से अपने ही वायरल वीडियो का जिक्र करते हैं. वीडियो में टिकट ने मिलने पर नाराजगी जता रहे, एक नेता के समर्थकों से कहते हुए कमलनाथ सुने जा सकते हैं, जाकर के दिग्विजय सिंह और उनके बेटे जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ो. इसका वीडियो मध्य प्रदेश भाजपा ने चटकारे लेकर X पर पोस्ट भी किया है.
वायरल वीडियो वाले प्रसंग को ही आगे बढ़ाते हुए कमलनाथ पत्रकारों को बताते हैं कि उनके पास दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ने से जुड़ी बात सामने आयी है... और बातों बातों में कमलनाथ मीडिया वालों से भी कह डालते हैं कि आपकी बात न मानें तो आप भी इनके कपड़े फाड़ें.
एक मिनट... एक मिनट बोलते हुए दिग्विजय सिंह बीच में दखल देते हैं और कहते हैं, भैया ए फॉर्म और बी फॉर्म पर दस्तखत किसके होते हैं... पीसीसी प्रेसिडेंट के... तो कपड़े किसके फटने चाहिये.
दिग्विजय सिंह को रोकते हुए कमलनाथ फिर से उनके साथ अपने संबंधों का जिक्र करते हैं. बताते हैं कि दोनों का रिश्ता राजनीतिक नहीं, पारिवारिक भी है. जब दिग्विजय सिंह ने कुछ और बोलना चाहा तो कमलनाथ ने डपटते हुए कहते हैं, 'दिग्विजय सुनते रहो.'
दिग्विजय सिंह कुछ नहीं बोलते, अपने से सीनियर मान कर कमलनाथ के कहने पर चुप हो जाते हैं. फिर कमलनाथ बताते हैं कि बहुत पहले ही उन्होंने दिग्विजय सिंह को 'पॉवर ऑफ अटॉर्नी' दी थी, अपने बदले गाली खाने के लिए.
तभी दिग्विजय सिंह का सवाल होता है, गलती कौन कर रहा है ये तो पता होना चाहिये. इस पर कमलनाथ का कहते हैं कि गलती हो न हो, गाली तो खानी है. ये भी बताते हैं कि दिग्विजय सिंह ने उनके लिए बहुत कड़वे घूंट भी पीये हैं, और लगे हाथ आगाह भी कर देते हैं, आगे भी पीने पड़ेंगे.
पहली बार वीडियो शेयर करते हुए दिग्विजय सिंह ने एक शेर लिखा है - "बे-तकल्लुफ़ वो औरों से हैं, नाज़ उठाने को हम रह गए !!"
हो सकता है, गलती का एहसास हुआ हो या फिर किसी ने समझाया हो. ऐसा करने से जनता के बीच गलत मैसेज जा सकता है. या फिर ऊपर से डांट पड़ी हो. दिग्विजय सिंह तत्काल प्रभाव से भूल सुधार करते हुए उसी वाकये का एक और वीडियो शेयर करते हैं, लेकिन इस बार कोई शेर नहीं लिखते.
दूसरी बार वीडियो के साथ कांग्रेस को भी टैग करते हैं और लिखते हैं, 'कमल नाथ जी से मेरा पारिवारिक रिश्ता 1980 से है... हमारे बीच में कई बार कई मुद्दों पर मतभेद रहे हैं... दो मित्रों में मतभेद होना स्वाभाविक ही है, लेकिन मनभेद नहीं रहे... एमपी कांग्रेस के घोषणा पत्र के समय मेरे और कमल नाथ जी के बीच का मज़ाक़िया संवाद... अवश्य सुनिए.'
दिग्विजय सिंह के सफाई देने का सिलसिला यहीं नहीं रुकता. एक के बाद एक वो पांच पोस्ट करते हैं और टिकट देने को सबसे कठिन काम बताते हुए कार्यकर्ताओं से धैर्य रखने की अपेक्षा जताते हैं. एक पोस्ट में लिखते हैं, '... लगभग 4000 उम्मीदवार चुनाव लड़ना चाह रहे हैं... इनमें से केवल 230 का चयन होना है.'
कार्यकर्ताओं से कमलनाथ ने दिग्विजय सिंह के कपड़े फाड़ने की बात क्यों कही
वचन पत्र से पहले कांग्रेस ने मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए 144 उम्मीदवारों की सूची जारी की थी. सूची में अपना नाम न पाकर नेता और उनके समर्थक विरोध पर उतर आये. कई जगह प्रदर्शन भी हुए, और कुछ नेताओं ने इस्तीफा भी दे दिया. सबसे ज्यादा बवाल शिवपुरी सीट को लेकर हुआ है.
केपी सिंह को टिकट दिये जाने से पूर्व विधायक वीरेंद्र रघुवंशी खासे नाराज हैं. वो कोलारस से बीजेपी विघायक रह चुके हैं और टिकट के लिए ही चुनाव तारीखों की घोषणा होने के पहले ही कांग्रेस में शामिल हो गये थे.
वीरेंद्र रघुवंशी को टिकट ने दिये जाने से नाराज उनके समर्थक भोपाल पहुंच गये और कमलनाथ को घेर लिया. कमलनाथ ने अपने हिसाब से समर्थकों को समझाने की कोशिश की, लेकिन वे नारेबाजी कर रहे थे तो बोल पड़े, जाकर दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह के कपड़े फाड़ दीजिये.
बताते हैं कि ग्वालियर चंबल क्षेत्र के टिकट बंटवारे में दिग्विजय सिंह का दबदबा देखने को मिला है. शिवपुरी से केपी सिंह को कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया है. केपी सिंह को दिग्विजय सिंह खेमे का नेता माना जाता है - कमलनाथ भले ही मीडिया के सामने दिग्विजय सिंह के साथ पुराने संबंधों की दुहाई दे रहे थे, लेकिन सच तो यही था कि उनके मन की बात जबान पर आ गयी थी.
कांग्रेस के भीतर की कलह का एक और नमूना भी देखने को मिला है. कहते हैं कि कांग्रेस का घोषणा पत्र जारी किये जाने वाले कार्यक्रम में मध्य प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला को भी मौजूद रहना था, लेकिन पहले ही वो दिल्ली रवाना हो गये. बताया गया है कि रणदीप सुरजेवाला को कांग्रेस की एक जरूरी मीटिंग में मल्लिकार्जुन खड़गे के निर्देश पर दिल्ली लौटना पड़ा है.